बर्लिन : महंगाई के दबाव में जर्मनी आर्थिक मंदी की चपेट में आ गया है. गुरुवार को प्रकाशित आधिकारिक आंकड़ों में इसकी जानकारी मिली है. गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, जर्मनी के संघीय सांख्यिकीय कार्यालय के संशोधित आंकड़ों से पता चलता है कि साल की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर शून्य से 0.3 फीसदी नीचे रही. इससे पहले दिसंबर 2022 में समाप्त तिमाही में विकास दर शून्य से 0.5 फीसदी कम रही थी. तकनीकी रूप से लगातार दो तिमाहियों में विकास दर शून्य से नीचे रहने पर देश में आर्थिक मंदी मानी जाती है.
जर्मनी मंदी का पहला शिकार बना : अप्रैल में जारी प्रारंभिक अनुमानों में कहा गया था कि साल की पहली तिमाही में विकास दर शून्य पर रही है और यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी आर्थिक मंदी से बाल-बाल बच गया. लेकिन आज जारी संशोधित अनुमान में अर्थव्यवस्था में 0.3 फीसदी की गिरावट की बात सामने आई है. डच बैंक आईएनजी के कार्स्ट ब्रजेस्की ने कहा कि इसमें कुछ सांख्यिकीय संशोधन हुए, लेकिन अंतत: जर्मन अर्थव्यवस्था में इस सर्दी के मौसम में वही हुआ जिसका डर हमें पिछली गर्मियों से सता रहा था. देश एक तकनीकी मंदी में घिर गई.
जर्मनी में मंदी आने की वजह: रूस- यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर ईंधन की आपूर्ति बाधित हुई है. खाने- पीने की चीजों में कमी देखी गई है. जिसके चलते कई देशों में महंगाई चरम पर है. इसमें से ही एक देश है जर्मनी. जो कि पारंपरिक रुप से ईंधन की जरुरतों के लिए रूस पर निर्भर करता है. लेकिन Russia Ukraine War के कारण उसे ईंधन मिल नहीं पा रहा है और देश महंगाई का प्रकोप झेल रहा है. जिसके चलते वहां के लोगों का उपभोग भी प्रभावित हुआ है. गौरतलब है कि मार्च तिमाही में जर्मनी घरेलू खर्च में 1.2 फीसदी की गिरावट आई. इसके अलावा सरकारी खर्च में भी पिछली तिमाही की तुलना में 4.9 फीसदी की गिरावट आई है. इन सब कारणों से जर्मनी में मंदी अवश्यंभावी हो गया.
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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