नई दिल्ली : केंद्र सरकार की तरफ से जनवरी से लागू होने वाले महंगाई भत्ते का ऐलान मार्च में कर दिया गया. सरकार ने महंगाई भत्ता (डीए) 4 फीसदी से बढ़ाकर 42 फीसदी कर दिया था. जिससे कर्मचारियों की सैलरी में इजाफा हुआ था. मीडिया रिपोर्टस के अनुसार सरकार इस साल जुलाई में Dearest Allowance (DA) के फॉमूले को बदल सकती है और डीए एक बार फिर 4 फीसदी से बढ़ा सकती है. गौरतलब है कि सरकार की तरफ से केंद्रीय कर्मचारी महंगाई भत्ता साल में दो बार (जनवरी और जुलाई) में बढ़ाने का प्रावधान है.
DA चार फीसदी से बढ़ने की उम्मीद : AICPI इंडेक्स के जनवरी से लेकर मई तक के आकड़ों के अनुसार ही सरकार डीए की घोषणा करेगी. जानकार उम्मीद जता रहे हैं कि सरकार एक बार फिर डीए में 4 फीसदी का इजाफा कर सकती है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सरकार की तरफ से डीए में इजाफा करने के लिए नया फॉर्मूला लागू किया जा सकता है. 7वें केंद्रीय वेतन आयोग के तहत कर्मचारियों को 42 फीसदी से महंगाई भत्ता मिलता है.
महंगाई भत्ते का कैलकुलेशन करने का तरीका : DA की मौजूदा रेट और बेसिक सैलरी में गुणा के आधार पर महंगाई भत्ता निकाला जाता है. उदाहरण से समझें, मान लें कि आपकी सैलरी 35 हजार रुपये है. डीए 42 फीसदी है, तो आपका डीए फॉर्मूला (42x35,000/ 100) होगा. सेम फॉर्मूला रिटायर हो चुके लोग यानी पेंसनर्स के लिए भी अप्लाई किया जाता है. गौरतलब है कि महंगाई भत्ते पर टैक्स देना होता है. ITR फाइल करने के दौरान लोगों को DA के बारे में पूरी जानकारी देनी होती है.
महंगाई भत्ता क्यों दिया जाता है : महंगाई भत्ता कर्मचारियों के रहन- सहन को बेहतर बनाने के लिए दिया जाता है. महंगाई बढ़ने पर कर्मचारी के जीवन स्तर में कोई कमी न आए इसलिए यह अलावेंस दिया जाता है जो सैलरी का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. यह DA सरकारी कर्मचारियों और सरकारी पेंशनहॉल्डर को दिया जाता है.
महंगाई भत्ते की शुरुआत कैसे हुई : महंगाई भत्ते की शुरुआत 2nd world War के दौरान हुई थी. पहले सिपाहियों को खाने- पीने या अन्य सुविधाओं के लिए सैलरी से अलग से पैसे दिए जाते थे, जिसे खाद्य महंगाई भत्ता या 'डियर फूड अलाउंस' कहा जाता था. भारत में इसकी शुरुआत 1972 में मुबंई में की गई थी. इसके बाद केंद्र सरकार ने सभी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता देना शुरू कर दिया था.
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