नई दिल्ली: रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने असुरक्षित लोन को लेकर रिपोर्ट जारी किया है. इसमें कहा गया है कि असुरक्षित खुदरा लोन में पिछले साल के 45 फीसदी की तुलना में 20-30 फीसदी की धीमी वृद्धि देखने की संभावना है. क्योंकि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी हालिया नियामक उपायों के कारण अपनी रणनीतियों में बदलाव किया है. क्रिसिल रेटिंग्स के मैनेजर निदेशक गुरप्रीत छतवाल ने कहा कि हालिया नियामक उपाय असुरक्षित खुदरा ऋणों पर लक्षित हैं और सुरक्षित एसेट क्लास को प्रभावित नहीं करते हैं, जहां विकास स्थिर रहने की उम्मीद है.
आरबीआई ने उपभोक्ता लोन पर बढ़ाया वेट
आरबीआई ने पिछले सप्ताह बैंकों और एनबीएफसी को उपभोक्ता लोन के लिए अधिक कैपिटल अलग रखने का आदेश दिया था, जिसकी अनुमानित पूंजी लागत 84,000 करोड़ रूपये होगी. ये नए दिशानिर्देश व्यक्तिगत ऋण और क्रेडिट कार्ड को और अधिक महंगा बना देंगे क्योंकि बैंक पूंजी की उच्च लागत की भरपाई के लिए दरें बढ़ा सकते हैं. इससे इन सेगमेंट की ग्रोथ पर लगाम लग सकती है. हालांकि, रेटिंग फर्म के अनुसार, खुदरा ऋण ठोस अंतर्निहित मैक्रो और सूक्ष्म कारकों द्वारा संचालित होता है.
क्रिसिल ने क्या कहा?
उत्पाद डाइवर्सफिकेशन एनबीएफसी के लिए एक प्रमुख एजेंडा होगा जिनकी मुख्य क्षमता मुश्किल-से-पता वाले ग्राहक खंडों तक पहुंचने, हामीदारी करने और उन्हें पूरा करने की क्षमता में निहित है. क्रिसिल रेटिंग्स के मुख्य रेटिंग अधिकारी कृष्णन सीतारमन ने कहा कि जैविक, अकार्बनिक और साझेदारी मार्गों के मिश्रण के माध्यम से विविधीकरण होने की उम्मीद है. क्रिसिल ने कहा कि एनबीएफसी क्षेत्र की संपत्तियों में असुरक्षित लोन का योगदान 12-14 फीसदी है, जबकि शेष सुरक्षित संपत्तियों से आता है. अनुपालन की बढ़ती लागत को देखते हुए एनबीएफसी अपनी उत्पाद श्रृंखला में विविधता ला सकते हैं.