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Budget Expectations : 2022 में किफायती आवास की मांग 26 प्रतिशत घटी, आगामी बजट से काफी उम्मीदें - Decreased demand for affordable housing

कोरोना संकट के बाद से किफायती आवासों की मांग घटी है. यह मांग बीते साल अपने सबसे निचले स्तर तक पहुंच गई. बाजार के जानकारों को उम्मीद है कि सरकार आवास सेक्टर को मजबूती देने के लिए कोई ठोस कदम उठा सकती है. पढ़ें पूरी खबर ..

Budget 2023 Expectations
बजट 2023 उम्मीदें
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Published : Jan 30, 2023, 2:21 PM IST

नई दिल्ली : पिछले साली किफायती आवास की मांग घटी है. रियल एस्टेट सेक्टर को उम्मीद है कि आगामी केंद्रीय बजट में इसे बढ़ावा देने का उपाय किया जाएगा. एएनएआरओसीके के उपभोक्ता भावना सर्वेक्षण ने पाया है कि 2022 में किफायती आवास की मांग में भारी गिरावट आई है. 2018 में शीर्ष सात भारतीय शहरों में लगभग 39 प्रतिशत संपत्ति चाहने वाले 40 लाख रुपये के भीतर किफायती घरों के इच्छुक थे. यह मांग 2022 में अपने सबसे निचले स्तर तक सिकुड़ गई.
शीर्ष सात शहरों में काफी मात्रा में बिना बिके हुए किफायती स्टॉक हैं. 2022 के अंत तक शीर्ष सात शहरों में लगभग 6.30 लाख अनबिकी इकाइयों में से किफायती आवास की हिस्सेदारी 27 प्रतिशत से अधिक है. महामारी के बाद से इस सेगमेंट के लिए मांग कम रही है. सरकार द्वारा 2015 से प्रोत्साहन देना शुरू करने और खरीदारों और डेवलपर्स दोनों के साथ 'सम्मानजनक' बनने के बाद यह सेक्टर पुनर्जीवित हो गया था. हालांकि, महामारी ने किफायती आवास सेक्टर को गंभीर रूप से प्रभावित किया, मांग और आपूर्ति दोनों अपने निम्नतम स्तर तक सिकुड़ गई.
एनएनएआरओसीके के अध्यक्ष अनुज पुरी ने कहा, 'बजट हस्तक्षेप करने का एक संभावित तरीका घरों के लिए मूल्य स्लैब को संशोधित करना है, जो विभिन्न शहरों के विशिष्ट बाजार गतिशीलता के अनुसार किफायती आवास के रूप में योग्य हैं. किफायती आवास के लिए 45 लाख रुपये तक का समान मूल्य स्लैब अधिकांश प्रमुख शहरों की बाजार की वास्तविकताओं के अनुरूप नहीं है.

मुंबई जैसे शहर में 45 लाख रुपये बहुत कम है, जहां इसे बढ़ाकर 85 लाख रुपये या उससे अधिक किया जाना चाहिए. अन्य बड़े शहरों में प्राइस स्लैब बढ़ाकर 60-65 लाख रुपये किया जाना चाहिए. इसके परिणामस्वरूप अधिक घरों को किफायती आवास के रूप में अर्हता प्राप्त होगी, जिससे कई और घर खरीदारों को आईटीसी के बिना 1 प्रतिशत कम जीएसटी और अन्य सरकारी सब्सिडी जैसे लाभ प्राप्त करने में मदद मिलेगी.
आवास ऋण ब्याज पर छूट का स्लैब बढ़ाने की मांग
पुरी ने कहा, 'हाउसिंग एंड-यूजर्स के लिए अधिक टैक्स सॉप्स और किफायती हाउसिंग के लिए निवेशकों से भी मांग को बढ़ावा मिलेगा.' आयकर अधिनियम की धारा 24 के तहत आवास ऋण ब्याज पर 2 लाख रुपये की मौजूदा कर छूट को बढ़ाकर कम से कम 5 लाख रुपये किया जाना चाहिए. इससे आवास की मांग में तेजी आएगी, विशेष रूप से लागत-संवेदनशील किफायती खंड में.
2023-24 में किफायती किराये की आवास योजना की उम्मीद
उन्होंने, बजट 2023-24 सरकार की किफायती किराये की आवास योजना को भी आगे बढ़ा सकता है, जिसे महामारी के बाद लॉन्च किया गया था. कोविड-19 ने निम्न आय समूहों पर गंभीर बाधाएं डालीं, जिससे कई लोग घर खरीदने की आकांक्षाओं से पूरी तरह दूर हो गए. इसके लिए सरकार किफायती किराए के आवास परिसरों को प्रोत्साहित करने के लिए बजट का उपयोग कर सकती है जो कम आय वाले समूहों में घर खरीदने की क्षमता में सुधार होने तक अंतर को भर सकती है.
(आईएएनएस)

नई दिल्ली : पिछले साली किफायती आवास की मांग घटी है. रियल एस्टेट सेक्टर को उम्मीद है कि आगामी केंद्रीय बजट में इसे बढ़ावा देने का उपाय किया जाएगा. एएनएआरओसीके के उपभोक्ता भावना सर्वेक्षण ने पाया है कि 2022 में किफायती आवास की मांग में भारी गिरावट आई है. 2018 में शीर्ष सात भारतीय शहरों में लगभग 39 प्रतिशत संपत्ति चाहने वाले 40 लाख रुपये के भीतर किफायती घरों के इच्छुक थे. यह मांग 2022 में अपने सबसे निचले स्तर तक सिकुड़ गई.
शीर्ष सात शहरों में काफी मात्रा में बिना बिके हुए किफायती स्टॉक हैं. 2022 के अंत तक शीर्ष सात शहरों में लगभग 6.30 लाख अनबिकी इकाइयों में से किफायती आवास की हिस्सेदारी 27 प्रतिशत से अधिक है. महामारी के बाद से इस सेगमेंट के लिए मांग कम रही है. सरकार द्वारा 2015 से प्रोत्साहन देना शुरू करने और खरीदारों और डेवलपर्स दोनों के साथ 'सम्मानजनक' बनने के बाद यह सेक्टर पुनर्जीवित हो गया था. हालांकि, महामारी ने किफायती आवास सेक्टर को गंभीर रूप से प्रभावित किया, मांग और आपूर्ति दोनों अपने निम्नतम स्तर तक सिकुड़ गई.
एनएनएआरओसीके के अध्यक्ष अनुज पुरी ने कहा, 'बजट हस्तक्षेप करने का एक संभावित तरीका घरों के लिए मूल्य स्लैब को संशोधित करना है, जो विभिन्न शहरों के विशिष्ट बाजार गतिशीलता के अनुसार किफायती आवास के रूप में योग्य हैं. किफायती आवास के लिए 45 लाख रुपये तक का समान मूल्य स्लैब अधिकांश प्रमुख शहरों की बाजार की वास्तविकताओं के अनुरूप नहीं है.

मुंबई जैसे शहर में 45 लाख रुपये बहुत कम है, जहां इसे बढ़ाकर 85 लाख रुपये या उससे अधिक किया जाना चाहिए. अन्य बड़े शहरों में प्राइस स्लैब बढ़ाकर 60-65 लाख रुपये किया जाना चाहिए. इसके परिणामस्वरूप अधिक घरों को किफायती आवास के रूप में अर्हता प्राप्त होगी, जिससे कई और घर खरीदारों को आईटीसी के बिना 1 प्रतिशत कम जीएसटी और अन्य सरकारी सब्सिडी जैसे लाभ प्राप्त करने में मदद मिलेगी.
आवास ऋण ब्याज पर छूट का स्लैब बढ़ाने की मांग
पुरी ने कहा, 'हाउसिंग एंड-यूजर्स के लिए अधिक टैक्स सॉप्स और किफायती हाउसिंग के लिए निवेशकों से भी मांग को बढ़ावा मिलेगा.' आयकर अधिनियम की धारा 24 के तहत आवास ऋण ब्याज पर 2 लाख रुपये की मौजूदा कर छूट को बढ़ाकर कम से कम 5 लाख रुपये किया जाना चाहिए. इससे आवास की मांग में तेजी आएगी, विशेष रूप से लागत-संवेदनशील किफायती खंड में.
2023-24 में किफायती किराये की आवास योजना की उम्मीद
उन्होंने, बजट 2023-24 सरकार की किफायती किराये की आवास योजना को भी आगे बढ़ा सकता है, जिसे महामारी के बाद लॉन्च किया गया था. कोविड-19 ने निम्न आय समूहों पर गंभीर बाधाएं डालीं, जिससे कई लोग घर खरीदने की आकांक्षाओं से पूरी तरह दूर हो गए. इसके लिए सरकार किफायती किराए के आवास परिसरों को प्रोत्साहित करने के लिए बजट का उपयोग कर सकती है जो कम आय वाले समूहों में घर खरीदने की क्षमता में सुधार होने तक अंतर को भर सकती है.
(आईएएनएस)

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