नई दिल्ली : बीएसई सेंसेक्स ने पिछले सप्ताह पहली बार 50,000 अंक के ऐतिहासिक स्तर को पार किया. ऐसे में बाजार विश्लेषकों का मानना है कि आगामी दिनों में बाजार में मुनाफावसूली का सिलसिला चल सकता है.
विश्लेषकों ने कहा कि अब सभी की निगाहें वित्त वर्ष 2021-22 के बजट पर है. बजट से सेंसेक्स की आगे की यात्रा को दिशा मिलेगी.
बीते साल कोरोना वायरस महामारी के बीच बाजार में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला. बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 24 मार्च को अपने एक साल के निचले स्तर 25,638.9 अंक पर आ गया. हालांकि, आगे साल के दौरान सेंसेक्स रिकॉर्ड स्तर तक चला गया.
कोटक सिक्योरिटीज के कार्यकारी उपाध्यक्ष एवं बुनियादी अनुसंधान प्रमुख रुस्मिक ओझा ने कहा, 'इस कैलेंडर वर्ष की दूसरी छमाही में बाजार 'एकीकरण' के चरण में रहेगा. कैलेंडर वर्ष 2022 से बाजार की आगे बढ़ने की यात्रा फिर शुरू होगी.'
सिर्फ दस माह में बाजार में बड़ा बदलाव है. भारी नुकसान के बाद यह रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा है. वह भी ऐसे समय, जबकि दुनिया स्वास्थ्य संकट से जूझ रही है.
बाजार विश्लेषकों का कहना है कि मार्च में जबर्दस्त गिरावट के बाद बाजार के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के कई कारण हैं. दुनिया के केंद्रीय बैंकों ने वैश्विक वित्तीय प्रणाली में काफी अधिक नकदी डाली है. इसके अलावा हाल के महीनों में वैक्सीन की उम्मीद के बीच खुदरा निवेशकों की भागीदारी में जबर्दस्त उछाल आया है.
यह भी पढ़ें- मार्केट राउंडअप: लगातार 9वें दिन चढ़ें शेयर बाजार, पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर
निवेशकों की धारणा में सुधार के बीच बीएसई की सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण लगातार नए रिकॉर्ड बना रहा है और इस समय यह 194 लाख करोड़ रुपये है. बीएसई की सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 28 नवंबर, 2014 को 100 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े के पार गया था. बीते साल यानी 2020 में निवेशकों की पूंजी 32.49 लाख करोड़ रुपये बढ़ी है.
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के प्रमुख इक्विटी रणनीतिकार हेमांग जानी ने कहा, 'भारतीय बाजार पिछले कुछ माह के दौरान लॉकडाउन के बाद तेज पुनरोद्धार की उम्मीद से काफी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. इसके अलावा सकारात्मक वैश्विक रुख, विदेशी संस्थागत निवेशकों के सतत प्रवाह और कंपनियों के बेहतर तिमाही नतीजों से भी धारणा मजबूत बनी हुई है.'
उन्होंने कहा कि बजट को लेकर चल रही चर्चा से भी बाजार को मजबूती मिली है. बजट से दीर्घावधि की आर्थिक वृद्धि को दिशा मिल सकती है.