हैदराबाद: जब भारतीय शेयर बाजार 2008 के वित्तीय संकट के बाद कोरोनो वायरस महामारी की वजह से गिरते जा रहा थे. तब एक ऐसा सेक्टर भी था जो यू-टर्न लेने की जल्दी में था. वह सेक्टर था फार्मा सेक्टर.
अगर 23 मार्च 2020 के नीचले स्तर से फार्मा सेक्सर को देखा जाए तो यह सेक्टर 30 जून 2020 तक जबरदस्त रिटर्न दे चुका है. फार्मा शेयरों पर नजर रखने वाले बेंचमार्क इंडेक्स बीएसई हेल्थकेयर और निफ्टी फार्मा दोनों इंडेक्स ने क्रमश: 52.5 प्रतिशत और 55 प्रतिशत तक का उछला देखा गया है. इस दौरोन सेंसेक्स और निफ्टी ने क्रमश: 36 प्रतिशत और 37 प्रतिशत प्रतिशत का रिटर्न दिया है.
ध्यान देने योग्य बात यह है कि ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड जैसे प्रमुख फार्मा शेयरों में देखी जाने वाली रैली में 23 मार्च के निचले स्तर से 130 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई है. वहीं, अरबिंदो फार्मा लिमिटेड ने इसी अवधि के दौरान 165 प्रतिशत का रिटर्न दिया है. इस बीच, सिप्ला लिमिटेड के शेयरों में लगभग 67 प्रतिशत, सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने 44 प्रतिशत और डॉ रेड्डी लैबोरेट्रीज ने इस दौरान 41 प्रतिशत का रिटर्न दिया है.
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आखिर क्यों भागे फार्मा शेयर
विशेषज्ञों ने बढ़ती मांग के लिए फार्मा कंपनियों के शेयर की कीमतों में शुरुआती सुधार को जिम्मेदार ठहराया है. इसकी वजह यह है ग्राहकों और फार्मेसियों कि ओर से लॉकडाउन के दौरान दवाओं को स्टॉक करते देखा गया था. एंजेल ब्रोकिंग ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "पेरासिटामोल, इबुप्रोफेन और मल्टीविटामिन जैसी दवाओं की मांग कोरोनोवायरस के प्रकोप के बाद से आसमान छू रही है."
अप्रैल में भारत ने अमेरिका में मलेरिया रोधी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की शिपिंग शुरू कर दी. जहां राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इसे कोविड-19 रोग के खिलाफ संभावित हथियार के रूप में बताया था. भारत सरकार ने पहले अपने निर्यात को सुरक्षित करने के लिए अधिकांश निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था.
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन पर इस तरह के ध्यान ने अपने दो प्रमुख भारतीय निर्माताओं ज़ीडस कैडिला और इप्का लैब्स को बाजार में उस समय पसंदीदा बना दिया था. नतीजतन कैडिला और इप्का लैब्स क्रमशः 23 मार्च 2020 से 25 प्रतिशत और 21 प्रतिशत बढ़े हैं.
इसके आलावे पूरी दुनिया को कोरोना से बचाने के लिए अरबों डोज वैक्सीन की जरूरत होगी. साथ ही इसके लिए कई दवाएं भी बाजार में आई हैं. यही वजह है कि दवा कंपनियों को लेकर निवेशकों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है.
भारतीय फार्मा शेयरों में रैली को वैश्विक स्तर पर इसी तरह के रुझान का समर्थन मिला है. डॉव जोन्स यूएस फार्मास्युटिकल्स इंडेक्स 23 मार्च 2020 को देखे गए चढ़ाव के बाद से लगभग 25 प्रतिशत उछल गया है, जबकि चीन और जापान में फार्मा शेयरों की कीमतों में भी बढ़ोतरी देखी गई है, जो कि सेक्टर के चारों ओर समग्र सकारात्मक भावना के लिए वजन जोड़ रहा है.
लेकिन इतनी तेज उठापटक के बाद क्या निवेशक निकट भविष्य में भी फार्मा शेयरों में सकारात्मक तेजी की उम्मीद कर सकते हैं? धन प्रबंधन मंच सावार्ट के प्रबंध निदेशक संकर्ष चंदा ने कहा, "हम अपने निवेशकों से फार्मा स्टॉक में निवेश के लिए बड़ी संख्या में अनुरोध देख रहे हैं. हालांकि, हम सतर्कता से चल रहे हैं क्योंकि पिछले कुछ महीनों में वैल्यूएशन पहले से ही तेजी से बढ़े हैं और केवल एक या दो उच्च गुणवत्ता वाले शेयर खरीदने की सलाह दे रहें हैं."
(डिस्कलेमर: ईटीवी भारत पाठकों को किसी भी निवेश करने से पहले एक योग्य सलाहकार से परामर्श करने की सलाह देता है.)