नई दिल्ली: पिछले बारह साल से भी अधिक समय के बाद शु्क्रवार को एक बार फिर ऐसा मौका आया जब घरेलू शेयर बाजारों में भारी उतार- चढ़ाव के बीच कारोबार को शुरू होने के कुछ ही समय बाद रोकना पड़ा.
दरअसल, कोरोना वायरस से जुड़ी चिंताओं के चलते शुक्रवार को शेयर बाजारों में कारोबार शुरू होने के 15 मिनट के भीतर ही निचले स्तर पर सर्किट ब्रेकर तक पहुंच गए. इसके बाद कारोबार को 45 मिनट के लिए रोकना पड़ा.
बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी में सुबह नौ बजकर 20 मिनट पर कारोबार को 45 मिनट के लिए रोक दिया गया और फिर साढ़े दस बजे के आसपास कारोबार दोबारा शुरू हुआ.
शेयर बाजार सूचकांक में 10 प्रतिशत, 15 प्रतिशत और 20 प्रतिशत के तीन स्तरों पर उतार-चढ़ाव होने की स्थिति में 'सर्किट ब्रेकर' लग जाता है.
एचडीएफसी सिक्युरिटीज ने नियामकीय ढांचे के आधार पर बताया कि बीएसई और एनएसई में सर्किट ब्रेकर की सीमा पिछले दिन कारोबार बंद होने के स्तर से तय की जाती है.
शेयर बाजारों में प्रतिदिन कारोबार के लिए एक कीमत दायरा तय होता है. इसकी उच्चतम और निम्नतम सीमा होती है, जिसे सर्किट लिमिट कहा जाता है.
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नियमानुसार दोपहर एक बजे से पहले शेयर बाजारों में 10 प्रतिशत का उतार चढ़ाव होने के पर कारोबार को 45 मिनट के लिए रोक दिया जाता है. दोपहर एक बजे से ढाई बजे के बीच 10 प्रतिशत के उतार-चढ़ाव पर कारोबार को 15 मिनट का विराम लगाया जाता है. जबकि ढाई बजे के बाद इस तरह के उतार-चढ़ाव पर कारोबार नहीं रोका जाता है.
इसी तरह एक बजे से पहले शेयर बाजारों में 15 प्रतिशत के उतार-चढ़ाव पर कारोबार को पौने दो घंटे के लिए और दोपहर एक बजे से दो बजे के बीच में 45 मिनट के लिए रोक दिया जाता है. जबकि दो बजे के बाद इस तरह की स्थिति बनती है तो उस दिन के लिए शेयरों का कारोबार बंद कर दिया जाता है.
शेयर बाजारों में दिन में कारोबार के दौरान किसी भी समय उतार-चढ़ाव के 20 प्रतिशत पर पहुंच जाने के लिए कारोबार को उस दिन के लिए बंद कर दिया जाता है.
(पीटीआई-भाषा)