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अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक है कोरोना के बढ़ते मामले: विनीत राय

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Published : Sep 7, 2020, 1:58 PM IST

Updated : Sep 7, 2020, 5:40 PM IST

विनीत ने कहा कि सरकार ने लॉकडाउन के दौरान अर्थव्यवस्था और आपूर्ति श्रृंखलाओं को नहीं समझने में कुछ बुनियादी गलतियां कीं. लॉकडाउन के दौरान आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो गई और इसने अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया.

अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक है कोरोना के बढ़ते मामले: विनीत राय
अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक है कोरोना के बढ़ते मामले: विनीत राय

नई दिल्ली: शीर्ष निवेशक और अविष्कार ग्रुप के अध्यक्ष विनीत राय ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोरोना का वास्तविक प्रभाव सर्दियों में अपने चरम पर होगा. उन्होंने कहा कि अब इससे भी बुरा समय आने वाला है क्योंकि सड़कों पर यातायात सामान्य हो गया लेकिन आपूर्ति श्रृंखला अभी भी बाधित है. वहीं, लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था बेपटरी हो गई है.

विनीत राय का कहना है कि देश में कोरोना मामलों की संख्या में खतरनाक वृद्धि हुई है और यह अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ा खतरा है.

इस साल मार्च में भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों और उधार देने वाली संस्थाओं को ऋण चुकौती पर 3 महीने की मोहलत देने की अनुमति दी थी ताकि व्यवसायों और वेतनभोगी वर्ग पर वित्तीय बोझ कम हो सके क्योंकि देश पूरी तरह से बंद था. अधिस्थगन को 3 महीने के लिए बढ़ाकर 31 अगस्त तक कर दिया गया था.

ये भी पढ़ें- ट्रंप सरकार ने अर्थव्यवस्था को संभालने के लिये झोंके तीन हजार अरब डॉलर: म्नूचिन

ऋण स्थगन ने वेतनभोगी वर्ग और व्यवसाय को लॉकडाउन के दौरान अपनी ईएमआई का भुगतान नहीं करने की अनुमति दी थी अगर उन्हें वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इसी अवधि के दौरान राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ था.

विनीत ने कहा, "वास्तविकता यह है कि आपूर्ति श्रृंखलाओं को बड़े पैमाने पर बाधित किया जा रहा है. मेरे विचार में, सरकार ने लॉकडाउन के दौरान अर्थव्यवस्था और आपूर्ति श्रृंखलाओं को नहीं समझने में कुछ बुनियादी त्रुटियां कीं. लॉकडाउन के दौरान, आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो गई और इसने अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया."

राय ने कहा, "यह अच्छे इरादों के साथ किया गया था लेकिन इन अच्छे इरादों को राज्यों सही से लागू नहीं किया गया. आपूर्ति के बारे में चिंतित होने के बावजूद केंद्रीय गृह मंत्रालय की सलाह के विपरीत लॉकडाउन लागू करना जारी है." राय ने प्रतिकूल प्रभाव की व्याख्या करते हुए कहा देश की अर्थव्यवस्था पर व्यापक लॉकडाउन ने नकरात्मक असर डाला है.

एनएसओ द्वारा जारी किए गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत का जीडीपी इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के दौरान आजादी के बाद से अब तक का सबसे बड़ा संकुचन है, जब देश पूरी तरह से बंद था. एनएसओ के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल की समान अवधि में 5.2% की वृद्धि के मुकाबले इस तिमाही में जीडीपी -23.9% थी.

उन्होंने कहा, "चुनौतियां हैं और वे चुनौतियां कारोबार में प्रतिबिंबित होंगी और उपभोक्ताओं के व्यवहार में भी बदलाव होगा. आप एक मॉल में जा सकते हैं और यह देखने का प्रयास कर सकते हैं कि क्या हो रहा है." विनीत राय ने उपभोक्ता व्यवहार को उजागर करते हुए कहा कि वैश्विक महामारी के कारण अनिश्चितता के कारण जोखिम का खतरा बन गया है.

अत्यधिक संक्रामक कोरोना वायरस जो पहली बार पिछले साल के अंत में चीन के वुहान क्षेत्र में पाया गया था उसने देश में 71,600 से अधिक लोग और दुनिया भर में 8,87,000 से अधिक लोगों की जान ले चुका है.

कोरोना वायरस ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और औद्योगिक गतिविधि में अभूतपूर्व व्यवधान पैदा किया है और इसके परिणामस्वरूप वैश्विक अर्थव्यवस्था में 9 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है.

(कृष्णानन्द त्रिपाठी, ईटीवी भारत)

नई दिल्ली: शीर्ष निवेशक और अविष्कार ग्रुप के अध्यक्ष विनीत राय ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोरोना का वास्तविक प्रभाव सर्दियों में अपने चरम पर होगा. उन्होंने कहा कि अब इससे भी बुरा समय आने वाला है क्योंकि सड़कों पर यातायात सामान्य हो गया लेकिन आपूर्ति श्रृंखला अभी भी बाधित है. वहीं, लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था बेपटरी हो गई है.

विनीत राय का कहना है कि देश में कोरोना मामलों की संख्या में खतरनाक वृद्धि हुई है और यह अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ा खतरा है.

इस साल मार्च में भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों और उधार देने वाली संस्थाओं को ऋण चुकौती पर 3 महीने की मोहलत देने की अनुमति दी थी ताकि व्यवसायों और वेतनभोगी वर्ग पर वित्तीय बोझ कम हो सके क्योंकि देश पूरी तरह से बंद था. अधिस्थगन को 3 महीने के लिए बढ़ाकर 31 अगस्त तक कर दिया गया था.

ये भी पढ़ें- ट्रंप सरकार ने अर्थव्यवस्था को संभालने के लिये झोंके तीन हजार अरब डॉलर: म्नूचिन

ऋण स्थगन ने वेतनभोगी वर्ग और व्यवसाय को लॉकडाउन के दौरान अपनी ईएमआई का भुगतान नहीं करने की अनुमति दी थी अगर उन्हें वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इसी अवधि के दौरान राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ था.

विनीत ने कहा, "वास्तविकता यह है कि आपूर्ति श्रृंखलाओं को बड़े पैमाने पर बाधित किया जा रहा है. मेरे विचार में, सरकार ने लॉकडाउन के दौरान अर्थव्यवस्था और आपूर्ति श्रृंखलाओं को नहीं समझने में कुछ बुनियादी त्रुटियां कीं. लॉकडाउन के दौरान, आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो गई और इसने अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया."

राय ने कहा, "यह अच्छे इरादों के साथ किया गया था लेकिन इन अच्छे इरादों को राज्यों सही से लागू नहीं किया गया. आपूर्ति के बारे में चिंतित होने के बावजूद केंद्रीय गृह मंत्रालय की सलाह के विपरीत लॉकडाउन लागू करना जारी है." राय ने प्रतिकूल प्रभाव की व्याख्या करते हुए कहा देश की अर्थव्यवस्था पर व्यापक लॉकडाउन ने नकरात्मक असर डाला है.

एनएसओ द्वारा जारी किए गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत का जीडीपी इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के दौरान आजादी के बाद से अब तक का सबसे बड़ा संकुचन है, जब देश पूरी तरह से बंद था. एनएसओ के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल की समान अवधि में 5.2% की वृद्धि के मुकाबले इस तिमाही में जीडीपी -23.9% थी.

उन्होंने कहा, "चुनौतियां हैं और वे चुनौतियां कारोबार में प्रतिबिंबित होंगी और उपभोक्ताओं के व्यवहार में भी बदलाव होगा. आप एक मॉल में जा सकते हैं और यह देखने का प्रयास कर सकते हैं कि क्या हो रहा है." विनीत राय ने उपभोक्ता व्यवहार को उजागर करते हुए कहा कि वैश्विक महामारी के कारण अनिश्चितता के कारण जोखिम का खतरा बन गया है.

अत्यधिक संक्रामक कोरोना वायरस जो पहली बार पिछले साल के अंत में चीन के वुहान क्षेत्र में पाया गया था उसने देश में 71,600 से अधिक लोग और दुनिया भर में 8,87,000 से अधिक लोगों की जान ले चुका है.

कोरोना वायरस ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और औद्योगिक गतिविधि में अभूतपूर्व व्यवधान पैदा किया है और इसके परिणामस्वरूप वैश्विक अर्थव्यवस्था में 9 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है.

(कृष्णानन्द त्रिपाठी, ईटीवी भारत)

Last Updated : Sep 7, 2020, 5:40 PM IST
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