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कोरोना के कारण बढ़ी मसालों की मांग, निर्यात 23 प्रतिशत उछला

उद्योग के आधिकारिक आंकड़ों के हवाले से एसोचैम ने कहा कि विनिमय दर की बढ़त के कारण घरेलू मुद्रा के रूप में निर्यातकों को कहीं बेहतर मुनाफा मिला और रुपये की मद में जून 2020 में निर्यात 34 प्रतिशत बढ़कर 2,721 करोड़ रुपये हो गया.

कोरोना के कारण बढ़ी मसालों की मांग, निर्यात 23 प्रतिशत उछला
कोरोना के कारण बढ़ी मसालों की मांग, निर्यात 23 प्रतिशत उछला
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Published : Jul 20, 2020, 3:47 PM IST

नई दिल्ली: व्यापार संगठन एसोचैम ने रविवार को कहा कि भारत से मसालों का निर्यात जून 2020 में 23 प्रतिशत बढ़कर 35.9 करोड़ डॉलर (करीब 2,690 करोड़ रुपये) हो गया, जो जून 2019 में 29.2 करोड़ डॉलर (2,190 करोड़ रुपये) था.

व्यापार संगठन द्वारा किए गए अध्ययन में यह भी पाया गया कि घरेलू बाजार में मसालों की बढ़ती मांग के कारण जून में उनकी कीमतों में लगभग 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जबकि इस दौरान उपभोक्ता मूल्यों पर आधारित मुद्रास्फीति इससे आधी थी.

ये भी पढ़ें- कैफे कॉफी डे ने अप्रैल-जून में 280 आउटलेटों को बंद किया

उद्योग के आधिकारिक आंकड़ों के हवाले से एसोचैम ने कहा कि विनिमय दर की बढ़त के कारण घरेलू मुद्रा के रूप में निर्यातकों को कहीं बेहतर मुनाफा मिला और रुपये की मद में जून 2020 में निर्यात 34 प्रतिशत बढ़कर 2,721 करोड़ रुपये हो गया.

मसालों के निर्यात में वृद्धि महत्वपूर्ण है क्योंकि आंकड़ा उस समय आया है जब जून 2019 में 25.01 बिलियन डॉलर के मुकाबले भारत का कुल निर्यात जून में 12.4 प्रतिशत घटकर 21.91 बिलियन डॉलर हो गया है.

कोविड-19 महामारी का प्रकोप और इसके बाद दुनिया भर में लोगों में स्वास्थ्य पर ध्यान देने की वृद्धि को मसाले के निर्यात में उछाल के पीछे प्रमुख कारणों के रूप में देखा जा रहा है.

कृषि निर्यात नीति विश्लेषक और वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के पूर्व सलाहकार डॉ. परशराम पाटिल ने कहा, "कोविड के कारण, संपूर्ण भोजन आहार प्रणाली बदल गई है. लोग स्वाभाविक रूप से अपनी प्रतिरक्षा को बढ़ावा देना चाहते हैं और इसलिए हम मसालों की मजबूत मांग देख रहे हैं."

भारत में पिछले कुछ महीनों से मसालों की मजबूत मांग देखी जा रही है. मई में में मसाले के निर्यात ने साल-दर-साल 10.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जबकि अप्रैल 2020 में यह 32.2 प्रतिशत थी.

उन्होंने कहा कि मसालों की मांग पिछले 10-15 वर्षों से सबसे अच्छी है और इसने गति पकड़ ली है क्योंकि मसालों का मजबूत औषधीय महत्व है. अकेले हल्दी का उपयोग कई औषधीय दवाओं के निर्माण में किया जाता है.

काली मिर्च, इलायची, अदरक, हल्दी, धनिया, जीरा, अजवाइन, सौंफ, मेथी, जायफल, मसाले के तेल और ओलेसिन के साथ भारत दुनिया का सबसे बड़ा मसाला निर्यातक है और पुदीने के कुछ उत्पादों को विदेशों में भेजा जाता है.

भारतीय मसालों के सबसे बड़े खरीदारों में वियतनाम, चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, बांग्लादेश, मलेशिया, यूएई, इंडोनेशिया, थाईलैंड और ईरान शामिल हैं.

मसालों की मांग में वैश्विक उछाल भारत के लिए और भी अधिक फायदेमंद रहा है क्योंकि देश ने इन वस्तुओं के उत्पादन में अपना नेतृत्व बनाए रखा है. भारत में कृषि-जलवायु परिस्थितियों का एक अनूठा समूह है जो मसालों के उत्पादन के लिए आदर्श है. कोई अन्य देश उस तरह की विविधता और गुणवत्ता का उत्पादन करने में सक्षम नहीं है, जो भारत में उपलब्ध है.

उन्होंने कहा, "देश में मसालों का प्रचुर मात्रा में उत्पादन होता है. इसके अलावा, आयुष मंत्रालय मसालों के बोर्ड के साथ मसालों के लाभों को बढ़ावा देने के लिए बहुत काम किया है. जिसके परिणामस्वरूप मांग में वृद्धि हुई है.

मजबूत मांग के कारण मसाला उत्पादकों को भी अधिक लाभ मिला है. एसोचैम के अध्ययन में देखा गया है कि घरेलू बाजार में मसालों की बढ़ती मांग के कारण जून में उनकी कीमतों में 12 प्रतिशत की तेज वृद्धि हुई. जबकि कुल मिलाकर खुदरा मुद्रास्फीति महज 6 प्रतिशत थी.

(ईटीवी भारत रिपोर्ट)

नई दिल्ली: व्यापार संगठन एसोचैम ने रविवार को कहा कि भारत से मसालों का निर्यात जून 2020 में 23 प्रतिशत बढ़कर 35.9 करोड़ डॉलर (करीब 2,690 करोड़ रुपये) हो गया, जो जून 2019 में 29.2 करोड़ डॉलर (2,190 करोड़ रुपये) था.

व्यापार संगठन द्वारा किए गए अध्ययन में यह भी पाया गया कि घरेलू बाजार में मसालों की बढ़ती मांग के कारण जून में उनकी कीमतों में लगभग 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जबकि इस दौरान उपभोक्ता मूल्यों पर आधारित मुद्रास्फीति इससे आधी थी.

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उद्योग के आधिकारिक आंकड़ों के हवाले से एसोचैम ने कहा कि विनिमय दर की बढ़त के कारण घरेलू मुद्रा के रूप में निर्यातकों को कहीं बेहतर मुनाफा मिला और रुपये की मद में जून 2020 में निर्यात 34 प्रतिशत बढ़कर 2,721 करोड़ रुपये हो गया.

मसालों के निर्यात में वृद्धि महत्वपूर्ण है क्योंकि आंकड़ा उस समय आया है जब जून 2019 में 25.01 बिलियन डॉलर के मुकाबले भारत का कुल निर्यात जून में 12.4 प्रतिशत घटकर 21.91 बिलियन डॉलर हो गया है.

कोविड-19 महामारी का प्रकोप और इसके बाद दुनिया भर में लोगों में स्वास्थ्य पर ध्यान देने की वृद्धि को मसाले के निर्यात में उछाल के पीछे प्रमुख कारणों के रूप में देखा जा रहा है.

कृषि निर्यात नीति विश्लेषक और वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के पूर्व सलाहकार डॉ. परशराम पाटिल ने कहा, "कोविड के कारण, संपूर्ण भोजन आहार प्रणाली बदल गई है. लोग स्वाभाविक रूप से अपनी प्रतिरक्षा को बढ़ावा देना चाहते हैं और इसलिए हम मसालों की मजबूत मांग देख रहे हैं."

भारत में पिछले कुछ महीनों से मसालों की मजबूत मांग देखी जा रही है. मई में में मसाले के निर्यात ने साल-दर-साल 10.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जबकि अप्रैल 2020 में यह 32.2 प्रतिशत थी.

उन्होंने कहा कि मसालों की मांग पिछले 10-15 वर्षों से सबसे अच्छी है और इसने गति पकड़ ली है क्योंकि मसालों का मजबूत औषधीय महत्व है. अकेले हल्दी का उपयोग कई औषधीय दवाओं के निर्माण में किया जाता है.

काली मिर्च, इलायची, अदरक, हल्दी, धनिया, जीरा, अजवाइन, सौंफ, मेथी, जायफल, मसाले के तेल और ओलेसिन के साथ भारत दुनिया का सबसे बड़ा मसाला निर्यातक है और पुदीने के कुछ उत्पादों को विदेशों में भेजा जाता है.

भारतीय मसालों के सबसे बड़े खरीदारों में वियतनाम, चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, बांग्लादेश, मलेशिया, यूएई, इंडोनेशिया, थाईलैंड और ईरान शामिल हैं.

मसालों की मांग में वैश्विक उछाल भारत के लिए और भी अधिक फायदेमंद रहा है क्योंकि देश ने इन वस्तुओं के उत्पादन में अपना नेतृत्व बनाए रखा है. भारत में कृषि-जलवायु परिस्थितियों का एक अनूठा समूह है जो मसालों के उत्पादन के लिए आदर्श है. कोई अन्य देश उस तरह की विविधता और गुणवत्ता का उत्पादन करने में सक्षम नहीं है, जो भारत में उपलब्ध है.

उन्होंने कहा, "देश में मसालों का प्रचुर मात्रा में उत्पादन होता है. इसके अलावा, आयुष मंत्रालय मसालों के बोर्ड के साथ मसालों के लाभों को बढ़ावा देने के लिए बहुत काम किया है. जिसके परिणामस्वरूप मांग में वृद्धि हुई है.

मजबूत मांग के कारण मसाला उत्पादकों को भी अधिक लाभ मिला है. एसोचैम के अध्ययन में देखा गया है कि घरेलू बाजार में मसालों की बढ़ती मांग के कारण जून में उनकी कीमतों में 12 प्रतिशत की तेज वृद्धि हुई. जबकि कुल मिलाकर खुदरा मुद्रास्फीति महज 6 प्रतिशत थी.

(ईटीवी भारत रिपोर्ट)

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