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आईएमएफ ने आगाह किया, रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच सकता है वैश्विक सार्वजनिक ऋण, राजकोषीय घाटा

आईएमएफ के राजकोषीय मामलों के विभाग के निदेशक विटोर गैस्पर ने पीटीआई-भाषा से कहा कि उत्पादन में भारी गिरावट और इसके साथ राजस्व में कमी तथा उल्लेखनीय विवेकाधीन समर्थन से सरकार का कर्ज और राजकोषीय घाटा बढ़ेगा.

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Published : Jul 10, 2020, 8:22 PM IST

आईएमएफ ने आगाह किया, रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच सकता है वैश्विक सार्वजनिक ऋण, राजकोषीय घाटा
आईएमएफ ने आगाह किया, रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच सकता है वैश्विक सार्वजनिक ऋण, राजकोषीय घाटा

वॉशिंगटन: अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने आगाह किया है कि चालू वित्त वर्ष 2020-21 में वैश्विक सार्वजनिक ऋण सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 100 प्रतिशत के पार जा सकता है. इसके अलावा 2020 में औसत कुल राजकोषीय घाटा जीडीपी के 14 प्रतिशत के बराबर रह सकता है.

आईएमएफ ने कहा है कि यह सार्वजनिक ऋण और राजकोषीय घाटे का सर्वकालिक उच्चस्तर होगा.

आईएमएफ के राजकोषीय मामलों के विभाग के निदेशक विटोर गैस्पर ने पीटीआई-भाषा से कहा कि उत्पादन में भारी गिरावट और इसके साथ राजस्व में कमी तथा उल्लेखनीय विवेकाधीन समर्थन से सरकार का कर्ज और राजकोषीय घाटा बढ़ेगा.

गैस्पर ने कहा, "वैश्विक सार्वजनिक ऋण 2020-21 में अपने सर्वकालिक उच्चस्तर जीडीपी के 100 प्रतिशत से अधिक पर पहुंचने की आशंका है. एक साल पहले की तुलना में यह करीब 20 प्रतिशत अंक की बढ़ोतरी होगी."

उन्होंने कहा कि आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं मसलन अमेरिका, जापान और यूरोपीय देशों में सार्वजनिक ऋण में अधिक बढ़ोतरी देखने को मिलेगी.

उन्होंने कहा, "इसके अलावा औसत कुल राजकोषीय घाटे के 2020 में जीडीपी के 14 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान है. यह पिछले साल की तुलना में 10 प्रतिशत अंक अधिक होगा."

ये भी पढ़ें: अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत, उद्योग जगत आगे आये और निवेश करें: अनुराग ठाकुर

उन्होंने कहा कि इससे पहले सार्वजनिक ऋण और राजकोषीय घाटे में इतनी अधिक बढ़ोतरी देखने को नहीं मिली है. गैस्पर ने कहा कि आधुनिक और उभरती अर्थव्यवस्थाओं में वैश्विक सार्वजनिक ऋण और राजकोषीय घाटा उच्चस्तर पर पहुंचेगी, लेकिन इस दौरान इन देशों में ब्याज दरें रिकॉर्ड निचले स्तर पर रहेंगी.

उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीतिक दबाव के अभाव में ब्याज दरों के नीचे रहने के आसार हैं. इसके अलावा कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं में ऋण तो उच्चस्तर पर होगा, लेकिन इनके भुगतान की लागत घटेगी.

उन्होंने कहा कि इसके बावजूद सतर्कता बरतने की जरूरत है. गैस्पर का मानना है कि कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं को दीर्घावधि का राजकोषीय दबाव झेलना पड़ सकता है.

आईएमएफ के अधिकारी ने चेताते हुए कहा कि यदि वित्तीय स्थितियां और सख्त होती हैं, तो कुछ उभरती अर्थव्यवस्थाओं का कर्ज का बोझ आगे खिसक सकता है. इससे उनके लिए कर्ज की लागत बढ़ जाएगी। ऐसा ही कुछ मार्च में देखने को मिला था.

(पीटीआई-भाषा)

वॉशिंगटन: अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने आगाह किया है कि चालू वित्त वर्ष 2020-21 में वैश्विक सार्वजनिक ऋण सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 100 प्रतिशत के पार जा सकता है. इसके अलावा 2020 में औसत कुल राजकोषीय घाटा जीडीपी के 14 प्रतिशत के बराबर रह सकता है.

आईएमएफ ने कहा है कि यह सार्वजनिक ऋण और राजकोषीय घाटे का सर्वकालिक उच्चस्तर होगा.

आईएमएफ के राजकोषीय मामलों के विभाग के निदेशक विटोर गैस्पर ने पीटीआई-भाषा से कहा कि उत्पादन में भारी गिरावट और इसके साथ राजस्व में कमी तथा उल्लेखनीय विवेकाधीन समर्थन से सरकार का कर्ज और राजकोषीय घाटा बढ़ेगा.

गैस्पर ने कहा, "वैश्विक सार्वजनिक ऋण 2020-21 में अपने सर्वकालिक उच्चस्तर जीडीपी के 100 प्रतिशत से अधिक पर पहुंचने की आशंका है. एक साल पहले की तुलना में यह करीब 20 प्रतिशत अंक की बढ़ोतरी होगी."

उन्होंने कहा कि आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं मसलन अमेरिका, जापान और यूरोपीय देशों में सार्वजनिक ऋण में अधिक बढ़ोतरी देखने को मिलेगी.

उन्होंने कहा, "इसके अलावा औसत कुल राजकोषीय घाटे के 2020 में जीडीपी के 14 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान है. यह पिछले साल की तुलना में 10 प्रतिशत अंक अधिक होगा."

ये भी पढ़ें: अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत, उद्योग जगत आगे आये और निवेश करें: अनुराग ठाकुर

उन्होंने कहा कि इससे पहले सार्वजनिक ऋण और राजकोषीय घाटे में इतनी अधिक बढ़ोतरी देखने को नहीं मिली है. गैस्पर ने कहा कि आधुनिक और उभरती अर्थव्यवस्थाओं में वैश्विक सार्वजनिक ऋण और राजकोषीय घाटा उच्चस्तर पर पहुंचेगी, लेकिन इस दौरान इन देशों में ब्याज दरें रिकॉर्ड निचले स्तर पर रहेंगी.

उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीतिक दबाव के अभाव में ब्याज दरों के नीचे रहने के आसार हैं. इसके अलावा कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं में ऋण तो उच्चस्तर पर होगा, लेकिन इनके भुगतान की लागत घटेगी.

उन्होंने कहा कि इसके बावजूद सतर्कता बरतने की जरूरत है. गैस्पर का मानना है कि कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं को दीर्घावधि का राजकोषीय दबाव झेलना पड़ सकता है.

आईएमएफ के अधिकारी ने चेताते हुए कहा कि यदि वित्तीय स्थितियां और सख्त होती हैं, तो कुछ उभरती अर्थव्यवस्थाओं का कर्ज का बोझ आगे खिसक सकता है. इससे उनके लिए कर्ज की लागत बढ़ जाएगी। ऐसा ही कुछ मार्च में देखने को मिला था.

(पीटीआई-भाषा)

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