मुंबई: खुदरा मुद्रास्फीति 2019-20 में 0.60 प्रतिशत बढ़कर 4 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है. रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर ही गौर करता है. एक रिपोर्ट में यह कहा गया है.
घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में वृद्धि का कारण प्रमुख रूप से खाद्य महंगाई दर में बढ़ोतरी होगी और इसके 0.1 प्रतिशत से बढ़कर 3 प्रतिशत पर पहुंच जाने का अनुमान है. कुल मिलाकर महंगाई दर में वृद्धि का कारण सांख्यिकी यानी तुलनात्मक आधार कमजोर होना है.
ये भी पढ़ें- नाबार्ड ने कृषि, ग्रामीण क्षेत्र की स्टार्टअप कंपनियों के लिए बनाया 700 करोड़ रुपये का कोष
उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने मध्यम अवधि के लिये मुद्रास्फीति 2 प्रतिशत घटबढ़ के साथ 4 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य रखा है. क्रिसिल ने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 में लगातार दूसरी बार मुद्रास्फीति आरबीआई के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे रही. रेटिंग एजेंसी के मुख्य अर्थशास्त्री डी के जोशी ने कहा कि अगर आरबीआई को महंगाई दर को काबू में रखने के लक्ष्य को प्राप्त करना है तो खाद्य मुद्रास्फीति निम्न स्तर पर बनी रहनी चाहिए.
अपनी विशेष रिपोर्ट में एजेंसी ने महंगाई दर के बारे में दो परिदृश्य रखे हैं. क्रिसिल के अनुसार महंगाई दर अगर बढ़ती है तो इसमें बारिश की अहम भूमिका होगी. अल नीनो प्रभाव के कारण इसके सामान्य से कम रहने की आशंका है जिससे खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर बढ़ेगी और इससे सकल यानी हेडलाइन मुद्रास्फीति बढ़कर 5 प्रतिशत हो सकती है.
वहीं दूसरी तरफ नीचे की तरफ यह 3.5 प्रतिशत रह सकती है बशर्ते खाद्य महंगाई दर उम्मीद से नीचे रहे. इसके अलावा महंगाई दर के नीचे रहने के अन्य कारण आर्थिक नरमी तथा सरकार का नियंत्रित व्यय करना है. ईंधन की कीमतों में उतार-चढ़ाव के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका सकल मुद्रास्फीति पर सीमित प्रभाव पड़ेगा क्योंकि इसका भारांश कम है.
खुदरा मुद्रास्फीति 2019-20 में बढ़कर हो सकती है चार प्रतिशत
घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में वृद्धि का कारण प्रमुख रूप से खाद्य महंगाई दर में बढ़ोतरी होगी और इसके 0.1 प्रतिशत से बढ़कर 3 प्रतिशत पर पहुंच जाने का अनुमान है.
मुंबई: खुदरा मुद्रास्फीति 2019-20 में 0.60 प्रतिशत बढ़कर 4 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है. रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर ही गौर करता है. एक रिपोर्ट में यह कहा गया है.
घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में वृद्धि का कारण प्रमुख रूप से खाद्य महंगाई दर में बढ़ोतरी होगी और इसके 0.1 प्रतिशत से बढ़कर 3 प्रतिशत पर पहुंच जाने का अनुमान है. कुल मिलाकर महंगाई दर में वृद्धि का कारण सांख्यिकी यानी तुलनात्मक आधार कमजोर होना है.
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उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने मध्यम अवधि के लिये मुद्रास्फीति 2 प्रतिशत घटबढ़ के साथ 4 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य रखा है. क्रिसिल ने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 में लगातार दूसरी बार मुद्रास्फीति आरबीआई के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे रही. रेटिंग एजेंसी के मुख्य अर्थशास्त्री डी के जोशी ने कहा कि अगर आरबीआई को महंगाई दर को काबू में रखने के लक्ष्य को प्राप्त करना है तो खाद्य मुद्रास्फीति निम्न स्तर पर बनी रहनी चाहिए.
अपनी विशेष रिपोर्ट में एजेंसी ने महंगाई दर के बारे में दो परिदृश्य रखे हैं. क्रिसिल के अनुसार महंगाई दर अगर बढ़ती है तो इसमें बारिश की अहम भूमिका होगी. अल नीनो प्रभाव के कारण इसके सामान्य से कम रहने की आशंका है जिससे खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर बढ़ेगी और इससे सकल यानी हेडलाइन मुद्रास्फीति बढ़कर 5 प्रतिशत हो सकती है.
वहीं दूसरी तरफ नीचे की तरफ यह 3.5 प्रतिशत रह सकती है बशर्ते खाद्य महंगाई दर उम्मीद से नीचे रहे. इसके अलावा महंगाई दर के नीचे रहने के अन्य कारण आर्थिक नरमी तथा सरकार का नियंत्रित व्यय करना है. ईंधन की कीमतों में उतार-चढ़ाव के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका सकल मुद्रास्फीति पर सीमित प्रभाव पड़ेगा क्योंकि इसका भारांश कम है.
खुदरा मुद्रास्फीति 2019-20 में बढ़कर हो सकती है चार प्रतिशत
मुंबई: खुदरा मुद्रास्फीति 2019-20 में 0.60 प्रतिशत बढ़कर 4 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है. रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर ही गौर करता है. एक रिपोर्ट में यह कहा गया है.
घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में वृद्धि का कारण प्रमुख रूप से खाद्य महंगाई दर में बढ़ोतरी होगी और इसके 0.1 प्रतिशत से बढ़कर 3 प्रतिशत पर पहुंच जाने का अनुमान है. कुल मिलाकर महंगाई दर में वृद्धि का कारण सांख्यिकी यानी तुलनात्मक आधार कमजोर होना है.
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उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने मध्यम अवधि के लिये मुद्रास्फीति 2 प्रतिशत घटबढ़ के साथ 4 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य रखा है. क्रिसिल ने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 में लगातार दूसरी बार मुद्रास्फीति आरबीआई के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे रही. रेटिंग एजेंसी के मुख्य अर्थशास्त्री डी के जोशी ने कहा कि अगर आरबीआई को महंगाई दर को काबू में रखने के लक्ष्य को प्राप्त करना है तो खाद्य मुद्रास्फीति निम्न स्तर पर बनी रहनी चाहिए.
अपनी विशेष रिपोर्ट में एजेंसी ने महंगाई दर के बारे में दो परिदृश्य रखे हैं. क्रिसिल के अनुसार महंगाई दर अगर बढ़ती है तो इसमें बारिश की अहम भूमिका होगी. अल नीनो प्रभाव के कारण इसके सामान्य से कम रहने की आशंका है जिससे खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर बढ़ेगी और इससे सकल यानी हेडलाइन मुद्रास्फीति बढ़कर 5 प्रतिशत हो सकती है.
वहीं दूसरी तरफ नीचे की तरफ यह 3.5 प्रतिशत रह सकती है बशर्ते खाद्य महंगाई दर उम्मीद से नीचे रहे. इसके अलावा महंगाई दर के नीचे रहने के अन्य कारण आर्थिक नरमी तथा सरकार का नियंत्रित व्यय करना है. ईंधन की कीमतों में उतार-चढ़ाव के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका सकल मुद्रास्फीति पर सीमित प्रभाव पड़ेगा क्योंकि इसका भारांश कम है.
Conclusion: