ETV Bharat / business

पेट्रोल पंप पर इस्तेमाल हुए 500, 1000 रुपये के पुराने नोटों का आकंड़ा नहीं: आरबीआई

भारतीय रिजर्व बैंक ने एक आरटीआई के जवाब में कहा कि नोटबंदी के दौरान पेट्रोल पंप, रेलवे टिकट और बिजली पानी आदिके बिलों के भुगतान में इस्तेमाल 500 और 1,000 रुपये के नोटों का उसके पास कोई आंकड़ा नहीं है.

कॉन्सेप्ट इमेज।
author img

By

Published : Mar 10, 2019, 4:41 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि नोटबंदी के दौरान पेट्रोल पंप , रेलवे टिकट और बिजली पानी आदि के बिलों के भुगतान में लोगों द्वारा इस्तेमाल किए गए 500 और 1,000 रुपये पुराने नोटों का उसके पास कोई आंकड़ा नहीं है. माना जा रहा है ऐसे भुगतानों के जरिए ऐसे नोट अच्छी खासी संख्या में पुन: बैंकों में वापस आ गए थे. आरबीआई ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई एक जानकारी के जवाब में यह बात कही.

ज्ञात हो कि आठ नवंबर 2016 को 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने का अप्रत्याशित निर्णय किया गया था, लेकिन लोगों की सहूलियत के लिए सरकार ने 23 सेवाओं के बिलों का भुगतान कुछ समय के लिए ऐसे पुराने नोट के जरिए करने की छूट दे रखी थी.

इन सेवाओं में सरकारी अस्पताल, रेल, सार्वजनिक परिवहन, हवाई अड्डों पर विमान टिकट, दुग्ध केंद्रों, श्मशान / कब्रिस्तान, पेट्रोल पंप, मेट्रो रेल टिकट, डॉक्टर के पर्चे पर सरकारी और निजी फार्मेसी से दवा खरीदने, एलपीजी गैस सिलेंडर, रेलवे खानपान, बिजली और पानी के बिल, एएसआई स्मारकों के प्रवेश टिकट और पथ-कर नाकों पर शुल्क आदि शामिल थे.

सरकार ने 25 नवंबर 2016 से 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट बदलने पर रोक लगा दी थी और इन उक्त सेवाओं के लिए केवल सिर्फ 500 का पुराना नोट स्वीकार करने की अनुमति दी थी. यह अनुमति 15 दिसंबर 2016 तक के लिए दी गई थी. हालांकि, सरकार ने 2 दिसंबर 2016 से पेट्रोल पंप और हवाई अड्डों पर टिकट खरीदने में 500 रुपये के पुराने नोटों का इस्तेमाल भी रोक दिया था.

आरटीआई के जवाब में रिजर्व बैंक ने कहा, "बिलों के भुगताने के लिए इस्तेमाल किए गए पुराने नोटों के संबंध में हमारे पास जानकारी उपलब्ध नहीं है." आरबीआई ने पिछले साल अगस्त में कहा था कि 500 और 1,000 रुपये के 99.3 प्रतिशत नोट बैंकिंग प्रणाली में वापस आ गए हैं. नोटबंदी के समय 500 और 1,000 रुपये मूल्य वाले 15.41 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे. इनमें से 15.31 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों के पास वापस आ चुके हैं.

अमान्य या बदले गए पुराने नोटों की संख्या और मूल्य को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में रिजर्व बैंक ने 28 नवंबर 2016 को जारी बयान का हवाला दिया. इसमें कहा गया था कि 10 नवंबर से 27 नवंबर तक बैंकों में 8,44,982 करोड़ रुपये के चलन से बाहर किए जाने वाले नोट जमा किए गए हैं या बदले गए हैं. इसमें कहा गया था कि इनमें से 33,948 करोड़ रुपये के पुराने नोट बदले गए थे और 8,11,033 करोड़ रुपये जमा किए गए हैं.

केंद्रीय बैंक ने कहा , "बैंकों के काउंटर पर निर्दिष्ट बैंक नोटों (एसबीएन) के बदलने की सुविधा 24 नवंबर, 2016 तक उपलब्ध थी." आरबीआई ने यह भी कहा कि उसके पास बीमा पॉलिसी जैसे केवाईसी अनुरूप उत्पादों को खरीदने में उपयोग किए गए एसबीएन की संख्या की जानकारी नहीं है.

केंद्रीय बैंक ने आरटीआई के एक हिस्से को भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) को भी भेजा है. इरडा ने भी कहा है कि बीमा पॉलिसी के भुगतान में उपयोग होने वाले पुराने नोट के बारे में उसके पास जानकारी नहीं है क्योंकि प्राधिकरण ऐसे आंकड़े नहीं रखता.
(भाषा)
पढ़ें : वित्तीय सुरक्षा के मामले में पुरुषों से काफी पीछे हैं महिलाएं: सर्वेक्षण

नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि नोटबंदी के दौरान पेट्रोल पंप , रेलवे टिकट और बिजली पानी आदि के बिलों के भुगतान में लोगों द्वारा इस्तेमाल किए गए 500 और 1,000 रुपये पुराने नोटों का उसके पास कोई आंकड़ा नहीं है. माना जा रहा है ऐसे भुगतानों के जरिए ऐसे नोट अच्छी खासी संख्या में पुन: बैंकों में वापस आ गए थे. आरबीआई ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई एक जानकारी के जवाब में यह बात कही.

ज्ञात हो कि आठ नवंबर 2016 को 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने का अप्रत्याशित निर्णय किया गया था, लेकिन लोगों की सहूलियत के लिए सरकार ने 23 सेवाओं के बिलों का भुगतान कुछ समय के लिए ऐसे पुराने नोट के जरिए करने की छूट दे रखी थी.

इन सेवाओं में सरकारी अस्पताल, रेल, सार्वजनिक परिवहन, हवाई अड्डों पर विमान टिकट, दुग्ध केंद्रों, श्मशान / कब्रिस्तान, पेट्रोल पंप, मेट्रो रेल टिकट, डॉक्टर के पर्चे पर सरकारी और निजी फार्मेसी से दवा खरीदने, एलपीजी गैस सिलेंडर, रेलवे खानपान, बिजली और पानी के बिल, एएसआई स्मारकों के प्रवेश टिकट और पथ-कर नाकों पर शुल्क आदि शामिल थे.

सरकार ने 25 नवंबर 2016 से 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट बदलने पर रोक लगा दी थी और इन उक्त सेवाओं के लिए केवल सिर्फ 500 का पुराना नोट स्वीकार करने की अनुमति दी थी. यह अनुमति 15 दिसंबर 2016 तक के लिए दी गई थी. हालांकि, सरकार ने 2 दिसंबर 2016 से पेट्रोल पंप और हवाई अड्डों पर टिकट खरीदने में 500 रुपये के पुराने नोटों का इस्तेमाल भी रोक दिया था.

आरटीआई के जवाब में रिजर्व बैंक ने कहा, "बिलों के भुगताने के लिए इस्तेमाल किए गए पुराने नोटों के संबंध में हमारे पास जानकारी उपलब्ध नहीं है." आरबीआई ने पिछले साल अगस्त में कहा था कि 500 और 1,000 रुपये के 99.3 प्रतिशत नोट बैंकिंग प्रणाली में वापस आ गए हैं. नोटबंदी के समय 500 और 1,000 रुपये मूल्य वाले 15.41 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे. इनमें से 15.31 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों के पास वापस आ चुके हैं.

अमान्य या बदले गए पुराने नोटों की संख्या और मूल्य को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में रिजर्व बैंक ने 28 नवंबर 2016 को जारी बयान का हवाला दिया. इसमें कहा गया था कि 10 नवंबर से 27 नवंबर तक बैंकों में 8,44,982 करोड़ रुपये के चलन से बाहर किए जाने वाले नोट जमा किए गए हैं या बदले गए हैं. इसमें कहा गया था कि इनमें से 33,948 करोड़ रुपये के पुराने नोट बदले गए थे और 8,11,033 करोड़ रुपये जमा किए गए हैं.

केंद्रीय बैंक ने कहा , "बैंकों के काउंटर पर निर्दिष्ट बैंक नोटों (एसबीएन) के बदलने की सुविधा 24 नवंबर, 2016 तक उपलब्ध थी." आरबीआई ने यह भी कहा कि उसके पास बीमा पॉलिसी जैसे केवाईसी अनुरूप उत्पादों को खरीदने में उपयोग किए गए एसबीएन की संख्या की जानकारी नहीं है.

केंद्रीय बैंक ने आरटीआई के एक हिस्से को भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) को भी भेजा है. इरडा ने भी कहा है कि बीमा पॉलिसी के भुगतान में उपयोग होने वाले पुराने नोट के बारे में उसके पास जानकारी नहीं है क्योंकि प्राधिकरण ऐसे आंकड़े नहीं रखता.
(भाषा)
पढ़ें : वित्तीय सुरक्षा के मामले में पुरुषों से काफी पीछे हैं महिलाएं: सर्वेक्षण

Intro:Body:

नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि नोटबंदी के दौरान पेट्रोल पंप , रेलवे टिकट और बिजली पानी आदि के बिलों के भुगतान में लोगों द्वारा इस्तेमाल किए गए 500 और 1,000 रुपये पुराने नोटों का उसके पास कोई आंकड़ा नहीं है. माना जा रहा है ऐसे भुगतानों के जरिए ऐसे नोट अच्छी खासी संख्या में पुन: बैंकों में वापस आ गए थे. आरबीआई ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई एक जानकारी के जवाब में यह बात कही.

ज्ञात हो कि आठ नवंबर 2016 को 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने का अप्रत्याशित निर्णय किया गया था, लेकिन लोगों की सहूलियत के लिए सरकार ने 23 सेवाओं के बिलों का भुगतान कुछ समय के लिए ऐसे पुराने नोट के जरिए करने की छूट दे रखी थी. इन सेवाओं में सरकारी अस्पताल, रेल, सार्वजनिक परिवहन, हवाई अड्डों पर विमान टिकट, दुग्ध केंद्रों, श्मशान / कब्रिस्तान, पेट्रोल पंप, मेट्रो रेल टिकट, डॉक्टर के पर्चे पर सरकारी और निजी फार्मेसी से दवा खरीदने, एलपीजी गैस सिलेंडर, रेलवे खानपान, बिजली और पानी के बिल, एएसआई स्मारकों के प्रवेश टिकट और पथ-कर नाकों पर शुल्क आदि शामिल थे.

सरकार ने 25 नवंबर 2016 से 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट बदलने पर रोक लगा दी थी और इन उक्त सेवाओं के लिए केवल सिर्फ 500 का पुराना नोट स्वीकार करने की अनुमति दी थी. यह अनुमति 15 दिसंबर 2016 तक के लिए दी गई थी.

हालांकि, सरकार ने 2 दिसंबर 2016 से पेट्रोल पंप और हवाई अड्डों पर टिकट खरीदने में 500 रुपये के पुराने नोटों का इस्तेमाल भी रोक दिया था. आरटीआई के जवाब में रिजर्व बैंक ने कहा, "बिलों के भुगताने के लिए इस्तेमाल किए गए पुराने नोटों के संबंध में हमारे पास जानकारी उपलब्ध नहीं है." आरबीआई ने पिछले साल अगस्त में कहा था कि 500 और 1,000 रुपये के 99.3 प्रतिशत नोट बैंकिंग प्रणाली में वापस आ गए हैं. नोटबंदी के समय 500 और 1,000 रुपये मूल्य वाले 15.41 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे. इनमें से 15.31 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों के पास वापस आ चुके हैं.

अमान्य या बदले गए पुराने नोटों की संख्या और मूल्य को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में रिजर्व बैंक ने 28 नवंबर 2016 को जारी बयान का हवाला दिया. इसमें कहा गया था कि 10 नवंबर से 27 नवंबर तक बैंकों में 8,44,982 करोड़ रुपये के चलन से बाहर किए जाने वाले नोट जमा किए गए हैं या बदले गए हैं. इसमें कहा गया था कि इनमें से 33,948 करोड़ रुपये के पुराने नोट बदले गए थे और 8,11,033 करोड़ रुपये जमा किए गए हैं.

केंद्रीय बैंक ने कहा , "बैंकों के काउंटर पर निर्दिष्ट बैंक नोटों (एसबीएन) के बदलने की सुविधा 24 नवंबर, 2016 तक उपलब्ध थी." आरबीआई ने यह भी कहा कि उसके पास बीमा पॉलिसी जैसे केवाईसी अनुरूप उत्पादों को खरीदने में उपयोग किए गए एसबीएन की संख्या की जानकारी नहीं है.

केंद्रीय बैंक ने आरटीआई के एक हिस्से को भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) को भी भेजा है. इरडा ने भी कहा है कि बीमा पॉलिसी के भुगतान में उपयोग होने वाले पुराने नोट के बारे में उसके पास जानकारी नहीं है क्योंकि प्राधिकरण ऐसे आंकड़े नहीं रखता.

(भाषा)


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.