मुंबई : रिजर्व बैंक के लिये उपयुक्त कोष निर्धारण के बारे में सिफारिशें देने के लिये गठित बिमल जालान समिति केन्द्रीय बैंक से बफर कोष में 'जरूरत से ज्यादा' पड़े तीन लाख करोड़ रुपये तक के कोष को सरकार को हस्तांतरित करने की सिफारिश कर सकती है. एक विदेशी ब्रोकरेज कंपनी ने केंद्रीय बैंक की परिसम्पत्तियों 'संकटकालीन-परख' के आधारपर अपनी एक रपट में यह अनुमान जताया है.
इस तरह की रिपोर्ट हैं कि रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में गठित समिति अपनी रिपोर्ट करीब-करीब तैयार कर चुकी है और जल्द ही इसे सौंप सकती है.
बैंक आफ अमेरिका मेरिल लिंच ने कहा है कि समिति रिजर्व बैंक के पास उपलब्ध जिस कोष के बारे में अपनी सिफारिशें सौंपेगी उसमें आपात आरक्षित कोष में उपलब्ध अतिरिक्त पूंजी और पुनर्मूल्यांक जोखिम से निपटने के लिए आरक्षित कोष को भी शामिल किया गया है.
पिछले साल सितंबर तक रिजर्व बैंक के पास उपलब्ध बफर पूंजी का आंकड़ा 9.6 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया था.
बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच की रिपोर्ट में कहा गया है, "हमारे अनुमान के मुताबिक रिजर्व बैंक के पास इस समय जरूरत से ज्यादा बफर पूंजी एक से तीन लाख करोड़ रुपये तक हो सकती है."
विदेशी ब्रोकरेज फर्म की रिपोर्ट में कहा गया है कि आपात आरिक्षत कोष को उसके मौजूदा 6.5 प्रतिशत के स्तर से आधा कर 3.25 प्रतिशत पर लाये जाने से 1.28 लाख करोड़ रुपये की राशि मुक्त हो सकती है. इसके पीछे यह तर्क दिया गया है कि विकासशील देशों के समूह ब्रिक्स के देशों में केन्द्रीय बैंक जिस अनुपात में आपात कोष रखते हैं, उसके हिसाब से रिजर्व बैंक अब भी 50 प्रतिशत अधिक कोष रखता है.
इसी प्रकार प्रतिफल से प्राप्त कवर को मौजूदा 9 प्रतिशत घटाकर आधा करने यानि 4.5 प्रतिशत पर लाने से केन्द्रीय बैंक से 1.17 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि अर्थतंत्र में जारी हो जायेगी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक में सकल आरिक्षत कोष को मौजूदा 25.5 प्रतिशत से कम कर 20 प्रतिशत पर लाने से कुल मिलाकर 1.96 लाख करोड़ रुपये अर्थतंत्र में जारी हो जायेंगे. आरिक्षत कोष का यह स्तर 2004 की रिजर्व बैंक की उषा थोरट समिति की 18 प्रतिशत की सिफारिश से ऊंचा है. वहीं वर्ष 2018 के आर्थिक सर्वेक्षण में इसके लिये 16 प्रतिशत का स्तर रखा गया है.
रिपोर्ट में आगे कहा गया है रिजर्व बैंक से अतिरिक्त कोष सरकार को हस्तांतरित करने में किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है.
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में गठिति छह सदस्यीय समिति का गठन उस समय किया गया, जब रिजर्व बैंक के आरक्षित कोष को सरकार को हस्तांतरित करने को लेकर तीव्र बहस छिड़ गई थी. रिजर्व बैंक के तत्कालीन गवर्नर उर्जित पटेल कोष का सरकार को हस्तांतरण करने की पहल के विरोध में थे. पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम जैसे अन्य विशेषज्ञ इस राशि का इस्तेमाल बैंकों को नई पूंजी उपलब्ध कराने जैसे खास कार्यों के लिये किये जाने के पक्ष में थे.
ये भी पढ़ें : आईबीसी मानकों में बदलाव की प्रक्रिया जारी