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आरबीआई एमपीसी बैठक: जानिए किसने क्या कहा

बैंकरों और विशेषज्ञों ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आक्रामक रुख और मुद्रास्फीति की दबावों को देखते हुए प्रमुख रेपो दर को अपरिवर्तित रखने का स्वागत किया है.

आरबीआई एमपीसी बैठक: जानिए किसने क्या कहा
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Published : Aug 6, 2020, 8:55 PM IST

Updated : Aug 6, 2020, 10:02 PM IST

मुंबई: बैंक प्रमुखों ने आरबीआई के नीतिगत दर के मामले में स्थिति यथावत रखने को 'सूझबूझ' भरा कदम बताया. साथ ही उन्होंने पुनर्गठन और सोना के बदले कर्ज में बढ़ोतरी जैसे नियाममकीय मोर्चे में किये गये उपायों का स्वागत किया.

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा, "वृद्धि को लेकर परिदृश्य लगातार नकारात्मक बना हुआ है. रिजर्व बैंक भी अर्थव्यवस्था में गिरावट को लेकर कोई आंकड़ा देने से बचा है. वहीं मुद्रास्फीति में वृद्धि को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है." कुमार भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के प्रमुख भी हैं.

रिजर्व बैंक ने हाल में छह प्रतिशत से ऊपर निकल चुकी महंगाई पर अंकुश रखने के लिये बृहस्पतिवार को नीतिगत ब्याज दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया. वास्तविक ब्याज दर...मुद्रास्फीति और ब्याज दर...नकारात्मक हो गया है. शीर्ष बैंक ने नरम रुख बरकरार रखा है और महंगाई दर में नरमी आने पर कदम उठाने का वादा किया है.

कुमार ने एक बयान में कहा, "मौजूदा परिस्थिति में नीतिगत दर को यथावत रखन युक्तिसंगत है क्योंकि आर्थिक वृद्धि, मुद्रास्फीति और बाह्य मांग लगातार अनिश्चित बनी हुई है."

उन्होंने कहा, "आरबीआई ने उन 'स्टैन्डर्ड खातों' (जिन खातों से कर्ज की किस्त आ रही है) को पुनर्गठन के रूप में कुछ राहत दी है जो कर्ज पुनर्गठन के मामले में कठिनाई का सामना कर रहे थे. हम इसका स्वागत करते हैं कि कोविड-19 संबंधित दबाव सुविधा के लिये नया समाधान रूपरेखा का विस्तार जरूरी सुरक्षा उपायों के साथ बड़ी कंपनियों, एसएमई (लघु एवं मझोले उद्यम) और व्यक्तिगत कर्ज के लिये किया गया है."

बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी ए के दास ने कहा कि आरबीआई की नीति में कई सकारात्मक कदम उठाये गये हैं. इससे वित्तीय स्थिरता में मदद मिलेगी.

इन उपायों में गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) और आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) को निर्देशित कर्ज के एवज में राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) के लिये 10,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी , एमएसएमई पुनर्गठन की समयसीमा का विस्तार और प्राथमिक क्षेत्र के तहत कर्ज के लिये प्रोत्साहन योजना शामिल हैं.

इंडियन बैंक की प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी पद्मजा चुंदुरू ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के कदम को व्यवहारिक बताया क्योंकि इसमें नरम रुख को बरकरार रखा गया है. स्टैन्डर्ड चार्टेड बैंक की जरीन दारूवाला ने कहा कि नीतिगत दर को यथावत रखना उममीद के अनुरूप है.

ये भी पढ़ें: रिजर्व बैंक ने कंपनियों के लिये ऋण पुनर्गठन सुविधा की अनुमति दी

उन्होंने कहा, "रिजर्व बैंक ने कोविड-19 संबंधित अनिश्चितताओं को देखते हुए नरम रुख को बरकरार रखा है, जिससे बाजार को संतोष मिलेगा. समाधान रूपरेखा से प्रभावित क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों को राहत मिलनी चाहिए और प्राथमिक क्षेत्र कर्ज नियम में संशोधन से कर्ज नहीं मिलने या कम मिलने वाले जिलों में स्थिति सुधरेगी."

निजी क्षेत्र के कोटक महिंद्रा बैंक की समूह अध्यक्ष शांति एकामबरम ने कहा कि नीति उम्मीद के अनुरूप है और एमएसएमई क्षेत्र के लिये पुनर्बठन स्वागत योग्य बहुप्रतीक्षित कदम है.

उन्होंने कहा कि इससे कोविड-19 महमारी से सीधे तौर पर प्रभावित क्षेत्र (एमएसएमई) को अतिरिक्त राहत मिलेगी.

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी उमेश रेवनकर ने कर्ज लौटाने को लेकर दी गयी मोहलत को समाप्त करने और उसकी जगह मामला आधारित पुनगर्ठन के फैसले का स्वागत किया .

उन्होंने कहा, "केंद्रीय बैंक ने कर्ज लौटाने को लेकर दी गयी मोहलत को नहीं बढ़ाने का फैसला किया है और उसकी जगह बैंकों को कुछ कर्ज को पुनर्गठन की अनुमति दी है. यह सकारात्मक बदलाव है. इससे खाता मानक की श्रेणी में बना रहेगा. इससे आने वाले समय में प्रावधान की जरूरत कम होगी."

उद्योग जगत, विशेषज्ञों ने आरबीआई की मौद्रिक नीति घोषणा का स्वागत किया

उद्योग मंडल सीआईआई ने एक बयान में कहा कि उद्योगजगत सूझबूझ के साथ कर्ज पुनर्गठन योजना क्रियान्वित करने के आरबीआई के निर्णय से उत्साहित है. इसके तहत बैंकों को कंपनियों को दिये गये कर्ज के संदर्भ में सावधानी बरतते हुए पुनर्गठन योजना क्रियान्वित करने की अनुमति है.

सीआईआई के अध्यक्ष उदय कोटक ने यह भी कहा कि आरबीआई पहले ही रेपो दर में उल्लेखनीय कमी कर चुका है जिससे नकदी बढ़ी है. आज (बृहस्पतिवार) की मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर को 4 प्रतिशत पर बरकरार रखने के निर्णय को समझा जा सकता है.

मौद्रिक नीति के बारे में फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने कहा कि उद्योग मंडल रिजर्व बैंक की कर्ज पुनर्गठन को लेकर की घोषणाओं का स्वागत करता है.

केंद्रीय बैंक ने एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझणेले उद्यम) के लिये एक मार्च,2020 तक मानक श्रेणी (वैसा कर्ज जिसकी किस्त आ रही थी और जो एनपीए नहीं बना था) वाले ऋण के लिये मौद्रिक नीति में पुनर्गठन और समाधान रूपरेखा पर काम करने को लेकर के वी कामथ की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने की घोषणा की.

रेड्डी ने कहा, "हमारा इसके ब्योरे और क्रियान्वयन को लेकर नजरिया काफी सकारात्मक है."

एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि आरबीआई ने दबाव वाले कर्जदाताओं के लिये पुनर्गठन रूपरेखा की घोषणा कर बड़ी राहत दी है. साथ ही इससे बैंकों को भी मदद मिलेगी.

उन्होंने कहा, "...आरबीआई ने कर्ज पुनर्गठन को लेकर नियम तय करने के लिये एक उच्च समिति के गठन की घोषणा कर कर्ज अनुशासन को रेखांकित किया है. उसने इसके जरिये साफ किया है कि पात्रता के लिये वित्तीय मानदंड का निर्धारण व्यक्तिगत बैंकों पर निर्भर नहीं करेगा."

सूद ने यह भी कहा कि सोना के बदले कर्ज की सीमा बढ़ाकर 90 प्रतिशत तक करने से उन परिवारों को राहत मिलेगी जो आय कम होने से नकदी समस्या से जूझ रहे है.

पीएचडी चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष डी के अग्रवाल ने रिजर्व बैंक के वैश्विक बाजार और घरेलू अर्थव्यवस्था में हाल की गतिविधियों को देखते हुए नरम रुख को बरकरार रखने के निर्णय की सराहना की.

अग्रवाल ने कहा, "इस समय, हम बैंकों से यह आग्रह करेंगे कि आरबीआई ने व्यापार, उद्योग और उपभोक्ताओं को राहत देने और अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाने को लेकर पिछले चार महीनों में रेपो दर में जो 1.15 प्रतिशत की कटौती की है, वे उसका लाभ ग्राहकों को दें."

कपड़ा निर्यात संवधर्न परिषद (एईपीसी) के चेयरमैन ए शक्तिवेल ने कहा कि एमएसएमई कर्ज के पुनर्गठन के प्रावधान का विस्तार समय पर लिया गया निर्णय है क्योंकि हजारों की संख्या में छोटे एवं मझोले उद्यम गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं.

आरबीआई के इस कदम से उन्हें बड़ी राहत मिलेगी. सिरील अमरचंद मंगलदास के प्रबंध भागीदार सिरील श्राफ ने कहा कि आरबीआई ने अपने निर्णय में साहस और भरोसा दोनों दिखाया है. इसमें कंपनियों को राहत देने और सूझबूझ साफ झलकता है.

उन्होंने कहा, "इन घोषणाओं से वित्तीय क्षेत्र में मजबूती और स्थिरता लाने में मदद मिलेगी."

उन्होंने कहा कि आरबीआई ने उन कर्जों को पुनर्गठन की अनुमति दी जो एक मार्च, 2020 तक मानक खाते की श्रेणी में थे. इसके जरिये शीर्ष बैंक ने राहत उन कंपनियों तक सीमित रखा जो वाकई में कोविड-19 के कारण संकट में फंसे हैं.

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के अर्थशास्त्री निखिल गुप्ता ने आरबीआई के इन निर्णयों को संतुलित बताते हुए कहा कि इसमें यह स्पष्ट है कि कोविड19 के इस संकट में केंद्रीय बैंक ने कर्ज देने वालों और लेने वालों दानों की मदद करना चाह रहा है.

गुप्ता ने कहा कि छोटी और मझोली इकाइयों के बारे में केवी कामथ सममित की रपट का सबको इंतजार रहेगा.

डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रूमकी मजबूमदार ने कहा कि आरबीआई ने सक्रियता दिखाते हुए एक संतुलित रुख अपनाया है जो हमारी उम्मीदों के अनुरूप है.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई: बैंक प्रमुखों ने आरबीआई के नीतिगत दर के मामले में स्थिति यथावत रखने को 'सूझबूझ' भरा कदम बताया. साथ ही उन्होंने पुनर्गठन और सोना के बदले कर्ज में बढ़ोतरी जैसे नियाममकीय मोर्चे में किये गये उपायों का स्वागत किया.

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा, "वृद्धि को लेकर परिदृश्य लगातार नकारात्मक बना हुआ है. रिजर्व बैंक भी अर्थव्यवस्था में गिरावट को लेकर कोई आंकड़ा देने से बचा है. वहीं मुद्रास्फीति में वृद्धि को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है." कुमार भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के प्रमुख भी हैं.

रिजर्व बैंक ने हाल में छह प्रतिशत से ऊपर निकल चुकी महंगाई पर अंकुश रखने के लिये बृहस्पतिवार को नीतिगत ब्याज दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया. वास्तविक ब्याज दर...मुद्रास्फीति और ब्याज दर...नकारात्मक हो गया है. शीर्ष बैंक ने नरम रुख बरकरार रखा है और महंगाई दर में नरमी आने पर कदम उठाने का वादा किया है.

कुमार ने एक बयान में कहा, "मौजूदा परिस्थिति में नीतिगत दर को यथावत रखन युक्तिसंगत है क्योंकि आर्थिक वृद्धि, मुद्रास्फीति और बाह्य मांग लगातार अनिश्चित बनी हुई है."

उन्होंने कहा, "आरबीआई ने उन 'स्टैन्डर्ड खातों' (जिन खातों से कर्ज की किस्त आ रही है) को पुनर्गठन के रूप में कुछ राहत दी है जो कर्ज पुनर्गठन के मामले में कठिनाई का सामना कर रहे थे. हम इसका स्वागत करते हैं कि कोविड-19 संबंधित दबाव सुविधा के लिये नया समाधान रूपरेखा का विस्तार जरूरी सुरक्षा उपायों के साथ बड़ी कंपनियों, एसएमई (लघु एवं मझोले उद्यम) और व्यक्तिगत कर्ज के लिये किया गया है."

बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी ए के दास ने कहा कि आरबीआई की नीति में कई सकारात्मक कदम उठाये गये हैं. इससे वित्तीय स्थिरता में मदद मिलेगी.

इन उपायों में गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) और आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) को निर्देशित कर्ज के एवज में राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) के लिये 10,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी , एमएसएमई पुनर्गठन की समयसीमा का विस्तार और प्राथमिक क्षेत्र के तहत कर्ज के लिये प्रोत्साहन योजना शामिल हैं.

इंडियन बैंक की प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी पद्मजा चुंदुरू ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के कदम को व्यवहारिक बताया क्योंकि इसमें नरम रुख को बरकरार रखा गया है. स्टैन्डर्ड चार्टेड बैंक की जरीन दारूवाला ने कहा कि नीतिगत दर को यथावत रखना उममीद के अनुरूप है.

ये भी पढ़ें: रिजर्व बैंक ने कंपनियों के लिये ऋण पुनर्गठन सुविधा की अनुमति दी

उन्होंने कहा, "रिजर्व बैंक ने कोविड-19 संबंधित अनिश्चितताओं को देखते हुए नरम रुख को बरकरार रखा है, जिससे बाजार को संतोष मिलेगा. समाधान रूपरेखा से प्रभावित क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों को राहत मिलनी चाहिए और प्राथमिक क्षेत्र कर्ज नियम में संशोधन से कर्ज नहीं मिलने या कम मिलने वाले जिलों में स्थिति सुधरेगी."

निजी क्षेत्र के कोटक महिंद्रा बैंक की समूह अध्यक्ष शांति एकामबरम ने कहा कि नीति उम्मीद के अनुरूप है और एमएसएमई क्षेत्र के लिये पुनर्बठन स्वागत योग्य बहुप्रतीक्षित कदम है.

उन्होंने कहा कि इससे कोविड-19 महमारी से सीधे तौर पर प्रभावित क्षेत्र (एमएसएमई) को अतिरिक्त राहत मिलेगी.

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी उमेश रेवनकर ने कर्ज लौटाने को लेकर दी गयी मोहलत को समाप्त करने और उसकी जगह मामला आधारित पुनगर्ठन के फैसले का स्वागत किया .

उन्होंने कहा, "केंद्रीय बैंक ने कर्ज लौटाने को लेकर दी गयी मोहलत को नहीं बढ़ाने का फैसला किया है और उसकी जगह बैंकों को कुछ कर्ज को पुनर्गठन की अनुमति दी है. यह सकारात्मक बदलाव है. इससे खाता मानक की श्रेणी में बना रहेगा. इससे आने वाले समय में प्रावधान की जरूरत कम होगी."

उद्योग जगत, विशेषज्ञों ने आरबीआई की मौद्रिक नीति घोषणा का स्वागत किया

उद्योग मंडल सीआईआई ने एक बयान में कहा कि उद्योगजगत सूझबूझ के साथ कर्ज पुनर्गठन योजना क्रियान्वित करने के आरबीआई के निर्णय से उत्साहित है. इसके तहत बैंकों को कंपनियों को दिये गये कर्ज के संदर्भ में सावधानी बरतते हुए पुनर्गठन योजना क्रियान्वित करने की अनुमति है.

सीआईआई के अध्यक्ष उदय कोटक ने यह भी कहा कि आरबीआई पहले ही रेपो दर में उल्लेखनीय कमी कर चुका है जिससे नकदी बढ़ी है. आज (बृहस्पतिवार) की मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर को 4 प्रतिशत पर बरकरार रखने के निर्णय को समझा जा सकता है.

मौद्रिक नीति के बारे में फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने कहा कि उद्योग मंडल रिजर्व बैंक की कर्ज पुनर्गठन को लेकर की घोषणाओं का स्वागत करता है.

केंद्रीय बैंक ने एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझणेले उद्यम) के लिये एक मार्च,2020 तक मानक श्रेणी (वैसा कर्ज जिसकी किस्त आ रही थी और जो एनपीए नहीं बना था) वाले ऋण के लिये मौद्रिक नीति में पुनर्गठन और समाधान रूपरेखा पर काम करने को लेकर के वी कामथ की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने की घोषणा की.

रेड्डी ने कहा, "हमारा इसके ब्योरे और क्रियान्वयन को लेकर नजरिया काफी सकारात्मक है."

एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि आरबीआई ने दबाव वाले कर्जदाताओं के लिये पुनर्गठन रूपरेखा की घोषणा कर बड़ी राहत दी है. साथ ही इससे बैंकों को भी मदद मिलेगी.

उन्होंने कहा, "...आरबीआई ने कर्ज पुनर्गठन को लेकर नियम तय करने के लिये एक उच्च समिति के गठन की घोषणा कर कर्ज अनुशासन को रेखांकित किया है. उसने इसके जरिये साफ किया है कि पात्रता के लिये वित्तीय मानदंड का निर्धारण व्यक्तिगत बैंकों पर निर्भर नहीं करेगा."

सूद ने यह भी कहा कि सोना के बदले कर्ज की सीमा बढ़ाकर 90 प्रतिशत तक करने से उन परिवारों को राहत मिलेगी जो आय कम होने से नकदी समस्या से जूझ रहे है.

पीएचडी चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष डी के अग्रवाल ने रिजर्व बैंक के वैश्विक बाजार और घरेलू अर्थव्यवस्था में हाल की गतिविधियों को देखते हुए नरम रुख को बरकरार रखने के निर्णय की सराहना की.

अग्रवाल ने कहा, "इस समय, हम बैंकों से यह आग्रह करेंगे कि आरबीआई ने व्यापार, उद्योग और उपभोक्ताओं को राहत देने और अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाने को लेकर पिछले चार महीनों में रेपो दर में जो 1.15 प्रतिशत की कटौती की है, वे उसका लाभ ग्राहकों को दें."

कपड़ा निर्यात संवधर्न परिषद (एईपीसी) के चेयरमैन ए शक्तिवेल ने कहा कि एमएसएमई कर्ज के पुनर्गठन के प्रावधान का विस्तार समय पर लिया गया निर्णय है क्योंकि हजारों की संख्या में छोटे एवं मझोले उद्यम गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं.

आरबीआई के इस कदम से उन्हें बड़ी राहत मिलेगी. सिरील अमरचंद मंगलदास के प्रबंध भागीदार सिरील श्राफ ने कहा कि आरबीआई ने अपने निर्णय में साहस और भरोसा दोनों दिखाया है. इसमें कंपनियों को राहत देने और सूझबूझ साफ झलकता है.

उन्होंने कहा, "इन घोषणाओं से वित्तीय क्षेत्र में मजबूती और स्थिरता लाने में मदद मिलेगी."

उन्होंने कहा कि आरबीआई ने उन कर्जों को पुनर्गठन की अनुमति दी जो एक मार्च, 2020 तक मानक खाते की श्रेणी में थे. इसके जरिये शीर्ष बैंक ने राहत उन कंपनियों तक सीमित रखा जो वाकई में कोविड-19 के कारण संकट में फंसे हैं.

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के अर्थशास्त्री निखिल गुप्ता ने आरबीआई के इन निर्णयों को संतुलित बताते हुए कहा कि इसमें यह स्पष्ट है कि कोविड19 के इस संकट में केंद्रीय बैंक ने कर्ज देने वालों और लेने वालों दानों की मदद करना चाह रहा है.

गुप्ता ने कहा कि छोटी और मझोली इकाइयों के बारे में केवी कामथ सममित की रपट का सबको इंतजार रहेगा.

डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रूमकी मजबूमदार ने कहा कि आरबीआई ने सक्रियता दिखाते हुए एक संतुलित रुख अपनाया है जो हमारी उम्मीदों के अनुरूप है.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Aug 6, 2020, 10:02 PM IST
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