मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये लागू लॉकडाउन के हटाये जाने के बाद उपभोग में सुधार तथा निवेश को वापस पटरी पर लाने के लिये वित्तीय परिस्थितियों को आसान बनाने की हर संभव कोशिश करने के पक्षधर हैं. केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के जारी ब्यौरे में इसकी जानकारी मिली है.
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक पहले तीन जून से पांच जून के दौरान होने वाली थी. हालांकि, कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए बैठक पहले ही 20 मई से 22 मई के बीच कर ली गयी. बैठक के बाद रिजर्व बैंक ने रेपो दर को 0.40 प्रतिशत घटाकर चार प्रतिशत के ऐतिहासिक निचले स्तर पर ला दिया.
बैठक के ब्यौरे के अनुसार, दास सहित एमपीसी के सभी छह सदस्यों का मत था कि अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 का प्रभाव शुरू के आकलन से अधिक प्रतिकूल था, क्योंकि कोरोना वायरस महामारी के प्रसार की रोकथाम के उद्देश्य से लॉकडाउन लगाया गया.
दास ने कहा कि मार्च 2020 के अंत में किये गये मूल्यांकन के मुकाबले आर्थिक वृद्धि के जोखिम कहीं अधिक गंभीर हो गये हैं. उन्होंने कहा, हालांकि, कुल मिलाकर परिदृश्य अभी भी अनिश्चित बना हुआ है, लेकिन उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में ठोस डेटा सामने आने के बाद यह आकलन सही साबित होगा.
ब्यौरे के हिसाब से दास ने कहा, "इस स्तर पर मौद्रिक नीति के लिये प्रमुख चुनौती अल्पावधि में आय और रोजगार पर किसी भी हानिकारक प्रभाव को रोकने के लिये घरेलू मांग को पुनर्जीवित करना तथा मध्यम अवधि में संभावित वृद्धि के जोखिमों का निदान निकालना है. घरेलू मांग को मजबूत करने के लिये, उपभोक्ता और व्यापार विश्वास को पुनर्जीवित करना महत्वपूर्ण है."
सरकार ने पहले ही अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक सहायता प्रदान करने और समाज के कमजोर वर्गों के हितों की रक्षा के लयेए कई उपायों की घोषणा कर चुकी है. रिजर्व बैंक भी यह सुनिश्चित करने के लिये तरलता का प्रबंधन कर रहा है कि अर्थव्यवस्था के सभी उत्पादक क्षेत्रों में धन का प्रवाह बना रहे.
(पीटीआई-भाषा)