नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने मार्च-अप्रैल के दौरान 5.66 लाख करोड़ रुपये के ऋण मंजूर किये हैं. लॉकडाउन हटाये जाने के तुरंत बाद इनका वितरण शुरू हो जाएगा, जिससे आर्थिक गतिविधियां तेजी से आगे बढ़ेंगी.
सीतारमण ने एक ट्वीट में कहा, "मार्च-अप्रैल 2020 के दौरान, सरकारी बैंकों ने 41.81 लाख से अधिक खातों के लिये 5.66 लाख करोड़ रुपये के ऋण स्वीकृत किये. ये कर्जदार एमएसएमई, खुदरा, कृषि और कॉरपोरेट क्षेत्रों के हैं. लॉकडाउन समाप्त होते ही इनका वितरण शुरू हो जाएगा. अर्थव्यवस्था वापसी करने के लिये तैयार है."
उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों ने ऋणों के पुनर्भुगतान में रिजर्व बैंक द्वारा घोषित राहत को लागू किया है.
उन्होंने ट्वीट किया, "पीएसबी ने आरबीआई द्वारा कर्ज की किस्तें चुकाने से राहत का लाभ आगे बढ़ाया. इस लाभ को प्रभावी तरीके से आगे बढ़ाये जाने से 3.2 करोड़ से अधिक खातों को तीन महीने की राहत मिल पाना सुनिश्चित हुआ. संदेहों के त्वरित समाधान ने ग्राहकों की चिंता दूर की. इससे लॉकडाउन के दौरान जिम्मेदार बैंकिंग सुनिश्चित हुआ."
सीतारमण ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) को निरंतर ऋण प्रवाह बनाये रखने में मदद करने के लिये एक मार्च से चार मई के बीच 77,383 करोड़ रुपये के ऋण को मंजूरी दी. इसके अलावा, लक्षित दीर्घकालिक रेपो परिचालन (टीएलटीआरओ) के तहत, कुल 1.08 लाख करोड़ रुपये के वित्तपोषण की व्यवस्था "व्यापार स्थिरता और निरंतरता को सुनिश्चित करने" के लिये की गयी.
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एमएसएमई एवं अन्य के लिये पूर्व-अनुमोदित आपातकालीन ऋण सुविधाएं और कार्यशील पूंजी संवर्द्धन को सरकारी बैंकों के द्वारा प्राथमिकता दी जा रही है.
उन्होंने एक अलग ट्वीट में कहा"... 20 मार्च के बाद से 27 लाख से अधिक ग्राहकों ने संपर्क किया और 2.37 लाख मामलों में 26,500 करोड़ रुपये के ऋण को मंजूरी दी गयी. कार्य प्रगति पर है."
भारत ने कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये पहले चरण में 21 दिनों के लिये 25 मार्च से लॉकडाउन लागू किया. बाद में इसे दो बार बढ़ाया गया और अब यह 17 मई तक प्रभावी है.
(पीटीआई-भाषा)