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नीतिगत सुधारों से सस्ते घरों की मांग, आपूर्ति को मिलेगा प्रोत्साहन : सीबीआरई

रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा दौर में नहीं बिके घरों की इन्वेंटरी घट रही है और वैकल्पिक संपत्तियां मसलन, को-लिविंग, छात्रों व वरिष्ठ नागरिकों के आवास के प्रति अंतिम उपयोगकतरओ और डेवलपर्स दोनों का आकर्षण बढ़ रहा है.

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Published : Mar 28, 2019, 1:45 PM IST

नई दिल्ली : नीतिगत सुधारों से आने वाले दिनों में सस्ते घरों की मांग व आपूर्ति को प्रोत्साहन मिलेगा. यह बात देश की अग्रणी रियल एस्टेट कन्सल्टिंग कंपनी सीबीआरई साउथ एशिया प्राइवेट लिमिटेड ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कही है.

रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा दौर में नहीं बिके घरों की इन्वेंटरी घट रही है और वैकल्पिक संपत्तियां मसलन, को-लिविंग, छात्रों व वरिष्ठ नागरिकों के आवास के प्रति अंतिम उपयोगकतरओ और डेवलपर्स दोनों का आकर्षण बढ़ रहा है.

सीबीआरई द्वारा बुधवार को जारी रिपोर्ट 'रियल एस्टेट मार्केट आउटलुक, 2019-इंडिया' के अनुसार निवेशकों के बढ़ते भरोसे तथा बेहतर नीतिगत सुधारों के चलते भारत दुनिया की सबसे तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था के रूप में शुमार है और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के आंकड़े बताते हैं कि 2000-2008 के दौरान दुनिया के विकास में भारत का योगदान 7.6 फीसदी था जो 2018 में बढ़कर 14.5 फीसदी हो गया है.

भारत, दक्षिणी पूर्वी एशिया, मध्य पूर्व एवं अफ्रीका में सीबीआरई के चेयरमैन व सीईओ अंशुमन मैगजीन ने कहा, "मौजूदा सरकार की सुधार नीतियां इक्विटी बाजार और निवेश के लिए अच्छी खबर लेकर आई हैं, जिसके चलते भारत कारोबार के आकर्षक गंतव्य के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत बना चुका है."

उन्होंने कहा कि 2019 में कई कारकों जैसे प्रौद्योगिकी, मांग-आपूर्ति डायनामिक्स, कारोबार की सुगमता रैंकिंग में सुधार तथा जीएसटी एवं रेरा के चलते भारतीय रियल एस्टेट बाजार के विकास को नई गति मिलेगी.

ये भी पढ़ें : भारत और अमेरिका के बीच बहुराष्ट्रीय कंपनियों की कर चोरी पर अंकुश लगाने को लेकर समझौता

उन्होंने कहा, "हमें उम्मीद है कि रियल एस्टेट से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से विकास होगा, जिसके कारण विभिन्न श्रेणियों जैसे कार्यालय, रीटेल, रिहायशी, लॉजिस्टिक्स आदि में लगभग 20 करोड़ वर्ग फीट का नया रियल एस्टेट क्षेत्र शामिल होगा."

रिपोर्ट के अनुसार, साल 2018 एक ऐतिहासिक साल रहा, जब ऑफिस स्पेस अवशोषण की दर नौ मुख्य शहरों में अब तक के अधिकतम 4.7 करोड़ वर्गफीट को पार कर गई, जिससे 3.5 करोड़ वर्गफीट आपूर्ति इनफ्लक्स दर्ज किया गया.

बैंगलोर और दिल्ली-एनसीआर इस मामले में लगातार सबसे ऊपर पर बने हुए हैं और मुंबई को पीछे छोड़ते हुए हैदराबाद तीसरा सबसे पसंदीदा कार्यालय ठिकाना बन गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 में एसईजेड और टेक पार्क स्पेस में विकास कार्य और गतिविधियां बढ़ने की उम्मीद है.

सीबीआरई के अनुमान के मुताबिक, बेंगलुरू, चेन्नई और पुणे के मुख्य बाजारों में किराए की आय लगातार बढ़ेगी, हालांकि ज्यादातर शहरों में यह सामान्य बनी रहेगी. दिल्ली-एनसीआर, मुंबई और दिल्ली-एनसीआर के 'गेटवे' शहरों में रेंटल क्षेत्र में विकास होगा, हालांकि यह अनुमान सिर्फ चुनिंदा लोकेशनों के लिए है.

2018 वेयरहाउसिंग बाजार के लिए उल्लेखनीय वर्ष रहा, क्योंकि साल के दौरान समग्र अवशोषण 2.4 करोड़ वर्गफीट तक चला गया और पिछले साल की तुलना में 44 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई.

नई दिल्ली : नीतिगत सुधारों से आने वाले दिनों में सस्ते घरों की मांग व आपूर्ति को प्रोत्साहन मिलेगा. यह बात देश की अग्रणी रियल एस्टेट कन्सल्टिंग कंपनी सीबीआरई साउथ एशिया प्राइवेट लिमिटेड ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कही है.

रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा दौर में नहीं बिके घरों की इन्वेंटरी घट रही है और वैकल्पिक संपत्तियां मसलन, को-लिविंग, छात्रों व वरिष्ठ नागरिकों के आवास के प्रति अंतिम उपयोगकतरओ और डेवलपर्स दोनों का आकर्षण बढ़ रहा है.

सीबीआरई द्वारा बुधवार को जारी रिपोर्ट 'रियल एस्टेट मार्केट आउटलुक, 2019-इंडिया' के अनुसार निवेशकों के बढ़ते भरोसे तथा बेहतर नीतिगत सुधारों के चलते भारत दुनिया की सबसे तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था के रूप में शुमार है और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के आंकड़े बताते हैं कि 2000-2008 के दौरान दुनिया के विकास में भारत का योगदान 7.6 फीसदी था जो 2018 में बढ़कर 14.5 फीसदी हो गया है.

भारत, दक्षिणी पूर्वी एशिया, मध्य पूर्व एवं अफ्रीका में सीबीआरई के चेयरमैन व सीईओ अंशुमन मैगजीन ने कहा, "मौजूदा सरकार की सुधार नीतियां इक्विटी बाजार और निवेश के लिए अच्छी खबर लेकर आई हैं, जिसके चलते भारत कारोबार के आकर्षक गंतव्य के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत बना चुका है."

उन्होंने कहा कि 2019 में कई कारकों जैसे प्रौद्योगिकी, मांग-आपूर्ति डायनामिक्स, कारोबार की सुगमता रैंकिंग में सुधार तथा जीएसटी एवं रेरा के चलते भारतीय रियल एस्टेट बाजार के विकास को नई गति मिलेगी.

ये भी पढ़ें : भारत और अमेरिका के बीच बहुराष्ट्रीय कंपनियों की कर चोरी पर अंकुश लगाने को लेकर समझौता

उन्होंने कहा, "हमें उम्मीद है कि रियल एस्टेट से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से विकास होगा, जिसके कारण विभिन्न श्रेणियों जैसे कार्यालय, रीटेल, रिहायशी, लॉजिस्टिक्स आदि में लगभग 20 करोड़ वर्ग फीट का नया रियल एस्टेट क्षेत्र शामिल होगा."

रिपोर्ट के अनुसार, साल 2018 एक ऐतिहासिक साल रहा, जब ऑफिस स्पेस अवशोषण की दर नौ मुख्य शहरों में अब तक के अधिकतम 4.7 करोड़ वर्गफीट को पार कर गई, जिससे 3.5 करोड़ वर्गफीट आपूर्ति इनफ्लक्स दर्ज किया गया.

बैंगलोर और दिल्ली-एनसीआर इस मामले में लगातार सबसे ऊपर पर बने हुए हैं और मुंबई को पीछे छोड़ते हुए हैदराबाद तीसरा सबसे पसंदीदा कार्यालय ठिकाना बन गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 में एसईजेड और टेक पार्क स्पेस में विकास कार्य और गतिविधियां बढ़ने की उम्मीद है.

सीबीआरई के अनुमान के मुताबिक, बेंगलुरू, चेन्नई और पुणे के मुख्य बाजारों में किराए की आय लगातार बढ़ेगी, हालांकि ज्यादातर शहरों में यह सामान्य बनी रहेगी. दिल्ली-एनसीआर, मुंबई और दिल्ली-एनसीआर के 'गेटवे' शहरों में रेंटल क्षेत्र में विकास होगा, हालांकि यह अनुमान सिर्फ चुनिंदा लोकेशनों के लिए है.

2018 वेयरहाउसिंग बाजार के लिए उल्लेखनीय वर्ष रहा, क्योंकि साल के दौरान समग्र अवशोषण 2.4 करोड़ वर्गफीट तक चला गया और पिछले साल की तुलना में 44 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई.

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नई दिल्ली : नीतिगत सुधारों से आने वाले दिनों में सस्ते घरों की मांग व आपूर्ति को प्रोत्साहन मिलेगा. यह बात देश की अग्रणी रियल एस्टेट कन्सल्टिंग कंपनी सीबीआरई साउथ एशिया प्राइवेट लिमिटेड ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कही है.

रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा दौर में नहीं बिके घरों की इन्वेंटरी घट रही है और वैकल्पिक संपत्तियां मसलन, को-लिविंग, छात्रों व वरिष्ठ नागरिकों के आवास के प्रति अंतिम उपयोगकतरओ और डेवलपर्स दोनों का आकर्षण बढ़ रहा है.

सीबीआरई द्वारा बुधवार को जारी रिपोर्ट 'रियल एस्टेट मार्केट आउटलुक, 2019-इंडिया' के अनुसार निवेशकों के बढ़ते भरोसे तथा बेहतर नीतिगत सुधारों के चलते भारत दुनिया की सबसे तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था के रूप में शुमार है और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के आंकड़े बताते हैं कि 2000-2008 के दौरान दुनिया के विकास में भारत का योगदान 7.6 फीसदी था जो 2018 में बढ़कर 14.5 फीसदी हो गया है.

भारत, दक्षिणी पूर्वी एशिया, मध्य पूर्व एवं अफ्रीका में सीबीआरई के चेयरमैन व सीईओ अंशुमन मैगजीन ने कहा, "मौजूदा सरकार की सुधार नीतियां इक्विटी बाजार और निवेश के लिए अच्छी खबर लेकर आई हैं, जिसके चलते भारत कारोबार के आकर्षक गंतव्य के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत बना चुका है."

उन्होंने कहा कि 2019 में कई कारकों जैसे प्रौद्योगिकी, मांग-आपूर्ति डायनामिक्स, कारोबार की सुगमता रैंकिंग में सुधार तथा जीएसटी एवं रेरा के चलते भारतीय रियल एस्टेट बाजार के विकास को नई गति मिलेगी.



ये भी पढ़ें :



उन्होंने कहा, "हमें उम्मीद है कि रियल एस्टेट से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से विकास होगा, जिसके कारण विभिन्न श्रेणियों जैसे कार्यालय, रीटेल, रिहायशी, लॉजिस्टिक्स आदि में लगभग 20 करोड़ वर्ग फीट का नया रियल एस्टेट क्षेत्र शामिल होगा."

रिपोर्ट के अनुसार, साल 2018 एक ऐतिहासिक साल रहा, जब ऑफिस स्पेस अवशोषण की दर नौ मुख्य शहरों में अब तक के अधिकतम 4.7 करोड़ वर्गफीट को पार कर गई, जिससे 3.5 करोड़ वर्गफीट आपूर्ति इनफ्लक्स दर्ज किया गया.

बैंगलोर और दिल्ली-एनसीआर इस मामले में लगातार सबसे ऊपर पर बने हुए हैं और मुंबई को पीछे छोड़ते हुए हैदराबाद तीसरा सबसे पसंदीदा कार्यालय ठिकाना बन गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 में एसईजेड और टेक पार्क स्पेस में विकास कार्य और गतिविधियां बढ़ने की उम्मीद है.

सीबीआरई के अनुमान के मुताबिक, बेंगलुरू, चेन्नई और पुणे के मुख्य बाजारों में किराए की आय लगातार बढ़ेगी, हालांकि ज्यादातर शहरों में यह सामान्य बनी रहेगी. दिल्ली-एनसीआर, मुंबई और दिल्ली-एनसीआर के 'गेटवे' शहरों में रेंटल क्षेत्र में विकास होगा, हालांकि यह अनुमान सिर्फ चुनिंदा लोकेशनों के लिए है.

2018 वेयरहाउसिंग बाजार के लिए उल्लेखनीय वर्ष रहा, क्योंकि साल के दौरान समग्र अवशोषण 2.4 करोड़ वर्गफीट तक चला गया और पिछले साल की तुलना में 44 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई.




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