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पी-नोट के जरिये निवेश में लगातार गिरावट, दिसंबर तक निवेश 11 साल के न्यूनतम स्तर पर

पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) उन विदेशी निवेशकों को पी-नोट जारी करते हैं जो सीधे तौर पर पंजीकृत हुए बिन भारतीय शेयर बाजार का हिस्सा बनना चाहते हैं. हालांकि उन्हें जांच-पड़ताल की प्रक्रिया से गुजरनी होती है.

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पी-नोट के जरिये निवेश में लगातार गिरावट, दिसंबर तक निवेश 11 साल के न्यूनतम स्तर पर
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Published : Feb 17, 2020, 7:51 PM IST

Updated : Mar 1, 2020, 3:43 PM IST

नई दिल्ली: देश के पूंजी बाजार में पार्टिसिपेटरी नोट (पी-नोट) के जरिये निवेश लगातार घट रहा है. दिसंबर 2019 तक घटकर यह 64,537 करोड़ रुपये पर आ गया जो 11 साल का न्यूनतम स्तर है.

पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) उन विदेशी निवेशकों को पी-नोट जारी करते हैं जो सीधे तौर पर पंजीकृत हुए बिन भारतीय शेयर बाजार का हिस्सा बनना चाहते हैं. हालांकि उन्हें जांच-पड़ताल की प्रक्रिया से गुजरनी होती है.

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़े के अनुसार भारतीय बाजार में पी-नोट निवेश का कुल मूल्य दिसंबर तक घटकर 64,537 करोड़ रुपये पर आ गया. इससे पहले नवंबर में यह 13 महीने के न्यूनतम स्तर 69,670 करोड़ रुपये पर आ गया था. ये निवेश शेयर, बांड और डेरिवेटिव में किये गये.

पी-नोट के जरिये पूंजी प्रवाह दिसंबर में फरवरी 2009 के बाद सबसे कम है. उस समय इसके माध्यम से निवेश 60,948 करोड़ रुपये था. नवंबर तक किये गये कुल निवेश में से 52,486 करोड़ रुपये शेयरों में, 11,415 करोड़ रुपये बांड में और 636 करोड़ रुपये डेरिवेटिव खंड में निवेश किये गये.

ये भी पढ़ें: न्यायालय ने ठुकराया वोडाफोन का सोमवार को 2,500 करोड़ रुपये सांविधिक बकाया चुकाने का प्रस्ताव

बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि सेबी द्वारा विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिये नियमों को उदार किये जाने से पी-नोट के जरिये निवेश प्रभावित हो रहा है.

इससे पहले, सेबी ने एफपीआई के लिये केवाईसी जरूरतों और नियमन प्रक्रिया को सरल किया है. इसके अलावा ऐसे निवेशकों का वर्गीकरण किया गया है.

नये नियमों के तहत एफपीआई को दो श्रेणियों में बांटा गया है और 80 प्रतिशत श्रेणी-1 के दायरे में आते है. जो निवेशक इसके दायरे में आते हैं, उन्हें सरल आवेदन फार्म भरने की जरूरत होती है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: देश के पूंजी बाजार में पार्टिसिपेटरी नोट (पी-नोट) के जरिये निवेश लगातार घट रहा है. दिसंबर 2019 तक घटकर यह 64,537 करोड़ रुपये पर आ गया जो 11 साल का न्यूनतम स्तर है.

पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) उन विदेशी निवेशकों को पी-नोट जारी करते हैं जो सीधे तौर पर पंजीकृत हुए बिन भारतीय शेयर बाजार का हिस्सा बनना चाहते हैं. हालांकि उन्हें जांच-पड़ताल की प्रक्रिया से गुजरनी होती है.

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़े के अनुसार भारतीय बाजार में पी-नोट निवेश का कुल मूल्य दिसंबर तक घटकर 64,537 करोड़ रुपये पर आ गया. इससे पहले नवंबर में यह 13 महीने के न्यूनतम स्तर 69,670 करोड़ रुपये पर आ गया था. ये निवेश शेयर, बांड और डेरिवेटिव में किये गये.

पी-नोट के जरिये पूंजी प्रवाह दिसंबर में फरवरी 2009 के बाद सबसे कम है. उस समय इसके माध्यम से निवेश 60,948 करोड़ रुपये था. नवंबर तक किये गये कुल निवेश में से 52,486 करोड़ रुपये शेयरों में, 11,415 करोड़ रुपये बांड में और 636 करोड़ रुपये डेरिवेटिव खंड में निवेश किये गये.

ये भी पढ़ें: न्यायालय ने ठुकराया वोडाफोन का सोमवार को 2,500 करोड़ रुपये सांविधिक बकाया चुकाने का प्रस्ताव

बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि सेबी द्वारा विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिये नियमों को उदार किये जाने से पी-नोट के जरिये निवेश प्रभावित हो रहा है.

इससे पहले, सेबी ने एफपीआई के लिये केवाईसी जरूरतों और नियमन प्रक्रिया को सरल किया है. इसके अलावा ऐसे निवेशकों का वर्गीकरण किया गया है.

नये नियमों के तहत एफपीआई को दो श्रेणियों में बांटा गया है और 80 प्रतिशत श्रेणी-1 के दायरे में आते है. जो निवेशक इसके दायरे में आते हैं, उन्हें सरल आवेदन फार्म भरने की जरूरत होती है.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Mar 1, 2020, 3:43 PM IST
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