ETV Bharat / business

ओएनजीसी का तेल उत्पादन 1.25 प्रतिशत बढ़ा

ओएनजीसी ने समुद्र से इतर भू-क्षेत्रों में स्थित अपने कुओं से 61.41 लाख टन कच्चे तेल का उत्पादन किया. यह उत्पादन तब हुआ है जब कि उसके ऐसे ज्यादातर तेल फील्ड 50 साल से अधिक पुराने हैं और उसमें प्राकृतिक रूप से समय के साथ उत्पादन में गिरावट आ रही है. अधिकारियों ने कहा कि कंपनी ने उत्पादन बढ़ाने के लिये कुछ पहल की है, जिसका सकारात्मक असर दिख रहा है.

कॉन्सेप्ट इमेज।
author img

By

Published : Apr 14, 2019, 3:38 PM IST

नई दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र की आयल एंड नेचुरल गैस कारपोरेशन (ओएनजीसी) अपनी स्थलीय क्षेत्र की खनिज तेल परियोजनाओं में कच्चे तेल के उत्पादन में गिरावट के रुझान को बदलने में सफल रही है और मार्च 2019 को समाप्त वित्त वर्ष में उत्पादन में 1.25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है. कंपनी के एक शीर्ष अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

ओएनजीसी ने समुद्र से इतर भू-क्षेत्रों में स्थित अपने कुओं से 61.41 लाख टन कच्चे तेल का उत्पादन किया. यह उत्पादन तब हुआ है जब कि उसके ऐसे ज्यादातर तेल फील्ड 50 साल से अधिक पुराने हैं और उसमें प्राकृतिक रूप से समय के साथ उत्पादन में गिरावट आ रही है. अधिकारियों ने कहा कि कंपनी ने उत्पादन बढ़ाने के लिये कुछ पहल की है, जिसका सकारात्मक असर दिख रहा है.

सरकार की ओर से देश की सबसे बड़ी तेल एवं गैस उत्पादक कंपनी पर उत्पादन बढ़ाने का दबाव है. ओएनजीसी के तेल उत्पादन में बढ़ोतरी 2022 तक तेल आयात पर निर्भरता में 10 प्रतिशत की कटौती के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण है. पहले ही कंपनी प्राकृतिक गैस के उत्पादन में वर्षों से जारी गिरावट को रोकने में सफल रही है और उत्पादन 2018-19 में 6.5 प्रतिशत उछलकर 25.9 अरब घन मीटर रहा. हालांकि अपतटीय क्षेत्रों से तेल उत्पादन में लगातार गिरावट बनी हुई है.

यह स्थिति अगले साल से बदलने की उम्मीद है जब कृष्णा गोदावरी बेसिन फील्ड केजी-डीडब्ल्यूएन-98/2 से उत्पादन शुरू हो जाएगा. अधिकारियों ने कहा कि ओएनजीसी ने 2018-19 में खोजे गये कुल 13 में से पांच को तेजी से उत्पादन के स्तर पर लाया है. इससे भू-क्षेत्रों में स्थित फील्डों से उत्पादन में वृद्धि में मदद मिली है. कंपनी ने उत्पादन को बनाये रखने तथा उसमें वृद्धि के लिये ओएनजीसी ने पिछले वित्त वर्ष में 303 कुओं की खुदाई की जो 2014-15 के बाद से सर्वाधिक है.

इसके अलावा ओएनजीसी ने अपने दो बड़े उत्पादन फील्डों, गुजरात में मेहसाणा तथा कुछ अन्य भू-क्षेत्रीय फील्डों से उत्पादन बढ़ाने को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित गैफने क्लाइन एंड एसोसिएट्स की सेवा ली. साथ ही कंपनी ने पिछले वित्त वर्ष में कई परियोजनाओं में करीब 5,000 करोड़ रुपये निवेश किया और 2019-20 के लिये भी इतने ही निवेश की योजना है.

इस बारे में ओएनजीसी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक शशि शंकर ने कहा, "पुराने तेल क्षेत्रों में समय के साथ उभरने वाली बावजूद भू-क्षेत्रों में स्थित फील्डों से तेल उत्पादन बढ़ाने में कामयाबी मिली है. यह सब ऐसे समय में हुआ है जब दुनिया भर में इसी तरह के पुराने फील्डों से उत्पादन में तीव्र गिरावट आयी है."

ओएनजीसी के निदेशक (आनशोर) एस के मोइत्रा ने कहा कि कंपनी तेल उत्पादन बढ़ाने के लिये कई पहल कर रही है. ऐसी छह परियोजनाओं (ईओआर- एनहांस्ड आयल रिकवरी) को या तो क्रियान्वित किया जा चुका है या उन पर फिर क्रियान्वयन होने जा रहा है.
ये भी पढ़ें : दुनिया के सबसे बड़े विमान ने सफलतापूर्वक उड़ान भरी

नई दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र की आयल एंड नेचुरल गैस कारपोरेशन (ओएनजीसी) अपनी स्थलीय क्षेत्र की खनिज तेल परियोजनाओं में कच्चे तेल के उत्पादन में गिरावट के रुझान को बदलने में सफल रही है और मार्च 2019 को समाप्त वित्त वर्ष में उत्पादन में 1.25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है. कंपनी के एक शीर्ष अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

ओएनजीसी ने समुद्र से इतर भू-क्षेत्रों में स्थित अपने कुओं से 61.41 लाख टन कच्चे तेल का उत्पादन किया. यह उत्पादन तब हुआ है जब कि उसके ऐसे ज्यादातर तेल फील्ड 50 साल से अधिक पुराने हैं और उसमें प्राकृतिक रूप से समय के साथ उत्पादन में गिरावट आ रही है. अधिकारियों ने कहा कि कंपनी ने उत्पादन बढ़ाने के लिये कुछ पहल की है, जिसका सकारात्मक असर दिख रहा है.

सरकार की ओर से देश की सबसे बड़ी तेल एवं गैस उत्पादक कंपनी पर उत्पादन बढ़ाने का दबाव है. ओएनजीसी के तेल उत्पादन में बढ़ोतरी 2022 तक तेल आयात पर निर्भरता में 10 प्रतिशत की कटौती के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण है. पहले ही कंपनी प्राकृतिक गैस के उत्पादन में वर्षों से जारी गिरावट को रोकने में सफल रही है और उत्पादन 2018-19 में 6.5 प्रतिशत उछलकर 25.9 अरब घन मीटर रहा. हालांकि अपतटीय क्षेत्रों से तेल उत्पादन में लगातार गिरावट बनी हुई है.

यह स्थिति अगले साल से बदलने की उम्मीद है जब कृष्णा गोदावरी बेसिन फील्ड केजी-डीडब्ल्यूएन-98/2 से उत्पादन शुरू हो जाएगा. अधिकारियों ने कहा कि ओएनजीसी ने 2018-19 में खोजे गये कुल 13 में से पांच को तेजी से उत्पादन के स्तर पर लाया है. इससे भू-क्षेत्रों में स्थित फील्डों से उत्पादन में वृद्धि में मदद मिली है. कंपनी ने उत्पादन को बनाये रखने तथा उसमें वृद्धि के लिये ओएनजीसी ने पिछले वित्त वर्ष में 303 कुओं की खुदाई की जो 2014-15 के बाद से सर्वाधिक है.

इसके अलावा ओएनजीसी ने अपने दो बड़े उत्पादन फील्डों, गुजरात में मेहसाणा तथा कुछ अन्य भू-क्षेत्रीय फील्डों से उत्पादन बढ़ाने को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित गैफने क्लाइन एंड एसोसिएट्स की सेवा ली. साथ ही कंपनी ने पिछले वित्त वर्ष में कई परियोजनाओं में करीब 5,000 करोड़ रुपये निवेश किया और 2019-20 के लिये भी इतने ही निवेश की योजना है.

इस बारे में ओएनजीसी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक शशि शंकर ने कहा, "पुराने तेल क्षेत्रों में समय के साथ उभरने वाली बावजूद भू-क्षेत्रों में स्थित फील्डों से तेल उत्पादन बढ़ाने में कामयाबी मिली है. यह सब ऐसे समय में हुआ है जब दुनिया भर में इसी तरह के पुराने फील्डों से उत्पादन में तीव्र गिरावट आयी है."

ओएनजीसी के निदेशक (आनशोर) एस के मोइत्रा ने कहा कि कंपनी तेल उत्पादन बढ़ाने के लिये कई पहल कर रही है. ऐसी छह परियोजनाओं (ईओआर- एनहांस्ड आयल रिकवरी) को या तो क्रियान्वित किया जा चुका है या उन पर फिर क्रियान्वयन होने जा रहा है.
ये भी पढ़ें : दुनिया के सबसे बड़े विमान ने सफलतापूर्वक उड़ान भरी

Intro:Body:

नई दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र की आयल एंड नेचुरल गैस कारपोरेशन (ओएनजीसी) अपनी स्थलीय क्षेत्र की खनिज तेल परियोजनाओं में कच्चे तेल के उत्पादन में गिरावट के रुझान को बदलने में सफल रही है और मार्च 2019 को समाप्त वित्त वर्ष में उत्पादन में 1.25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है. कंपनी के एक शीर्ष अधिकारियों ने यह जानकारी दी.



ओएनजीसी ने समुद्र से इतर भू-क्षेत्रों में स्थित अपने कुओं से 61.41 लाख टन कच्चे तेल का उत्पादन किया. यह उत्पादन तब हुआ है जब कि उसके ऐसे ज्यादातर तेल फील्ड 50 साल से अधिक पुराने हैं और उसमें प्राकृतिक रूप से समय के साथ उत्पादन में गिरावट आ रही है. अधिकारियों ने कहा कि कंपनी ने उत्पादन बढ़ाने के लिये कुछ पहल की है, जिसका सकारात्मक असर दिख रहा है.



सरकार की ओर से देश की सबसे बड़ी तेल एवं गैस उत्पादक कंपनी पर उत्पादन बढ़ाने का दबाव है. ओएनजीसी के तेल उत्पादन में बढ़ोतरी 2022 तक तेल आयात पर निर्भरता में 10 प्रतिशत की कटौती के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण है. पहले ही कंपनी प्राकृतिक गैस के उत्पादन में वर्षों से जारी गिरावट को रोकने में सफल रही है और उत्पादन 2018-19 में 6.5 प्रतिशत उछलकर 25.9 अरब घन मीटर रहा. हालांकि अपतटीय क्षेत्रों से तेल उत्पादन में लगातार गिरावट बनी हुई है.



यह स्थिति अगले साल से बदलने की उम्मीद है जब कृष्णा गोदावरी बेसिन फील्ड केजी-डीडब्ल्यूएन-98/2 से उत्पादन शुरू हो जाएगा. अधिकारियों ने कहा कि ओएनजीसी ने 2018-19 में खोजे गये कुल 13 में से पांच को तेजी से उत्पादन के स्तर पर लाया है. इससे भू-क्षेत्रों में स्थित फील्डों से उत्पादन में वृद्धि में मदद मिली है. कंपनी ने उत्पादन को बनाये रखने तथा उसमें वृद्धि के लिये ओएनजीसी ने पिछले वित्त वर्ष में 303 कुओं की खुदाई की जो 2014-15 के बाद से सर्वाधिक है.



इसके अलावा ओएनजीसी ने अपने दो बड़े उत्पादन फील्डों, गुजरात में मेहसाणा तथा कुछ अन्य भू-क्षेत्रीय फील्डों से उत्पादन बढ़ाने को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित गैफने क्लाइन एंड एसोसिएट्स की सेवा ली. साथ ही कंपनी ने पिछले वित्त वर्ष में कई परियोजनाओं में करीब 5,000 करोड़ रुपये निवेश किया और 2019-20 के लिये भी इतने ही निवेश की योजना है.



इस बारे में ओएनजीसी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक शशि शंकर ने कहा, "पुराने तेल क्षेत्रों में समय के साथ उभरने वाली बावजूद भू-क्षेत्रों में स्थित फील्डों से तेल उत्पादन बढ़ाने में कामयाबी मिली है. यह सब ऐसे समय में हुआ है जब दुनिया भर में इसी तरह के पुराने फील्डों से उत्पादन में तीव्र गिरावट आयी है."



ओएनजीसी के निदेशक (आनशोर) एस के मोइत्रा ने कहा कि कंपनी तेल उत्पादन बढ़ाने के लिये कई पहल कर रही है. ऐसी छह परियोजनाओं (ईओआर- एनहांस्ड आयल रिकवरी) को या तो क्रियान्वित किया जा चुका है या उन पर फिर क्रियान्वयन होने जा रहा है.

ये भी पढ़ें :


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.