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जीएसटी की दर में बार-बार के बदलावों की तीखी आलोचना की 15वें वित्त आयोग के प्रमुख ने

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Published : Nov 22, 2019, 11:06 PM IST

15वें वित्त आयोग के चेयरमैन एन के सिंह ने माल एवं सेवाकर (जीएसटी) की वसूली बढ़ाने के लिए इसके ढांचे में बड़ा सुधार करने की जरूरत पर शुक्रवार को बल दिया. उन्होंने कहा कि इसके अनुपालन प्रक्रिया को सरल किया जाए तथा दरों के साथ बार बार की छेड़-छाड़ बंद हो.

जीएसटी की दर में बार-बार के बदलावों की तीखी आलोचना की 15वें वित्त आयोग के प्रमुख ने

मुंबई: 15वें वित्त आयोग के चेयरमैन एन के सिंह ने माल एवं सेवाकर (जीएसटी) की वसूली बढ़ाने के लिए इसके ढांचे में बड़ा सुधार करने की जरूरत पर शुक्रवार को बल दिया. उन्होंने कहा कि इसके अनुपालन प्रक्रिया को सरल किया जाए तथा दरों के साथ बार बार की छेड़-छाड़ बंद हो.

सिंह यहां रिजर्व बैंक मुख्यालय में एल के झा स्मृति व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार से सिंह ने कहा, "यदि आप (सरकार) जीएसटी को आसान नहीं बनाते हैं तो आप इस दूरगामी कदम के पीछे की भावना और उद्येश्यों से दूर हट रहे हैं."

उन्होंने कहा, "जीएसटी के अनुपालन की जटिलता ऐसा एक बड़ा पहलू है जिसके चलते मुझे लगता है कि जीएसटी में सुधार की भारी गुंजाइश है ताकि इससे कर प्राप्ति में सुधार हो सके."

सिंह ने कहा, "इसमें कर की दर में बार-बार जो बदलाव किए एक वे अविश्वसनीय रूप से बहुत ज्यादा हैं. आप (सरकार) कर के साथ खेल रहे हैं. ये गंभीर मसले हैं, ये दरें ऐसी नहीं है जो अपासी सुविधा से तय की जाएं."

ये भी पढ़ें: युवाओं की आर्थिक असुरक्षा से तय होगी भारत की राजनीति

वह जीएसटी संग्रह के लगातार गिरने से जुड़ा एक सवाल किए जाने पर बोल रहे थे. जीएसटी संग्रह अपने प्रतिमाह एक लाख करोड़ रुपये संग्रह के लक्ष्य से लगातार नीचे आ रहा है. वित्त आयोग केंद्र और राज्य के बीच राजस्व का बंटवारा करता है. उन्होंने केंद्र द्वारा वित्तपोषित योजनाओं और केंद्रीय परिव्यय को और अधिक तार्किक बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया.

उन्होंने कहा कि नीति आयोग की भूमिका को देखते हुए ऐसा करना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है. नीति आयोग की भूमिका के बारे में उन्होंने कहा कि यह एक शोध संस्थान है न कि वित्तीय निकाय. वित्तीय आवंटन के क्षेत्र में इसकी भूमिका स्पष्ट नहीं है. हालांकि इतनी आलोचना के बाद उन्होंने जीएसटी के तेजी से लागू किए जाने की तारीफ भी की.

उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री दिवंगत अरुण जेटली और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसका श्रेय भी दिया लेकिन उन्होंने इसके ढांचे में सुधार पर तत्काल गौर किए जाने पर बल दिया. उन्होंने कहा कि जीएसटी अनुपालन की लागत को न्यूनतम करने की दिशा में इसमें बदलाव किए जाने चाहिए. इससे कर संग्रह बढ़ेगा.

सिंह ने कहा कि जीएसटी परिषद को भी संदर्भ में पुनर्गठित किया जाना चाहिए. यह काम क्या अच्छ है, इस संदर्भ में होना चाहिए न किया एक राज्य के मुकाबले दूसरे राज्य की शक्ति के संदर्भ में ताकि इस मामले में मर्यादाओं के साथ समझौता न करना पड़े.

उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा वित्त पोषित करीब 211 योजनाएं हैं जिन पर सरकार सालाना 3.32 लाख करोड़ रुपये व्यय करती है. इनमें रोजगार जैसे विषय आदर्श रूप से राज्यों द्वारा संभाले जाने चाहिए. उन्होंने अपने व्याख्यान में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 के प्रावधानेा हटाने के केंद्र सरकार के फैसले के पक्ष में तर्क दिया.

उन्होंने कहा कि 'भारत एक भंगुर राज्यों का अभंगुर संघ है.' सिंह ने कहा कि के बाद से हमारे संघ में अनेकों बदलाव हुए हैं. इसका कारण है कि संविधान के अनुच्छेद तीन में संसद को नए राज्य गठित करने का अधिकार है.

उन्होंने कहा कि इससे यह लग सकता है कि हमारी व्यवस्था में संघ को कुछ ज्यादा ही अधिकार मिले हैं लेकिन यह भी कहा जा सकता है कि इससे हमें एक जुट रखने की केंद्रीय शक्ति है क्यों कि यह हमें उभरने और उप-राष्ट्रीयता की आकांक्षाओं से निपटने की छूट देती है. उन्होंने कहा, "भारत नश्वर राज्यों का एक अनश्वर संघ है."

मुंबई: 15वें वित्त आयोग के चेयरमैन एन के सिंह ने माल एवं सेवाकर (जीएसटी) की वसूली बढ़ाने के लिए इसके ढांचे में बड़ा सुधार करने की जरूरत पर शुक्रवार को बल दिया. उन्होंने कहा कि इसके अनुपालन प्रक्रिया को सरल किया जाए तथा दरों के साथ बार बार की छेड़-छाड़ बंद हो.

सिंह यहां रिजर्व बैंक मुख्यालय में एल के झा स्मृति व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार से सिंह ने कहा, "यदि आप (सरकार) जीएसटी को आसान नहीं बनाते हैं तो आप इस दूरगामी कदम के पीछे की भावना और उद्येश्यों से दूर हट रहे हैं."

उन्होंने कहा, "जीएसटी के अनुपालन की जटिलता ऐसा एक बड़ा पहलू है जिसके चलते मुझे लगता है कि जीएसटी में सुधार की भारी गुंजाइश है ताकि इससे कर प्राप्ति में सुधार हो सके."

सिंह ने कहा, "इसमें कर की दर में बार-बार जो बदलाव किए एक वे अविश्वसनीय रूप से बहुत ज्यादा हैं. आप (सरकार) कर के साथ खेल रहे हैं. ये गंभीर मसले हैं, ये दरें ऐसी नहीं है जो अपासी सुविधा से तय की जाएं."

ये भी पढ़ें: युवाओं की आर्थिक असुरक्षा से तय होगी भारत की राजनीति

वह जीएसटी संग्रह के लगातार गिरने से जुड़ा एक सवाल किए जाने पर बोल रहे थे. जीएसटी संग्रह अपने प्रतिमाह एक लाख करोड़ रुपये संग्रह के लक्ष्य से लगातार नीचे आ रहा है. वित्त आयोग केंद्र और राज्य के बीच राजस्व का बंटवारा करता है. उन्होंने केंद्र द्वारा वित्तपोषित योजनाओं और केंद्रीय परिव्यय को और अधिक तार्किक बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया.

उन्होंने कहा कि नीति आयोग की भूमिका को देखते हुए ऐसा करना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है. नीति आयोग की भूमिका के बारे में उन्होंने कहा कि यह एक शोध संस्थान है न कि वित्तीय निकाय. वित्तीय आवंटन के क्षेत्र में इसकी भूमिका स्पष्ट नहीं है. हालांकि इतनी आलोचना के बाद उन्होंने जीएसटी के तेजी से लागू किए जाने की तारीफ भी की.

उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री दिवंगत अरुण जेटली और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसका श्रेय भी दिया लेकिन उन्होंने इसके ढांचे में सुधार पर तत्काल गौर किए जाने पर बल दिया. उन्होंने कहा कि जीएसटी अनुपालन की लागत को न्यूनतम करने की दिशा में इसमें बदलाव किए जाने चाहिए. इससे कर संग्रह बढ़ेगा.

सिंह ने कहा कि जीएसटी परिषद को भी संदर्भ में पुनर्गठित किया जाना चाहिए. यह काम क्या अच्छ है, इस संदर्भ में होना चाहिए न किया एक राज्य के मुकाबले दूसरे राज्य की शक्ति के संदर्भ में ताकि इस मामले में मर्यादाओं के साथ समझौता न करना पड़े.

उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा वित्त पोषित करीब 211 योजनाएं हैं जिन पर सरकार सालाना 3.32 लाख करोड़ रुपये व्यय करती है. इनमें रोजगार जैसे विषय आदर्श रूप से राज्यों द्वारा संभाले जाने चाहिए. उन्होंने अपने व्याख्यान में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 के प्रावधानेा हटाने के केंद्र सरकार के फैसले के पक्ष में तर्क दिया.

उन्होंने कहा कि 'भारत एक भंगुर राज्यों का अभंगुर संघ है.' सिंह ने कहा कि के बाद से हमारे संघ में अनेकों बदलाव हुए हैं. इसका कारण है कि संविधान के अनुच्छेद तीन में संसद को नए राज्य गठित करने का अधिकार है.

उन्होंने कहा कि इससे यह लग सकता है कि हमारी व्यवस्था में संघ को कुछ ज्यादा ही अधिकार मिले हैं लेकिन यह भी कहा जा सकता है कि इससे हमें एक जुट रखने की केंद्रीय शक्ति है क्यों कि यह हमें उभरने और उप-राष्ट्रीयता की आकांक्षाओं से निपटने की छूट देती है. उन्होंने कहा, "भारत नश्वर राज्यों का एक अनश्वर संघ है."

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मुंबई: 15वें वित्त आयोग के चेयरमैन एन. के़ सिंह ने माल एवं सेवाकर (जीएसटी) की वसूली बढ़ाने के लिए इसके ढांचे में बड़ा सुधार करने की जरूरत पर शुक्रवार को बल दिया. उन्होंने कहा कि इसके अनुपालन प्रक्रिया को सरल किया जाए तथा दरों के साथ बार बार की छेड़-छाड़ बंद हो.

सिंह यहां रिजर्व बैंक मुख्यालय में एल. के. झा स्मृति व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार से सिंह ने कहा, "यदि आप (सरकार) जीएसटी को आसान नहीं बनाते हैं तो आप इस दूरगामी कदम के पीछे की भावना और उद्येश्यों से दूर हट रहे हैं."

उन्होंने कहा, "जीएसटी के अनुपालन की जटिलता ऐसा एक बड़ा पहलू है जिसके चलते मुझे लगता है कि जीएसटी में सुधार की भारी गुंजाइश है ताकि इससे कर प्राप्ति में सुधार हो सके."

सिंह ने कहा, "इसमें कर की दर में बार-बार जो बदलाव किए एक वे अविश्वसनीय रूप से बहुत ज्यादा हैं. आप (सरकार) कर के साथ खेल रहे हैं. ये गंभीर मसले हैं, ये दरें ऐसी नहीं है जो अपासी सुविधा से तय की जाएं."

वह जीएसटी संग्रह के लगातार गिरने से जुड़ा एक सवाल किए जाने पर बोल रहे थे. जीएसटी संग्रह अपने प्रतिमाह एक लाख करोड़ रुपये संग्रह के लक्ष्य से लगातार नीचे आ रहा है. वित्त आयोग केंद्र और राज्य के बीच राजस्व का बंटवारा करता है. उन्होंने केंद्र द्वारा वित्तपोषित योजनाओं और केंद्रीय परिव्यय को और अधिक तार्किक बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया.

उन्होंने कहा कि नीति आयोग की भूमिका को देखते हुए ऐसा करना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है. नीति आयोग की भूमिका के बारे में उन्होंने कहा कि यह एक शोध संस्थान है न कि वित्तीय निकाय. वित्तीय आवंटन के क्षेत्र में इसकी भूमिका स्पष्ट नहीं है. हालांकि इतनी आलोचना के बाद उन्होंने जीएसटी के तेजी से लागू किए जाने की तारीफ भी की.

उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री दिवंगत अरुण जेटली और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसका श्रेय भी दिया लेकिन उन्होंने इसके ढांचे में सुधार पर तत्काल गौर किए जाने पर बल दिया. उन्होंने कहा कि जीएसटी अनुपालन की लागत को न्यूनतम करने की दिशा में इसमें बदलाव किए जाने चाहिए. इससे कर संग्रह बढ़ेगा.

सिंह ने कहा कि जीएसटी परिषद को भी संदर्भ में पुनर्गठित किया जाना चाहिए. यह काम क्या अच्छ है, इस संदर्भ में होना चाहिए न किया एक राज्य के मुकाबले दूसरे राज्य की शक्ति के संदर्भ में ताकि इस मामले में मर्यादाओं के साथ समझौता न करना पड़े.

उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा वित्त पोषित करीब 211 योजनाएं हैं जिन पर सरकार सालाना 3.32 लाख करोड़ रुपये व्यय करती है. इनमें रोजगार जैसे विषय आदर्श रूप से राज्यों द्वारा संभाले जाने चाहिए. उन्होंने अपने व्याख्यान में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 के प्रावधानेा हटाने के केंद्र सरकार के फैसले के पक्ष में तर्क दिया.

उन्होंने कहा कि 'भारत एक भंगुर राज्यों का अभंगुर संघ है.' सिंह ने कहा कि के बाद से हमारे संघ में अनेकों बदलाव हुए हैं. इसका कारण है कि संविधान के अनुच्छेद तीन में संसद को नए राज्य गठित करने का अधिकार है.

उन्होंने कहा कि इससे यह लग सकता है कि हमारी व्यवस्था में संघ को कुछ ज्यादा ही अधिकार मिले हैं लेकिन यह भी कहा जा सकता है कि इससे हमें एक जुट रखने की केंद्रीय शक्ति है क्यों कि यह हमें उभरने और उप-राष्ट्रीयता की आकांक्षाओं से निपटने की छूट देती है. उन्होंने कहा, "भारत नश्वर राज्यों का एक अनश्वर संघ है."

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