ETV Bharat / business

उद्योग और प्रवासी मजदूरों के लिए तत्काल बड़ी राहत योजना की जरूरत

विमानन उद्योग के दिग्गज जी आर गोपीनाथ ने कोविड-19 संक्रमण फैलने के बीच उद्योगों और प्रवासी श्रमिकों के लिए राहत योजना लाने को कहा है. इसी तरह उद्योग मंडल पीएचडी ने सूक्ष्म लघु और मझोले उद्यमों को वित्तीय संकट में मदद के लिए 25 हजार करोड़ रुपये का आपदा कोष बनाने का सुझाव दिया है.

उद्योग और प्रवासी मजदूरों के लिए तत्काल बड़ी राहत योजना की जरूरत
उद्योग और प्रवासी मजदूरों के लिए तत्काल बड़ी राहत योजना की जरूरत
author img

By

Published : Apr 5, 2020, 12:38 PM IST

बेंगलुरु: कारोबार जगत ने कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न परिस्थितियों के बीच विभिन्न उद्योगों और प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए सरकार की ओर से और कारगर उपाय किए जाने पर बल दिया है.

विमानन उद्योग के दिग्गज जी आर गोपीनाथ ने कोविड-19 संक्रमण फैलने के बीच उद्योगों और प्रवासी श्रमिकों के लिए राहत योजना लाने को कहा है. इसी तरह उद्योग मंडल पीएचडी ने सूक्ष्म लघु और मझोले उद्यमों को वित्तीय संकट में मदद के लिए 25 हजार करोड़ रुपये का आपदा कोष बनाने का सुझाव दिया है.

सस्ती विमान सेवा की शुरुआत करने वाली एयर डेक्कन के संस्थापक रहे गोपीनाथ ने कहा कि इस महामारी की वजह से उद्योग और प्रवासी मजदूरों पर काफी दबाव है जिसके चलते राहत योजना लाना अत्यंत महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि इस महामारी से निश्चित रूप से विमानन क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है और विमान खड़े हो गए हैं. उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण है.

गोपनीथ ने पीटीआई भाषा से कहा, "लेकिन मैं सिर्फ इस क्षेत्र के बारे में बात नहीं करना चाहता. यह सही नहीं होगा. विमानन की तरह ही ट्रक और होटल आदि उद्योगों को भी झटका लगा है." उन्होंने कहा कि इसके अलावा एमएसएमई और स्वरोजगार में लगे लोग भी इससे प्रभावित हुए हैं. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण प्रवासी मजदूर हैं. हमने उनके पलायन की डरावनी तस्वीरें देखी हैं.

गोपनीथ ने कहा कि सरकार को राहत योजना लानी चाहिए. यह अत्यंत महत्वपूर्ण है. लॉकडाउन का प्रभाव जितना बड़ा होगा, राहत पैकेज का आकार भी उतना बड़ा होना चाहिए. अमेरिका ने अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 12 प्रतिशत और फ्रांस ने करीब 15 प्रतिशत का पैकेज दिया है. भारने ने अपने जीडीपी का एक प्रतिशत से भी कम का राहत पैकेज दिया है.

उत्तर भारत के प्रमुख उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर्स आफ कॉमर्स ने कोविड-19 महामारी के प्रभाव पर एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को वित्तीय दबाव से निकलने में मदद के लिए 25,000 करोड़ रुपये का संकटकालीन कोष गठित करने का सुझाव दिया है.

ये भी पढ़ें- मोदी के 5 अप्रैल के 'ब्लैकआउट' के आह्वान को लेकर पावरग्रिड हाईअलर्ट पर

इस रिपोर्ट में सरकार को कई सुझाव दिए गए हैं ताकि देश में उद्योग और कारोबार क्षेत्र को व्यापक राहत दी जा सके.

पीएचडी चैंबर्स के बयान में इसके अध्यक्ष डॉ. डी के अग्रवाल ने कहा है कि सरकारी विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों को एमएसएमई के बकाया का भुगतान सात दिन में करने को कहा जाना चाहिए. इसके अलावा उन्हें किसी भी बकाया बिल के भुगतान के बारे में अनुपालन रिपोर्ट देने को नहीं कहा जाना चाहिए.

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने अन्य प्रतिस्पर्धी रेटिंग एजेंसियों तथा एशियाई विकास बैंक (एडीबी) जैसे अंतरराष्ट्रीय वित्त संगठनों के सुर में सुर मिलाते हुए 2020-21 के लिये भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटा दिया.

गौरतलब है कि कोरोना वायरस के चलते पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हैं. फिच रेटिंग्स ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना वायरस के कारण आ रहे अवरोधों के चलते 2020-21 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर महज दो प्रतिशत रह सकती है.

कोरोना वायरस के संक्रमण से अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान को लेकर एडीबी, एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स, मूडीज और इंडिया रेटिंग्स ने भी भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान में कटौती की है.

सरकार ने आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए हाल में 1.7 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक पैकेज घोषित किया है जिसमें गरीबों और मनरेगा मजदूरों की आय बढ़ाने के उपाय भी शामिल है. सरकार ने आयकर और जीएसटी के नियमों के अनुपालन के लिए समय बढ़ा दिया है.

रिजर्व बैंक ने भी रेपो दर में 0.75 प्रतिशत की 11 साल की सबसे बड़ी कटौती करने के साथ साथ बैंकों को किस्तों की वसूली में तीन माह तक राहत देने की छूट दी है.

लेकिन उद्योग जगत स्थिति को गंभीर बताते हुए सरकार से और कारगर मदद की अपेक्षा कर रहा है.

(पीटीआई-भाषा)

बेंगलुरु: कारोबार जगत ने कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न परिस्थितियों के बीच विभिन्न उद्योगों और प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए सरकार की ओर से और कारगर उपाय किए जाने पर बल दिया है.

विमानन उद्योग के दिग्गज जी आर गोपीनाथ ने कोविड-19 संक्रमण फैलने के बीच उद्योगों और प्रवासी श्रमिकों के लिए राहत योजना लाने को कहा है. इसी तरह उद्योग मंडल पीएचडी ने सूक्ष्म लघु और मझोले उद्यमों को वित्तीय संकट में मदद के लिए 25 हजार करोड़ रुपये का आपदा कोष बनाने का सुझाव दिया है.

सस्ती विमान सेवा की शुरुआत करने वाली एयर डेक्कन के संस्थापक रहे गोपीनाथ ने कहा कि इस महामारी की वजह से उद्योग और प्रवासी मजदूरों पर काफी दबाव है जिसके चलते राहत योजना लाना अत्यंत महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि इस महामारी से निश्चित रूप से विमानन क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है और विमान खड़े हो गए हैं. उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण है.

गोपनीथ ने पीटीआई भाषा से कहा, "लेकिन मैं सिर्फ इस क्षेत्र के बारे में बात नहीं करना चाहता. यह सही नहीं होगा. विमानन की तरह ही ट्रक और होटल आदि उद्योगों को भी झटका लगा है." उन्होंने कहा कि इसके अलावा एमएसएमई और स्वरोजगार में लगे लोग भी इससे प्रभावित हुए हैं. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण प्रवासी मजदूर हैं. हमने उनके पलायन की डरावनी तस्वीरें देखी हैं.

गोपनीथ ने कहा कि सरकार को राहत योजना लानी चाहिए. यह अत्यंत महत्वपूर्ण है. लॉकडाउन का प्रभाव जितना बड़ा होगा, राहत पैकेज का आकार भी उतना बड़ा होना चाहिए. अमेरिका ने अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 12 प्रतिशत और फ्रांस ने करीब 15 प्रतिशत का पैकेज दिया है. भारने ने अपने जीडीपी का एक प्रतिशत से भी कम का राहत पैकेज दिया है.

उत्तर भारत के प्रमुख उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर्स आफ कॉमर्स ने कोविड-19 महामारी के प्रभाव पर एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को वित्तीय दबाव से निकलने में मदद के लिए 25,000 करोड़ रुपये का संकटकालीन कोष गठित करने का सुझाव दिया है.

ये भी पढ़ें- मोदी के 5 अप्रैल के 'ब्लैकआउट' के आह्वान को लेकर पावरग्रिड हाईअलर्ट पर

इस रिपोर्ट में सरकार को कई सुझाव दिए गए हैं ताकि देश में उद्योग और कारोबार क्षेत्र को व्यापक राहत दी जा सके.

पीएचडी चैंबर्स के बयान में इसके अध्यक्ष डॉ. डी के अग्रवाल ने कहा है कि सरकारी विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों को एमएसएमई के बकाया का भुगतान सात दिन में करने को कहा जाना चाहिए. इसके अलावा उन्हें किसी भी बकाया बिल के भुगतान के बारे में अनुपालन रिपोर्ट देने को नहीं कहा जाना चाहिए.

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने अन्य प्रतिस्पर्धी रेटिंग एजेंसियों तथा एशियाई विकास बैंक (एडीबी) जैसे अंतरराष्ट्रीय वित्त संगठनों के सुर में सुर मिलाते हुए 2020-21 के लिये भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटा दिया.

गौरतलब है कि कोरोना वायरस के चलते पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हैं. फिच रेटिंग्स ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना वायरस के कारण आ रहे अवरोधों के चलते 2020-21 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर महज दो प्रतिशत रह सकती है.

कोरोना वायरस के संक्रमण से अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान को लेकर एडीबी, एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स, मूडीज और इंडिया रेटिंग्स ने भी भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान में कटौती की है.

सरकार ने आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए हाल में 1.7 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक पैकेज घोषित किया है जिसमें गरीबों और मनरेगा मजदूरों की आय बढ़ाने के उपाय भी शामिल है. सरकार ने आयकर और जीएसटी के नियमों के अनुपालन के लिए समय बढ़ा दिया है.

रिजर्व बैंक ने भी रेपो दर में 0.75 प्रतिशत की 11 साल की सबसे बड़ी कटौती करने के साथ साथ बैंकों को किस्तों की वसूली में तीन माह तक राहत देने की छूट दी है.

लेकिन उद्योग जगत स्थिति को गंभीर बताते हुए सरकार से और कारगर मदद की अपेक्षा कर रहा है.

(पीटीआई-भाषा)

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.