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मोदी सरकार की आर्थिक नीतियां रोजगार पैदा करने में विफल: अर्थशास्त्री

प्रोफेसर झा ने बताया कि निर्माण क्षेत्र जो कि कृषि के बाद सबसे बड़ा रोजगार देने वाला क्षेत्र था. वह विमुद्रीकरण के कारण ठप हो गया है. इस निर्णय के कारण कृषि क्षेत्र भी काफी हद तक प्रभावित हुई है.

मोदी सरकार की आर्थिक नीतियां रोजगार पैदा करने में विफल: अर्थशास्त्री
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Published : Mar 23, 2019, 5:05 PM IST

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से पहले वित्तीय मुद्दों पर चर्चा करते हुए ईटीवी भारत ने प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रेम शंकर झा से बात की. झा ने अपनी राय में कहा कि देश के युवाओं के लिए पर्याप्त रोजगार नहीं पैदा करने के लिए मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों जिम्मेदार हैं.

अर्थशास्त्री प्रेम शंकर झा ने कहा, "मैं मोदी सरकार से पूछना चाहता हूं कि उनके कार्यकाल में रोजगार सृजन के वादे कहां हैं?." उन्होंने कहा कि एक करोड़ से अधिक लोगों ने अपनी नौकरी खो दी है और दस लाख मध्यम और छोटे उद्यमों को बंद करने के लिए मजबूर किया गया है. छोटे कंपनीयों के बंद होने की संख्या बहुत अधिक है. यह दर्शाता है कि मोदी सरकार अर्थशास्त्र को नहीं समझती है.

ये भी पढ़ें-विदेशी मुद्रा भंडार 3.6 अरब डॉलर बढ़कर 405.63 अरब डॉलर

समस्याओं के बारे में आगे बताते हुए, प्रोफेसर झा ने बताया कि निर्माण क्षेत्र जो कि कृषि के बाद सबसे बड़ा रोजगार देने वाला क्षेत्र था. वह विमुद्रीकरण के कारण ठप हो गया है. इस निर्णय के कारण कृषि क्षेत्र भी काफी हद तक प्रभावित हुई है.

झा ने कहा कि विमुद्रीकरण मोदी सरकार का सबसे विनाशकारी निर्णय था. उन्होंने कहा कि आज भी हमारी अर्थव्यवस्था का 90 फीसदी हिस्सा नकदी में चल रहा है. नकदी अर्थव्यवस्था कोई गलत चीज नहीं है. बस सरकार को बेहिसाब आय को रोककर रखना चाहिए लेकिन मोदी सरकार ऐसा करने में भी विफल रही है.

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से पहले वित्तीय मुद्दों पर चर्चा करते हुए ईटीवी भारत ने प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रेम शंकर झा से बात की. झा ने अपनी राय में कहा कि देश के युवाओं के लिए पर्याप्त रोजगार नहीं पैदा करने के लिए मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों जिम्मेदार हैं.

अर्थशास्त्री प्रेम शंकर झा ने कहा, "मैं मोदी सरकार से पूछना चाहता हूं कि उनके कार्यकाल में रोजगार सृजन के वादे कहां हैं?." उन्होंने कहा कि एक करोड़ से अधिक लोगों ने अपनी नौकरी खो दी है और दस लाख मध्यम और छोटे उद्यमों को बंद करने के लिए मजबूर किया गया है. छोटे कंपनीयों के बंद होने की संख्या बहुत अधिक है. यह दर्शाता है कि मोदी सरकार अर्थशास्त्र को नहीं समझती है.

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समस्याओं के बारे में आगे बताते हुए, प्रोफेसर झा ने बताया कि निर्माण क्षेत्र जो कि कृषि के बाद सबसे बड़ा रोजगार देने वाला क्षेत्र था. वह विमुद्रीकरण के कारण ठप हो गया है. इस निर्णय के कारण कृषि क्षेत्र भी काफी हद तक प्रभावित हुई है.

झा ने कहा कि विमुद्रीकरण मोदी सरकार का सबसे विनाशकारी निर्णय था. उन्होंने कहा कि आज भी हमारी अर्थव्यवस्था का 90 फीसदी हिस्सा नकदी में चल रहा है. नकदी अर्थव्यवस्था कोई गलत चीज नहीं है. बस सरकार को बेहिसाब आय को रोककर रखना चाहिए लेकिन मोदी सरकार ऐसा करने में भी विफल रही है.

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मोदी सरकार की आर्थिक नीतियां रोजगार पैदा करने में विफल: अर्थशास्त्री

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से पहले वित्तीय मुद्दों पर चर्चा करते हुए ईटीवी भारत ने प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रेम शंकर झा से बात की. झा ने अपनी राय में कहा कि देश के युवाओं के लिए पर्याप्त रोजगार नहीं पैदा करने के लिए मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों जिम्मेदार हैं. 

अर्थशास्त्री प्रेम शंकर झा ने कहा, "मैं मोदी सरकार से पूछना चाहता हूं कि उनके कार्यकाल में रोजगार सृजन के वादे कहां हैं?." उन्होंने कहा कि एक करोड़ से अधिक लोगों ने अपनी नौकरी खो दी है और दस लाख मध्यम और छोटे उद्यमों को बंद करने के लिए मजबूर किया गया है. छोटे कंपनीयों के बंद होने की संख्या बहुत अधिक है. यह दर्शाता है कि मोदी सरकार अर्थशास्त्र को नहीं समझती है.   

समस्याओं के बारे में आगे बताते हुए, प्रोफेसर झा ने बताया कि निर्माण क्षेत्र जो कि कृषि के बाद सबसे बड़ा रोजगार देने वाला क्षेत्र था. वह विमुद्रीकरण के कारण ठप हो गया है. इस निर्णय के कारण कृषि क्षेत्र भी काफी हद तक प्रभावित हुई है. 

झा ने कहा कि विमुद्रीकरण मोदी सरकार का सबसे विनाशकारी निर्णय था. उन्होंने कहा कि आज भी हमारी अर्थव्यवस्था का 90 फीसदी हिस्सा नकदी में चल रहा है. नकदी अर्थव्यवस्था कोई गलत चीज नहीं है. बस सरकार को बेहिसाब आय को रोककर रखना चाहिए लेकिन मोदी सरकार ऐसा करने में भी विफल रही है.


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