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भारत में मेगा फूड पार्क- महत्व और आगे का सफर - Importance and Way Forward

मेगा फूड पार्क की योजना किसानों, प्रोसेसर और खुदरा विक्रेताओं को एक साथ लाकर बाजार में कृषि उत्पादन को जोड़ने के लिए एक तंत्र प्रदान करता है ताकि मूल्य संवर्धन को अधिकतम किया जा सके. जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा हों.

भारत में मेगा फूड पार्क-महत्व और रास्ता आगे
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Published : Nov 5, 2019, 11:53 PM IST

Updated : Nov 6, 2019, 7:22 PM IST

हैदराबाद: खाद्य प्रसंस्करण वैश्विक अर्थव्यवस्था में खाद्य आपूर्ति श्रृंखला का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है. भारत में पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में काफी वृद्धि देखने को मिली है. यह क्षेत्र लगभग 11% कृषि मूल्य वर्धित और 9% विनिर्माण मूल्य वर्धित उत्पादों में योगदान देता है.

उद्योग मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2018-19 के अनुसार, फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र के संगठित क्षेत्र में कार्यबल का 12.8% और असंगठित क्षेत्र में कार्यबल का 13.7% कार्यरत है.
दुनिया में कृषि और खाद्य उत्पादों के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक होने के बावजूद, भारत को वैश्विक खाद्य प्रसंस्करण मूल्य श्रृंखलाओं में काफी पीछे है. वास्तव में शेष भारत (अधिकांश अन्य क्षेत्रों) की तरह यह क्षेत्र भी काफी हद तक असंगठित और अनौपचारिक है.

खाद्य प्रसंस्करण का वर्गीकरण
खाद्य प्रसंस्करण को प्राथमिक और माध्यमिक प्रसंस्करण में वर्गीकृत किया जा सकता है. चावल, चीनी, खाद्य तेल और आटा पीसने की मिलें प्राथमिक प्रसंस्करण के उदाहरण हैं. माध्यमिक प्रसंस्करण में फल और सब्जियां, दूध उत्पाद, बेकरी, चॉकलेट और अन्य वस्तुओं का प्रसंस्करण शामिल है.

भारत में प्रसंस्करण प्राथमिक वर्ग तक ही सीमित है, जिसमें द्वितीयक प्रसंस्करण की तुलना में कम मूल्य-वृद्धि होती है. किसानों को आय बढ़ाने के लिए प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों की मूल्य श्रृंखला में ऊपर की ओर बढ़ाने की आवश्यकता है. उदाहरण के लिए, बागवानी उत्पाद, जैसे कि फल और सब्जियां, अनाज की फसलों की तुलना में अधिक मूल्य-वृद्धि की क्षमता रखते हैं.

खाद्य प्रसंस्करण का महत्व
खाद्य प्रसंस्करण अतिरिक्त उत्पादन का कुशलता से उपयोग करने का अवसर प्रदान करता है. सिर्फ विकास के नजरिए से नहीं, खाद्य प्रसंस्करण खाद्य अपशिष्ट को कम करने के भी दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है.
संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि उत्पादन का 40% खाना बर्बाद हो जाता है. वहीं, नीति आयोग के अध्ययन ने बताया था कि अनुमानित रूप से वार्षिक कटाई के बाद के 90,000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है.


मेगा फूड पार्क की अवधारणा
मेगा फूड पार्क की योजना किसानों, प्रोसेसर और खुदरा विक्रेताओं को एक साथ लाकर बाजार में कृषि उत्पादन को जोड़ने के लिए एक तंत्र प्रदान करता है ताकि मूल्य संवर्धन को अधिकतम किया जा सके. जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा हों.
एक मेगा फूड पार्क में आमतौर पर आपूर्ति श्रृंखला की आधारिक संरचना होती है जिसमें संग्रह केंद्र, प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्र, केंद्रीय प्रसंस्करण केंद्र, कोल्ड चेन सहित उद्यमियों के लिए खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए लगभग 25-30 पूरी तरह से विकसित भूखंड होते हैं.

मेगा फूड पार्क योजना का कार्यान्वयन
मेगा फूड पार्क योजना का कार्यान्वयन विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) तंत्र के माध्यम से किया जा रहा है जिसमें सरकारी एजेंसियां, वित्तीय संस्थान / बैंक, संगठित खुदरा विक्रेता, खाद्य प्रोसेसर, सेवा प्रदाता, उत्पादक, किसान संगठन हिस्सेदार हैं.

यह योजना खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के दायरे में है. प्रत्येक फूड पार्क में लगभग 30-35 खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां, 250 करोड़ रुपये का कुल निवेश, लगभग 450-500 करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार और लगभग 30,000 व्यक्तियों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार की उम्मीद है.

हालांकि यह योजना 2008 में शुरू की गई थी, लेकिन 2014 तक केवल दो मेगा फूड पार्कों को चालू किया गया था. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, केंद्र सरकार ने 42 मेगा फूड पार्कों को वित्त पोषित किया है और 17 मेगा फूड पार्कों को चालू किया है.

प्रत्येक राज्य में मेगा फूड पार्क की स्थिति की सूची:

राज्य

आवंटन

परिचालन

आंध्रप्रदेश

3

2

अरुणाचल प्रदेश

1

असम

1

1

बिहार

1

छत्तीसगढ़

1

गुजरात

2

1

हरियाणा

2

हिमाचल प्रदेश

1

1

जम्मू कश्मीर

1

कर्नाटक

2

1

केरल

2

मध्यप्रदेश

2

1

महाराष्ट्र

3

2

मणिपुर

1

मिजोरम

1

नागालैंड

1

ओड़िशा

2

1

पंजाब

3

1

राजस्थान

1

1

तेलंगाना

2

1

त्रिपुरा

1

1

उत्तरांचल

2

1

उत्तराखंड

2

2

उत्तरप्रदेश

2

पश्चिम बंगाल

2

1

कुल

42

17

खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय कोल्ड चेन की एक केंद्रीय क्षेत्र योजना, मूल्य संवर्धन और संरक्षण बुनियादी ढांचे को भी लागू कर रहा है, जिसके तहत बागवानी और गैर-बागवानी उत्पादों की कटाई के बाद के नुकसान को रोकने के लिए एकीकृत कोल्ड चेन का बुनियादी ढांचा स्थापित करने के लिए सहायता प्रदान की जाती है.

इस परियोजना के लिए 10 करोड़ रुपये की अनुदान राशी निर्धारित की गई है. सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए देश भर में 500 कोल्ड चेन स्थापित करने का फैसला किया है, जिसमें पिछले साल 7 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई थी. पिछले साल तक सरकार द्वारा कुल 299 एकीकृत कोल्ड चेन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी. इसमें से 91 शुरू हो चुकी हैं.

खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा देने के उपाय
यद्यपि प्रसंस्करण क्षमता बढ़ाने के लिए आधारभूत संरचना का निर्माण आवश्यक है, लेकिन उस क्षमता का उपयोग करने में सक्षम होने के लिए पर्याप्त कौशल होना भी बहुत जरूरी है.
किसानों की ओर जाती कड़ियों को और मजबूत बनाने की जरूरत है. अनुबंध कृषि इस संबंध में एक आकर्षक आय है.

मॉडल कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट, 2018 के अनुसार, अनुबंध से आपूर्ति की जाने वाली उपज की मात्रा, गुणवत्ता और कीमत निर्दिष्ट होगी. यह किसानों को मूल्य की अस्थिरता से बचाव प्रदान करेगा और गुणवत्ता की प्रतिबद्धताओं के अधीन रखेगा. राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) ने 2022 तक खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में 1.78 करोड़ व्यक्तियों को कौशल देने की आवश्यकता का अनुमान लगाया. खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र और मेगा फूड पार्क को बढ़ावा देने के लिए, भारत सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में स्वचालित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी है.

भारत में निर्मित या उत्पादित खाद्य उत्पादों के संबंध में ई-कॉमर्स के माध्यम से व्यापार के लिए सरकारी अनुमोदन मार्ग के माध्यम से भी 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है. साल 2024 तक, यह उम्मीद है कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग संभावित रूप से 33 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवेश लाएगा और 90 लाख लोगों के लिए रोजगार पैदा करेगा.

प्रसंस्कृत खाद्य का निर्यात क्षमता
वर्तमान में, भारत के कृषि निर्यात में मुख्य रूप से कच्चे माल शामिल हैं, जिन्हें फिर अन्य देशों में संसाधित किया जाता है. दुनिया में कृषि वस्तुओं के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक होने के बावजूद जीडीपी में कृषि निर्यात का हिस्सा भारत में काफी कम है. भारत का कृषि निर्यात में जीडीपी का प्रतिशत केवल 2 है. जबकि इसका समान अनुपात ब्राजील के लिए 4%, अर्जेंटीना के लिए 7%, थाईलैंड के लिए 9% है. भारत ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए प्रसंस्कृत खाद्य का निर्यात 31,111.90 करोड़ रुपये किया था.

भारत का प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात
उत्पाद मूल्य ( करोड़ रुपये में )
आम का गूदा 657.67
प्रसंस्कृत सब्जियां 2473.99
ककड़ी और खीरा 1436.08
प्रसंस्कृत फल, रस और मेवे 2804.97
दलहन 1680.18
मूंगफली 3298.33
ग्वार गम 4707.05
गुड़ और मिष्ठान्न 1606.32
कोको उत्पाद 1350.86
अनाज के उत्पाद 3859.37
अल्कोहल पेय 2103.97
विविध उत्पाद 4072.98
मिल के उत्पाद 1060.13


आगे का सफर
हर साल हम समाचार पत्रों में पढ़ते हैं कि किसान निराश होकर अपनी उपज को सड़क पर फेंक रहे हैं क्योंकि उन्हें अपनी कृषि उपज जैसे टमाटर और प्याज के लिए उचित मूल्य नहीं मिल रहें हैं.

हर राज्य के कृषि विभाग को किसानों का मार्गदर्शन करना चाहिए ताकि वे एक ही वस्तु के बदले विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन कर सकें क्योंकि एक ही वस्तु से जब बाजार भर जाता है, तो कीमतें गिर जाती हैं और एजेंटों द्वारा किसानों का शोषण किया जाता है.

कई बार, हमारे पास मांग को पूरा करने में सक्षम होने के लिए ताजा कृषि उपज को संरक्षित करने और संसाधित करने की क्षमता नहीं होती है. इसलिए प्रोसेसर और किसानों के बीच अनुबंध कृषि की कड़ी को विकसित और बेहतर करने की आवश्यकता है.

हैदराबाद: खाद्य प्रसंस्करण वैश्विक अर्थव्यवस्था में खाद्य आपूर्ति श्रृंखला का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है. भारत में पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में काफी वृद्धि देखने को मिली है. यह क्षेत्र लगभग 11% कृषि मूल्य वर्धित और 9% विनिर्माण मूल्य वर्धित उत्पादों में योगदान देता है.

उद्योग मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2018-19 के अनुसार, फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र के संगठित क्षेत्र में कार्यबल का 12.8% और असंगठित क्षेत्र में कार्यबल का 13.7% कार्यरत है.
दुनिया में कृषि और खाद्य उत्पादों के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक होने के बावजूद, भारत को वैश्विक खाद्य प्रसंस्करण मूल्य श्रृंखलाओं में काफी पीछे है. वास्तव में शेष भारत (अधिकांश अन्य क्षेत्रों) की तरह यह क्षेत्र भी काफी हद तक असंगठित और अनौपचारिक है.

खाद्य प्रसंस्करण का वर्गीकरण
खाद्य प्रसंस्करण को प्राथमिक और माध्यमिक प्रसंस्करण में वर्गीकृत किया जा सकता है. चावल, चीनी, खाद्य तेल और आटा पीसने की मिलें प्राथमिक प्रसंस्करण के उदाहरण हैं. माध्यमिक प्रसंस्करण में फल और सब्जियां, दूध उत्पाद, बेकरी, चॉकलेट और अन्य वस्तुओं का प्रसंस्करण शामिल है.

भारत में प्रसंस्करण प्राथमिक वर्ग तक ही सीमित है, जिसमें द्वितीयक प्रसंस्करण की तुलना में कम मूल्य-वृद्धि होती है. किसानों को आय बढ़ाने के लिए प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों की मूल्य श्रृंखला में ऊपर की ओर बढ़ाने की आवश्यकता है. उदाहरण के लिए, बागवानी उत्पाद, जैसे कि फल और सब्जियां, अनाज की फसलों की तुलना में अधिक मूल्य-वृद्धि की क्षमता रखते हैं.

खाद्य प्रसंस्करण का महत्व
खाद्य प्रसंस्करण अतिरिक्त उत्पादन का कुशलता से उपयोग करने का अवसर प्रदान करता है. सिर्फ विकास के नजरिए से नहीं, खाद्य प्रसंस्करण खाद्य अपशिष्ट को कम करने के भी दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है.
संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि उत्पादन का 40% खाना बर्बाद हो जाता है. वहीं, नीति आयोग के अध्ययन ने बताया था कि अनुमानित रूप से वार्षिक कटाई के बाद के 90,000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है.


मेगा फूड पार्क की अवधारणा
मेगा फूड पार्क की योजना किसानों, प्रोसेसर और खुदरा विक्रेताओं को एक साथ लाकर बाजार में कृषि उत्पादन को जोड़ने के लिए एक तंत्र प्रदान करता है ताकि मूल्य संवर्धन को अधिकतम किया जा सके. जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा हों.
एक मेगा फूड पार्क में आमतौर पर आपूर्ति श्रृंखला की आधारिक संरचना होती है जिसमें संग्रह केंद्र, प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्र, केंद्रीय प्रसंस्करण केंद्र, कोल्ड चेन सहित उद्यमियों के लिए खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए लगभग 25-30 पूरी तरह से विकसित भूखंड होते हैं.

मेगा फूड पार्क योजना का कार्यान्वयन
मेगा फूड पार्क योजना का कार्यान्वयन विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) तंत्र के माध्यम से किया जा रहा है जिसमें सरकारी एजेंसियां, वित्तीय संस्थान / बैंक, संगठित खुदरा विक्रेता, खाद्य प्रोसेसर, सेवा प्रदाता, उत्पादक, किसान संगठन हिस्सेदार हैं.

यह योजना खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के दायरे में है. प्रत्येक फूड पार्क में लगभग 30-35 खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां, 250 करोड़ रुपये का कुल निवेश, लगभग 450-500 करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार और लगभग 30,000 व्यक्तियों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार की उम्मीद है.

हालांकि यह योजना 2008 में शुरू की गई थी, लेकिन 2014 तक केवल दो मेगा फूड पार्कों को चालू किया गया था. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, केंद्र सरकार ने 42 मेगा फूड पार्कों को वित्त पोषित किया है और 17 मेगा फूड पार्कों को चालू किया है.

प्रत्येक राज्य में मेगा फूड पार्क की स्थिति की सूची:

राज्य

आवंटन

परिचालन

आंध्रप्रदेश

3

2

अरुणाचल प्रदेश

1

असम

1

1

बिहार

1

छत्तीसगढ़

1

गुजरात

2

1

हरियाणा

2

हिमाचल प्रदेश

1

1

जम्मू कश्मीर

1

कर्नाटक

2

1

केरल

2

मध्यप्रदेश

2

1

महाराष्ट्र

3

2

मणिपुर

1

मिजोरम

1

नागालैंड

1

ओड़िशा

2

1

पंजाब

3

1

राजस्थान

1

1

तेलंगाना

2

1

त्रिपुरा

1

1

उत्तरांचल

2

1

उत्तराखंड

2

2

उत्तरप्रदेश

2

पश्चिम बंगाल

2

1

कुल

42

17

खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय कोल्ड चेन की एक केंद्रीय क्षेत्र योजना, मूल्य संवर्धन और संरक्षण बुनियादी ढांचे को भी लागू कर रहा है, जिसके तहत बागवानी और गैर-बागवानी उत्पादों की कटाई के बाद के नुकसान को रोकने के लिए एकीकृत कोल्ड चेन का बुनियादी ढांचा स्थापित करने के लिए सहायता प्रदान की जाती है.

इस परियोजना के लिए 10 करोड़ रुपये की अनुदान राशी निर्धारित की गई है. सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए देश भर में 500 कोल्ड चेन स्थापित करने का फैसला किया है, जिसमें पिछले साल 7 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई थी. पिछले साल तक सरकार द्वारा कुल 299 एकीकृत कोल्ड चेन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी. इसमें से 91 शुरू हो चुकी हैं.

खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा देने के उपाय
यद्यपि प्रसंस्करण क्षमता बढ़ाने के लिए आधारभूत संरचना का निर्माण आवश्यक है, लेकिन उस क्षमता का उपयोग करने में सक्षम होने के लिए पर्याप्त कौशल होना भी बहुत जरूरी है.
किसानों की ओर जाती कड़ियों को और मजबूत बनाने की जरूरत है. अनुबंध कृषि इस संबंध में एक आकर्षक आय है.

मॉडल कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट, 2018 के अनुसार, अनुबंध से आपूर्ति की जाने वाली उपज की मात्रा, गुणवत्ता और कीमत निर्दिष्ट होगी. यह किसानों को मूल्य की अस्थिरता से बचाव प्रदान करेगा और गुणवत्ता की प्रतिबद्धताओं के अधीन रखेगा. राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) ने 2022 तक खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में 1.78 करोड़ व्यक्तियों को कौशल देने की आवश्यकता का अनुमान लगाया. खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र और मेगा फूड पार्क को बढ़ावा देने के लिए, भारत सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में स्वचालित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी है.

भारत में निर्मित या उत्पादित खाद्य उत्पादों के संबंध में ई-कॉमर्स के माध्यम से व्यापार के लिए सरकारी अनुमोदन मार्ग के माध्यम से भी 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है. साल 2024 तक, यह उम्मीद है कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग संभावित रूप से 33 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवेश लाएगा और 90 लाख लोगों के लिए रोजगार पैदा करेगा.

प्रसंस्कृत खाद्य का निर्यात क्षमता
वर्तमान में, भारत के कृषि निर्यात में मुख्य रूप से कच्चे माल शामिल हैं, जिन्हें फिर अन्य देशों में संसाधित किया जाता है. दुनिया में कृषि वस्तुओं के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक होने के बावजूद जीडीपी में कृषि निर्यात का हिस्सा भारत में काफी कम है. भारत का कृषि निर्यात में जीडीपी का प्रतिशत केवल 2 है. जबकि इसका समान अनुपात ब्राजील के लिए 4%, अर्जेंटीना के लिए 7%, थाईलैंड के लिए 9% है. भारत ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए प्रसंस्कृत खाद्य का निर्यात 31,111.90 करोड़ रुपये किया था.

भारत का प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात
उत्पाद मूल्य ( करोड़ रुपये में )
आम का गूदा 657.67
प्रसंस्कृत सब्जियां 2473.99
ककड़ी और खीरा 1436.08
प्रसंस्कृत फल, रस और मेवे 2804.97
दलहन 1680.18
मूंगफली 3298.33
ग्वार गम 4707.05
गुड़ और मिष्ठान्न 1606.32
कोको उत्पाद 1350.86
अनाज के उत्पाद 3859.37
अल्कोहल पेय 2103.97
विविध उत्पाद 4072.98
मिल के उत्पाद 1060.13


आगे का सफर
हर साल हम समाचार पत्रों में पढ़ते हैं कि किसान निराश होकर अपनी उपज को सड़क पर फेंक रहे हैं क्योंकि उन्हें अपनी कृषि उपज जैसे टमाटर और प्याज के लिए उचित मूल्य नहीं मिल रहें हैं.

हर राज्य के कृषि विभाग को किसानों का मार्गदर्शन करना चाहिए ताकि वे एक ही वस्तु के बदले विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन कर सकें क्योंकि एक ही वस्तु से जब बाजार भर जाता है, तो कीमतें गिर जाती हैं और एजेंटों द्वारा किसानों का शोषण किया जाता है.

कई बार, हमारे पास मांग को पूरा करने में सक्षम होने के लिए ताजा कृषि उपज को संरक्षित करने और संसाधित करने की क्षमता नहीं होती है. इसलिए प्रोसेसर और किसानों के बीच अनुबंध कृषि की कड़ी को विकसित और बेहतर करने की आवश्यकता है.

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भारत में मेगा फूड पार्क - महत्व और रास्ता आगे

हैदराबाद: फूड प्रोसेसिंग प्रसंस्करण वैश्विक अर्थव्यवस्था में खाद्य आपूर्ति श्रृंखला का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है और भारत ने पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में भी वृद्धि देखी है. यह क्षेत्र लगभग 11% कृषि वैल्यू एडेड और 9% विनिर्माण वैल्यू एडेड उत्पादों में योगदान देता है.

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2018-19 के अनुसार, इस क्षेत्र में संगठित क्षेत्र का कार्यबल 12.8% और असंगठित क्षेत्र का कार्यबल 13.7% फीसदी है.

दुनिया में कृषि और खाद्य उत्पादों के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक होने के बावजूद भारत वैश्विक खाद्य प्रसंस्करण मूल्य श्रृंखलाओं में काफी कम है. 

खाद्य प्रसंस्करण का वर्गीकरण

खाद्य प्रसंस्करण को प्राथमिक और माध्यमिक प्रसंस्करण में और परिसीमित किया जा सकता है. चावल, चीनी, खाद्य तेल और आटा मिलें प्राथमिक प्रसंस्करण के उदाहरण हैं. माध्यमिक प्रसंस्करण में फल और सब्जियां, डेयरी, बेकरी, चॉकलेट और अन्य वस्तुओं का प्रसंस्करण शामिल है.

खाद्य प्रसंस्करण का महत्व

खाद्य प्रसंस्करण कुशलता से अतिरिक्त उत्पादन का उपयोग करने का अवसर प्रदान करता है. सिर्फ विकास के नजरिए से नहीं, खाद्य प्रसंस्करण भी खाद्य अपशिष्ट को कम करने के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है.

संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि उत्पादन का 40% बर्बाद खाना बर्बाद हो जाता है. इसी तरह नीति आयोग के अध्ययन ने बताया था कि अनुमानित रूप से वार्षिक कटाई के बाद के 90,000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है. 



मेगा फूड पार्क की अवधारणा

मेगा फूड पार्क की योजना किसानों, प्रोसेसर और खुदरा विक्रेताओं को एक साथ लाकर बाजार में कृषि उत्पादन को जोड़ने के लिए एक तंत्र प्रदान करता है ताकि मूल्य संवर्धन को अधिकतम किया जा सके. जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा हों. 



मेगा फूड पार्क में आमतौर पर संग्रह केंद्रों, प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्रों, केंद्रीय प्रसंस्करण केंद्रों, कोल्ड चेन सहित लगभग 25-30 आपूर्ति श्रृंखला अवसंरचना होती है और उद्यमियों के लिए खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए पूरी तरह से विकसित भूखंड होते हैं.





मेगा फूड पार्क योजना का कार्यान्वयन

मेगा फूड पार्क योजना का कार्यान्वयन विशेष प्रयोजन वाहन तंत्र के माध्यम से किया जा रहा है. जिसमें सरकारी एजेंसियां, वित्तीय संस्थान / बैंक, संगठित खुदरा विक्रेता, खाद्य प्रोसेसर, सेवा प्रदाता, उत्पादक, किसान संगठन शेयर धारक हैं.

यह योजना खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के दायरे में है. प्रत्येक फूड पार्क में लगभग 30-35 खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां, 250 करोड़ रुपये का कुल निवेश, लगभग 450-500 करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार और लगभग 30,000 व्यक्तियों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार की उम्मीद है.

यह योजना सामान्य क्षेत्रों में अधिकतम 50 करोड़ रुपये की भूमि लागत को छोड़कर परियोजना लागत के 50 प्रतिशत के एकमुश्त पूंजीगत अनुदान की परिकल्पना करती है. 

हालांकि यह योजना 2008 में शुरू की गई थी, लेकिन 2014 तक केवल दो मेगा फूड पार्कों को चालू किया गया था. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, केंद्र सरकार ने 42 मेगा फूड पार्कों को वित्त पोषित किया है और 17 मेगा फूड पार्कों को चालू किया है.





खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय कोल्ड चेन की एक केंद्रीय क्षेत्र योजना, मूल्य संवर्धन और संरक्षण बुनियादी ढांचे को भी लागू कर रहा है, जिसके तहत बागवानी और गैर-बागवानी उत्पादों की कटाई के बाद के नुकसान को रोकने के लिए एकीकृत कोल्ड चेन बुनियादी ढांचा स्थापित करने के लिए सहायता प्रदान की जाती है.



खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा देने के उपाय

यद्यपि प्रसंस्करण क्षमता बढ़ाने के लिए आधारभूत संरचना का निर्माण आवश्यक है, लेकिन उस क्षमता का उपयोग करने में सक्षम होने के लिए पर्याप्त कौशल होना भी बहुत जरूरी है. किसानों और पिछड़ों को मजबूत बनाने की जरूरत है. 

मॉडल कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट, 2018 के अनुसार अनुबंध से आपूर्ति की जाने वाली उपज की मात्रा, गुणवत्ता और कीमत निर्दिष्ट होगी. यह गुणवत्ता की प्रतिबद्धताओं के अधीन मूल्य अस्थिरता से किसानों को ढाल देगा. 

खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र और मेगा फूड पार्क को बढ़ावा देने के लिए, भारत सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में स्वचालित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी है.

भारत में निर्मित या उत्पादित खाद्य उत्पादों के संबंध में ई-कॉमर्स के माध्यम से व्यापार के लिए सरकारी अनुमोदन मार्ग के माध्यम से भी 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है.

2024 तक, यह उम्मीद है कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग संभावित रूप से 33 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवेश करेगा और 9 मिलियन लोगों के लिए रोजगार पैदा करेगा.

प्रसंस्कृत खाद्य का निर्यात क्षमता

वर्तमान में, भारत के कृषि निर्यात में मुख्य रूप से कच्चे माल शामिल हैं, जिन्हें फिर अन्य देशों में संसाधित किया जाता है.भारत दुनिया में कृषि वस्तुओं के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक होने के बावजूद, जीडीपी में कृषि निर्यात का हिस्सा देश में काफी कम है. भारत का कृषि निर्यात में जीडीपी का प्रतिशत केवल 2 है. जबकि इसका समान अनुपात ब्राजील के लिए 4%, अर्जेंटीना के लिए 7%, थाईलैंड के लिए 9% है. भारत ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए प्रसंस्कृत खाद्य का निर्यात 31,111.90 करोड़ रुपये किया था. 



आगे का रास्ता

हर साल हम समाचार पत्रों में पढ़ते हैं कि किसान अपनी उपज को सही दाम नहीं मिलने पर सड़कों पर फेंक रहे हैं. हर राज्य के कृषि विभाग को किसानों द्वारा सभी वस्तुओं को एक ही वस्तु के बदले विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन के लिए मार्गदर्शन करने की पहल करनी चाहिए. कई बार कृषि उत्पाद वस्तु बाजार में भर रहती हैं और कीमतें गिरती रहती हैं और एजेंटों द्वारा किसानों का शोषण किया जाता रहता है. 

कई स्थितियों में, हमारे पास मांग को पूरा करने में सक्षम होने के लिए ताजा कृषि उपज को संरक्षित करने और संसाधित करने की क्षमता नहीं है.

 


Conclusion:
Last Updated : Nov 6, 2019, 7:22 PM IST
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