इंदौर: देश के ऑटोमोबाइल सेक्टर में जारी मंदी की मार से मध्य प्रदेश के ऑटोमोबाइल सेक्टर को बीते तीन सालों में अरबो रुपये की चपत लगी है. यहां के मुख्य ऑटोमोबाइल क्लस्टर पीथमपुर, इंदौर औऱ भोपाल में मंदी का आलम यह है कि करीब डेढ़ सौ कंपनियों में काम करने वाले 3 हजार कर्मचारियों की नौकरियां जा चुकी है और वहीं कंपनियों को अपना उत्पादन 35 फीसदी तक घटाना पड़ा है.
पेट्रोलियम पदार्थ के बढ़ते दाम और ऑटोमोबाइल सेक्टर पर बढ़ते कर भार के चलते देश का ऑटोमोबाइल सेक्टर इन दिनों चुनौतियों के दौर से गुजर रहा है. उत्पादन की तुलना में आधी ही भी नहीं बची बिक्री के चलते आयशर, फोर्स मोटर्स, लार्सन एंड टूब्रो और महिंद्रा जैसी ऑटोमोबाइल कंपनियों ने अपना उत्पादन 35 फीसदी तक घटा दिया है.
बीते वित्तीय साल से अधिकांश कंपनियां 30 से 50 फीसदी तक उत्पादन में कटौती कर चुकी हैं. इस स्थिति के चलते बड़ी संख्या में कर्मचारी बेरोजगार हो चुके हैं. इनमें सबसे ज्यादा बुरी स्थिति ठेका कर्मचारियों की है. जिन्हें नौकरी से निकाल दिया गया है. पीथमपुर में ही इनकी संख्या करीब तीन हजार है. डीलरों के अलावा ऑटोमोबाइल सेक्टर की दूसरी संबद्ध कंपनियों की बात करें तो बेरोजगारों की संख्या करीब 25 फीसदी तक है.
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ऑटोमोबाइल सेक्टर में मंदी के हालात की वजह से कर्मचारियों को आधे वेतन पर काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जबकि कुछ कंपनियों में कर्मचारियों का वेतन 10-20 फीसदी तक घटाया गया है. मंदी की मार के चलते ऑटोमोबाइल सेक्टर की प्रमुख कंपनियों में भी ले ऑफ (निकालने) जैसी स्थिति बन रही है.
हाल ही में आयशर जैसी कंपनी भी अपने नियमित कर्मचारियों को प्रोडक्शन बंद होने के बावजूद 19 दिन तक ले ऑफ का पैसा दे चुकी है. ऑटोमोबाइल सेक्टर के विशेषज्ञों की माने तो बाजार में लिक्विडिटी यानि तरलता जल्द कम नहीं हुई तो ऑटोमोबाइल सेक्टर में मंदी की मार आने वाले दिनों में और गहरा सकती है.
मंदी से निकलने के ये हैं उपाय!
विशेषज्ञों के अनुसार लिक्विडिटी और श्योरिटी नहीं होने से ऑटोमोबाइल सेक्टर के बीच भी अविश्वास गहरा रहा है. वर्तमान दौर में ऑटोमोबाइल कंपनियों द्वारा लिए जाने वाले ऋण की भरपाई नहीं होने से अब बैंक भी लोन देने को तैयार नहीं हैं. यही स्थिति वाहनों के खरीददारों की है जो वाहन के पैसे नहीं चुका पाने की आशंका में वाहन खरीदने को तैयार नहीं हैं.