कानपुर : ब्रिटेन 1973 में 28 सदस्यीय यूरोपीय संघ का सदस्य बना था. अब उसे 29 मार्च को यूरोपियन यूनियन से अलग होना है. यूरोपियन यूनियन से अलग होने की तारीख का आने में अब बात कुछ ही दिन बचे हैं, लेकिन ब्रिटेन अभी तक यह निर्णय नहीं कर पाया है कि उसे क्या करना है.
कानपुर लेदर उद्योग का मैनचेस्टर माना जाता है. कानपुर से बड़ी मात्रा में दूसरे देशों में लेदर एक्सपोर्ट किया जाता है. यूरोपियन देशों में भी कानपुर से भारी मात्रा में एक्सपोर्ट किया जाता है. अभी तक ज्यादातर एक्सपोर्टर्स के वेयरहाउस ब्रिटेन में बने हुए थे, जहां से पूरे यूरोपीयन नेशंस में वह अपना माल सप्लाई करते थे. लेकिन अब जब ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन से अलग हो जाएगा तब एक्सपोर्टर्स को किसी और देश को चुनना पड़ेगा, जहां वह अपना नया वेयरहाउस बना सके.
ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से अलग हो जाने पर वह लोग ब्रिटेन से अपना माल दूसरे देशों में नहीं भेज पाएंगे. एक बड़ी समस्या तब पैदा होगी, जब यूरोप के देश अपने रास्ते ब्रिटेन के लोगों के लिए बंद कर लेंगे. अब तक तो यूरोप में रह रहे लोग एक दूसरे देश में बिना किसी रूकावट बॉर्डर या वीजा के जा रहे थे.
अगर यूरोप के नए नियम ला दिए तो भारतीय कंपनियों को यूरोप में अलग होने पर यूरोप के देशों से नए करार करने होंगे, इससे खर्च बढ़ेगा और अलग-अलग देशों के अलग-अलग नियम कानून से जूझना होगा.
कानपुर के लेदर एक्सपोर्टर का मानना है कि इससे बिजनेस को फायदा तो होगा लेकिन बाद में अभी तो शुरुआत में बहुत सारी समस्याएं उनके पास आएगी. अब उन्हें नया कोई देश अपना बेहद बनाने के लिए ढूंढना पड़ेगा और पुराने वेयरहाउस को बेचने के लिए वहां की सरकारों को अलग से टैक्स भी देने होंगे.
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