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यूरोपियन संघ से ब्रिटेन के अलग होने से बढ़ेगी कानपुर लेदर इंडस्ट्री की मुश्किलें - यूरोपियन यूनियन

ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से अलग होने से कई व्यापार प्रभावित होंगे. जिसमें से भारत का लेदर उद्योग भी प्रभावित होगा, क्योंकि कानपुर का लेदर उद्योग बड़ी मात्रा में यूरोपियन देशों को लेदर एक्सपोर्ट करता है और ज्यादातर एक्सपोर्टर के वेयरहाउस ब्रिटेन में बने हुए हैं.

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Published : Mar 3, 2019, 3:23 PM IST

कानपुर : ब्रिटेन 1973 में 28 सदस्यीय यूरोपीय संघ का सदस्य बना था. अब उसे 29 मार्च को यूरोपियन यूनियन से अलग होना है. यूरोपियन यूनियन से अलग होने की तारीख का आने में अब बात कुछ ही दिन बचे हैं, लेकिन ब्रिटेन अभी तक यह निर्णय नहीं कर पाया है कि उसे क्या करना है.

कानपुर लेदर उद्योग का मैनचेस्टर माना जाता है. कानपुर से बड़ी मात्रा में दूसरे देशों में लेदर एक्सपोर्ट किया जाता है. यूरोपियन देशों में भी कानपुर से भारी मात्रा में एक्सपोर्ट किया जाता है. अभी तक ज्यादातर एक्सपोर्टर्स के वेयरहाउस ब्रिटेन में बने हुए थे, जहां से पूरे यूरोपीयन नेशंस में वह अपना माल सप्लाई करते थे. लेकिन अब जब ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन से अलग हो जाएगा तब एक्सपोर्टर्स को किसी और देश को चुनना पड़ेगा, जहां वह अपना नया वेयरहाउस बना सके.

देखें वीडियो।

ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से अलग हो जाने पर वह लोग ब्रिटेन से अपना माल दूसरे देशों में नहीं भेज पाएंगे. एक बड़ी समस्या तब पैदा होगी, जब यूरोप के देश अपने रास्ते ब्रिटेन के लोगों के लिए बंद कर लेंगे. अब तक तो यूरोप में रह रहे लोग एक दूसरे देश में बिना किसी रूकावट बॉर्डर या वीजा के जा रहे थे.

अगर यूरोप के नए नियम ला दिए तो भारतीय कंपनियों को यूरोप में अलग होने पर यूरोप के देशों से नए करार करने होंगे, इससे खर्च बढ़ेगा और अलग-अलग देशों के अलग-अलग नियम कानून से जूझना होगा.

कानपुर के लेदर एक्सपोर्टर का मानना है कि इससे बिजनेस को फायदा तो होगा लेकिन बाद में अभी तो शुरुआत में बहुत सारी समस्याएं उनके पास आएगी. अब उन्हें नया कोई देश अपना बेहद बनाने के लिए ढूंढना पड़ेगा और पुराने वेयरहाउस को बेचने के लिए वहां की सरकारों को अलग से टैक्स भी देने होंगे.
पढ़ें : भारत में 5जी परीक्षण शुरू करेगी वनप्लस

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कानपुर : ब्रिटेन 1973 में 28 सदस्यीय यूरोपीय संघ का सदस्य बना था. अब उसे 29 मार्च को यूरोपियन यूनियन से अलग होना है. यूरोपियन यूनियन से अलग होने की तारीख का आने में अब बात कुछ ही दिन बचे हैं, लेकिन ब्रिटेन अभी तक यह निर्णय नहीं कर पाया है कि उसे क्या करना है.

कानपुर लेदर उद्योग का मैनचेस्टर माना जाता है. कानपुर से बड़ी मात्रा में दूसरे देशों में लेदर एक्सपोर्ट किया जाता है. यूरोपियन देशों में भी कानपुर से भारी मात्रा में एक्सपोर्ट किया जाता है. अभी तक ज्यादातर एक्सपोर्टर्स के वेयरहाउस ब्रिटेन में बने हुए थे, जहां से पूरे यूरोपीयन नेशंस में वह अपना माल सप्लाई करते थे. लेकिन अब जब ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन से अलग हो जाएगा तब एक्सपोर्टर्स को किसी और देश को चुनना पड़ेगा, जहां वह अपना नया वेयरहाउस बना सके.

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ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से अलग हो जाने पर वह लोग ब्रिटेन से अपना माल दूसरे देशों में नहीं भेज पाएंगे. एक बड़ी समस्या तब पैदा होगी, जब यूरोप के देश अपने रास्ते ब्रिटेन के लोगों के लिए बंद कर लेंगे. अब तक तो यूरोप में रह रहे लोग एक दूसरे देश में बिना किसी रूकावट बॉर्डर या वीजा के जा रहे थे.

अगर यूरोप के नए नियम ला दिए तो भारतीय कंपनियों को यूरोप में अलग होने पर यूरोप के देशों से नए करार करने होंगे, इससे खर्च बढ़ेगा और अलग-अलग देशों के अलग-अलग नियम कानून से जूझना होगा.

कानपुर के लेदर एक्सपोर्टर का मानना है कि इससे बिजनेस को फायदा तो होगा लेकिन बाद में अभी तो शुरुआत में बहुत सारी समस्याएं उनके पास आएगी. अब उन्हें नया कोई देश अपना बेहद बनाने के लिए ढूंढना पड़ेगा और पुराने वेयरहाउस को बेचने के लिए वहां की सरकारों को अलग से टैक्स भी देने होंगे.
पढ़ें : भारत में 5जी परीक्षण शुरू करेगी वनप्लस

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Intro:कानपुर :- यूरोपियन यूनियन संघ से ब्रिटेन के अलग होने से बढ़ेगी लेदर इंडस्ट्री की मुश्किलें ।

ब्रिटेन 1973 में 28 सदस्यीय यूरोपीय संघ का सदस्य बना था उसे 29 मार्च को यूरोपियन यूनियन से अलग होना है यूरोपियन यूनियन से अलग होने की तारीख का आने में अब बात कुछ ही दिन बचे हैं लेकिन ब्रिटेन अभी तक यह निर्णय नहीं कर पाया है कि उसे क्या करना है ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से अलग होने से कई व्यापार प्रभावित होंगे । जिसमें से भारत का लेदर उद्योग भी प्रभावित होगा क्योंकि कानपुर का लेदर उद्योग बड़ी मात्रा में यूरोपियन नेशंस को लेदर एक्सपोर्ट करता है और ज्यादातर एक्सपोर्टर के वेयरहाउस ब्रिटेन में बने हुए हैं


Body:आपको बता दें कि कानपुर लेदर उद्योग का मैनचेस्टर माना जाता है कानपुर से बड़ी मात्रा में दूसरे देशों में लेदर एक्सपोर्ट किया जाता है यूरोपियन नेशंस में भी कानपुर से भारी मात्रा में लगाया जाता है अभी तक ज्यादातर एक्सपोर्टर्स के वेयरहाउस ब्रिटेन में बने हुए थे जहां से पूरे यूरोपीयन नेशंस में वह अपना माल सप्लाई करते थे लेकिन अब जब ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन से अलग हो जाएगा तब एक्सपोर्टर्स को किसी और देश को चुनना पड़ेगा जहां वह अपना नया वेयरहाउस बना सके क्योंकि ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से अलग हो जाने पर वह लोग ब्रिटेन से अपना माल दूसरे देशों में नहीं भेज पाएंगे एक बड़ी समस्या तब पैदा होगी जब यूरोप के देश अपने रास्ते ब्रिटेन के लोगों के लिए बंद कर लेंगे अब तक तो यूरोप में रह रहे लोग एक दूसरे देश में बिना किसी रूकावट बॉर्डर या वीजा के जा रहे थे अगर यूरोप के नए नियम ला दिए तो भारतीय कंपनियों को यूरोप में अलग होने पर यूरोप के देशों से नए करार करने होंगे इससे खर्च बढ़ेगा और अलग-अलग देशों के अलग-अलग नियम कानून से जूझना होगा कानपुर के लेदर एक्सपोर्टर का मानना है कि इससे बिजनेस को फायदा तो होगा लेकिन बाद में अभी तो शुरुआत में बहुत सारी समस्याएं उनके पास आएगी क्योंकि अब उन्हें नया कोई देश अपना बेहद बनाने के लिए ढूंढना पड़ेगा और पुराने वेयरहाउस को बेचने के लिए वहां की सरकारों को अलग से टैक्स भी देने होंगे ।

बाइट :- पीयूष कुमार , लेदर एक्सपोर्टर
बाइट :- नैय्यर साहब , टेनरी ओनर

रजनीश दीक्षित
कानपुर ।


Conclusion:
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