चेन्नई: निर्यातकों के प्रमुख संगठन फियो ने शनिवार को कहा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच अनौपचारिक बैठक एशिया के इन दो बड़े देशों के बीच व्यापार सहित विभिन्न मुद्दों को सुलझाने के अलावा रणनीतिक संबंधों को मजबूत बनाने की दिशा में बेहतर संकेत देती है.
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (फियो) के अध्यक्ष शरद कुमार सर्राफ ने शनिवार को बयान में कहा, "चेन्नई शिखर सम्मेलन व्यापार और अन्य मुद्दों को सुलझाने का रचनात्मक और व्यावहारिक तरीका है."
उन्होंने कहा कि दो पड़ोसी देशों के बीच मतभेद होना कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है. इन मतभेदों को रचनात्मक संपर्क और बातचीत के जरिए सुलझाना अहम है. सर्राफ ने कहा कि चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा ' चिंता का विषय ' है और पिछले वित्त वर्ष में यह 53 अरब डॉलर पर था.
ये भी पढ़ें- बेरोजगारी पर एनएसएसओ के आंकड़े झूठे: रविशंकर प्रसाद
उन्होंने कहा कि दूसरी बड़ी चिंता बाजार पहुंच है, जो कि भारतीय निर्यात की राह में बाधा खड़ी करती है जिससे भारतीय निर्यात अपनी वास्तविक क्षमता को हासिल नहीं कर पाता है. भारत से डेयरी उत्पादों, सोयाबीन उत्पादों और कई फलों को चीन में बाजार पहुंच हासिल नहीं है.
भारतीय औषधि कंपनियों के लिये भी वहां अपने उत्पादों को निर्यात करना काफी मुश्किल काम है क्योंकि उनके पंजीकरण में बहुत समय लग जाता है. सर्राफ के अनुसार, भारत एक बड़ा बाजार है. चीन में कॉरपोरेट कर की दर 25 प्रतिशत की तुलना में यहां 15 प्रतिशत की दर भारत को निवेश आकर्षित करने में बेहतर स्थिति में खड़ा करती है.
फियो ने भारत में चीन के नागरिकों के लिये पांच साल का विविध प्रवेश सुविध वीजा का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि चीन भी इसी तरह की सुविधा भारतीयों के लिये उपलब्ध करायेगा जिससे की पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.