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रूसी रक्षा उपकरणों के लिए कलपुर्जों का उत्पादन भारत में होगा - Russian defense equipment

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच यहां रूस के सुदूर पूर्वी बंदरगाह शहर में हुई व्यापक बातचीत में यह सहमति बनी. उन्होंने भारत-रूस साझेदारी को सहयोग की नयी ऊंचाइयों पर ले जाने का संकल्प लिया.

रूसी रक्षा उपकरणों के लिए कलपुर्जों का उत्पादन भारत में होगा
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Published : Sep 4, 2019, 11:41 PM IST

Updated : Sep 29, 2019, 11:56 AM IST

व्लादिवोस्तोक: भारत-रूस रक्षा संबंधों में बड़ी सफलता के रूप में भारत प्रौद्योगिकी हस्तांतरण तथा संयुक्त उपक्रमों के तहत रूसी सैन्य उपकरणों के लिए कलपुर्जों का निर्माण करेगा. दोनों रणनीतिक साझेदारों ने अपने मौजूदा खरीदार-विक्रेता के संबंधों को सहयोग में तब्दील करने की दिशा में प्रयास किया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच यहां रूस के सुदूर पूर्वी बंदरगाह शहर में हुई व्यापक बातचीत में यह सहमति बनी. उन्होंने भारत-रूस साझेदारी को सहयोग की नयी ऊंचाइयों पर ले जाने का संकल्प लिया.दोनों नेताओं ने कहा कि रूस और भारत के बीच सैन्य तथा सैन्य-तकनीकी क्षेत्रों में करीबी सहयोग द्विपक्षीय तथा विशेष रणनीतिक साझेदारी का मुख्य स्तंभ है.

ये भी पढ़ें- भारत-रूस का द्विपक्षीय व्यापार 2025 तक 30 अरब डॉलर पहुंचाने का लक्ष्य

एक संयुक्त बयान के अनुसार दोनों देशों ने सैन्य उपकरणों, कलपुर्जों के संयुक्त विकास और उत्पादन को मजबूत करने, बिक्री के बाद की सर्विस प्रणाली को सुधारने समेत रक्षा सहयोग को उन्नत करने की प्रतिबद्धता जताई. दोनों देश रूस निर्मित हथियारों और रक्षा उपकरणों के रखरखाव के लिए मेक-इन-इंडिया कार्यक्रम के तहत प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण एवं संयुक्त उपक्रमों की स्थापना के साथ कलपुर्जों और अन्य उत्पादों के भारत में संयुक्त उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए जारी साझेदारी को आगे बढ़ाने पर रजामंद हुए.

मोदी-पुतिन वार्ता पर संवाददाताओं को जानकारी देते हुए विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि रूस के सैन्य उपकरणों के लिए कलपुर्जों के उत्पादन के लिए सहमति प्रधानमंत्री मोदी की भारत-रूस रक्षा संबंधों को खरीदार-बिक्री से सहयोगी के रूप में तब्दील करने की इच्छा के अनुरूप है. सरकारी तास समाचार एजेंसी की खबर के अनुसार दोनों पक्ष कलपुर्जों और अन्य उत्पादों के भारत में संयुक्त उत्पादन को पटरी पर रखने के लक्ष्य के साथ सहयोग को बढ़ाने के लिए सहमत हुए.

इसका उद्देश्य रूस निर्मित शस्त्रों तथा सैन्य उपकरणों का रखरखाव मेक-इन-इंडिया के तहत सुनिश्चित करना है. एजेंसी के अनुसार दोनों पक्षों ने एक संयुक्त बयान में सशस्त्र बलों के लिए साजो-सामान के समर्थन और सेवाओं के परस्पर प्रावधानों के लिए एक संस्थागत व्यवस्था की जरूरत बताई.

मीडिया को संयुक्त संबोधन में राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि रूस पिछले पांच दशक से रक्षा के क्षेत्र में भारत का विश्वसनीय साझेदार रहा है. इससे पहले दिन में पुतिन और मोदी ने व्लादिवोस्तोक में ज्वेजदा पोत निर्माण संयंत्र का दौरा किया. इस बीच रूस के एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी ने कहा कि भारत ने रूस को 14. 5 अरब डॉलर के हथियारों और अन्य सैन्य उपकरणों का ऑर्डर दिया है.

सैन्य-तकनीकी सहयोग के लिए संघीय सेवा प्रमुख दमित्री शुगायेव ने बुधवार को कहा, "यह एक प्रभावी आंकड़ा है. यह वाकई एक सफलता है." तास एजेंसी ने उनके हवाले से कहा, "रूस और भारत के बीच सैन्य सहयोग विशेषाधिकार वाले रणनीतिक संवाद का सबसे महत्वपूर्ण कारक है."

व्लादिवोस्तोक: भारत-रूस रक्षा संबंधों में बड़ी सफलता के रूप में भारत प्रौद्योगिकी हस्तांतरण तथा संयुक्त उपक्रमों के तहत रूसी सैन्य उपकरणों के लिए कलपुर्जों का निर्माण करेगा. दोनों रणनीतिक साझेदारों ने अपने मौजूदा खरीदार-विक्रेता के संबंधों को सहयोग में तब्दील करने की दिशा में प्रयास किया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच यहां रूस के सुदूर पूर्वी बंदरगाह शहर में हुई व्यापक बातचीत में यह सहमति बनी. उन्होंने भारत-रूस साझेदारी को सहयोग की नयी ऊंचाइयों पर ले जाने का संकल्प लिया.दोनों नेताओं ने कहा कि रूस और भारत के बीच सैन्य तथा सैन्य-तकनीकी क्षेत्रों में करीबी सहयोग द्विपक्षीय तथा विशेष रणनीतिक साझेदारी का मुख्य स्तंभ है.

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एक संयुक्त बयान के अनुसार दोनों देशों ने सैन्य उपकरणों, कलपुर्जों के संयुक्त विकास और उत्पादन को मजबूत करने, बिक्री के बाद की सर्विस प्रणाली को सुधारने समेत रक्षा सहयोग को उन्नत करने की प्रतिबद्धता जताई. दोनों देश रूस निर्मित हथियारों और रक्षा उपकरणों के रखरखाव के लिए मेक-इन-इंडिया कार्यक्रम के तहत प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण एवं संयुक्त उपक्रमों की स्थापना के साथ कलपुर्जों और अन्य उत्पादों के भारत में संयुक्त उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए जारी साझेदारी को आगे बढ़ाने पर रजामंद हुए.

मोदी-पुतिन वार्ता पर संवाददाताओं को जानकारी देते हुए विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि रूस के सैन्य उपकरणों के लिए कलपुर्जों के उत्पादन के लिए सहमति प्रधानमंत्री मोदी की भारत-रूस रक्षा संबंधों को खरीदार-बिक्री से सहयोगी के रूप में तब्दील करने की इच्छा के अनुरूप है. सरकारी तास समाचार एजेंसी की खबर के अनुसार दोनों पक्ष कलपुर्जों और अन्य उत्पादों के भारत में संयुक्त उत्पादन को पटरी पर रखने के लक्ष्य के साथ सहयोग को बढ़ाने के लिए सहमत हुए.

इसका उद्देश्य रूस निर्मित शस्त्रों तथा सैन्य उपकरणों का रखरखाव मेक-इन-इंडिया के तहत सुनिश्चित करना है. एजेंसी के अनुसार दोनों पक्षों ने एक संयुक्त बयान में सशस्त्र बलों के लिए साजो-सामान के समर्थन और सेवाओं के परस्पर प्रावधानों के लिए एक संस्थागत व्यवस्था की जरूरत बताई.

मीडिया को संयुक्त संबोधन में राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि रूस पिछले पांच दशक से रक्षा के क्षेत्र में भारत का विश्वसनीय साझेदार रहा है. इससे पहले दिन में पुतिन और मोदी ने व्लादिवोस्तोक में ज्वेजदा पोत निर्माण संयंत्र का दौरा किया. इस बीच रूस के एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी ने कहा कि भारत ने रूस को 14. 5 अरब डॉलर के हथियारों और अन्य सैन्य उपकरणों का ऑर्डर दिया है.

सैन्य-तकनीकी सहयोग के लिए संघीय सेवा प्रमुख दमित्री शुगायेव ने बुधवार को कहा, "यह एक प्रभावी आंकड़ा है. यह वाकई एक सफलता है." तास एजेंसी ने उनके हवाले से कहा, "रूस और भारत के बीच सैन्य सहयोग विशेषाधिकार वाले रणनीतिक संवाद का सबसे महत्वपूर्ण कारक है."

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रूसी रक्षा उपकरणों के लिए कलपुर्जों का उत्पादन भारत में होगा

व्लादिवोस्तोक: भारत-रूस रक्षा संबंधों में बड़ी सफलता के रूप में भारत प्रौद्योगिकी हस्तांतरण तथा संयुक्त उपक्रमों के तहत रूसी सैन्य उपकरणों के लिए कलपुर्जों का निर्माण करेगा. दोनों रणनीतिक साझेदारों ने अपने मौजूदा खरीदार-विक्रेता के संबंधों को सहयोग में तब्दील करने की दिशा में प्रयास किया है. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच यहां रूस के सुदूर पूर्वी बंदरगाह शहर में हुई व्यापक बातचीत में यह सहमति बनी. उन्होंने भारत-रूस साझेदारी को सहयोग की नयी ऊंचाइयों पर ले जाने का संकल्प लिया.दोनों नेताओं ने कहा कि रूस और भारत के बीच सैन्य तथा सैन्य-तकनीकी क्षेत्रों में करीबी सहयोग द्विपक्षीय तथा विशेष रणनीतिक साझेदारी का मुख्य स्तंभ है. 

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एक संयुक्त बयान के अनुसार दोनों देशों ने सैन्य उपकरणों, कलपुर्जों के संयुक्त विकास और उत्पादन को मजबूत करने, बिक्री के बाद की सर्विस प्रणाली को सुधारने समेत रक्षा सहयोग को उन्नत करने की प्रतिबद्धता जताई. दोनों देश रूस निर्मित हथियारों और रक्षा उपकरणों के रखरखाव के लिए मेक-इन-इंडिया कार्यक्रम के तहत प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण एवं संयुक्त उपक्रमों की स्थापना के साथ कलपुर्जों और अन्य उत्पादों के भारत में संयुक्त उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए जारी साझेदारी को आगे बढ़ाने पर रजामंद हुए. 

मोदी-पुतिन वार्ता पर संवाददाताओं को जानकारी देते हुए विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि रूस के सैन्य उपकरणों के लिए कलपुर्जों के उत्पादन के लिए सहमति प्रधानमंत्री मोदी की भारत-रूस रक्षा संबंधों को खरीदार-बिक्री से सहयोगी के रूप में तब्दील करने की इच्छा के अनुरूप है. सरकारी तास समाचार एजेंसी की खबर के अनुसार दोनों पक्ष कलपुर्जों और अन्य उत्पादों के भारत में संयुक्त उत्पादन को पटरी पर रखने के लक्ष्य के साथ सहयोग को बढ़ाने के लिए सहमत हुए. 

इसका उद्देश्य रूस निर्मित शस्त्रों तथा सैन्य उपकरणों का रखरखाव मेक-इन-इंडिया के तहत सुनिश्चित करना है. एजेंसी के अनुसार दोनों पक्षों ने एक संयुक्त बयान में सशस्त्र बलों के लिए साजो-सामान के समर्थन और सेवाओं के परस्पर प्रावधानों के लिए एक संस्थागत व्यवस्था की जरूरत बताई. 

मीडिया को संयुक्त संबोधन में राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि रूस पिछले पांच दशक से रक्षा के क्षेत्र में भारत का विश्वसनीय साझेदार रहा है. इससे पहले दिन में पुतिन और मोदी ने व्लादिवोस्तोक में ज्वेजदा पोत निर्माण संयंत्र का दौरा किया. इस बीच रूस के एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी ने कहा कि भारत ने रूस को 14. 5 अरब डॉलर के हथियारों और अन्य सैन्य उपकरणों का ऑर्डर दिया है. 

सैन्य-तकनीकी सहयोग के लिए संघीय सेवा प्रमुख दमित्री शुगायेव ने बुधवार को कहा, "यह एक प्रभावी आंकड़ा है. यह वाकई एक सफलता है." तास एजेंसी ने उनके हवाले से कहा, "रूस और भारत के बीच सैन्य सहयोग विशेषाधिकार वाले रणनीतिक संवाद का सबसे महत्वपूर्ण कारक है."


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Last Updated : Sep 29, 2019, 11:56 AM IST
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