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भारत को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए वैश्विक आकार के बैंकों की जरूरत: सीईए

सुब्रमण्यन ने कहा, "भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. इसलिए अगर भारतीय बैंकिंग क्षेत्र अपनी अर्थव्यवस्था के आकार के अनुपात में होता तो भारत को वहां होना चाहिए जहां दक्षिण कोरिया है, जिसके छह बैंक शीर्ष 100 वैश्विक बैंकों की सूची में हैं. लेकिन, इसके विपरीत शीर्ष 100 वैश्विक बैंकों में भारत का केवल एक बैंक है."

भारत को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए वैश्विक आकार के बैंकों की जरूरत: सीईए
भारत को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए वैश्विक आकार के बैंकों की जरूरत: सीईए
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Published : Aug 24, 2020, 10:25 AM IST

Updated : Aug 24, 2020, 11:08 AM IST

कोलकाता/ नई दिल्ली: मुख्य आर्थिक सलाहकार के वी सुब्रमण्यन ने रविवार को कहा कि भारत को 2024-25 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अधिक संख्या में वैश्विक आकार के बैंकों की जरूरत है.

उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि शीर्ष 100 वैश्विक बैंकों की सूची में भारत का केवल एक बैंक है, जबकि आकार में बहुत छोटे देशों में भी ऐसे कई बैंक हैं.

ये भी पढ़ें- थम नहीं रही पेट्रोल की महंगाई, लगातार पांचवें दिन बढ़े दाम

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) 55वें स्थान के साथ शीर्ष 100 वैश्विक बैंकों की सूची में एकमात्र भारतीय बैंक है. इस सूची में चीन के 18 बैंक और अमेरिका के 12 बैंक हैं.

उन्होंने कहा, "भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. इसलिए अगर भारतीय बैंकिंग क्षेत्र अपनी अर्थव्यवस्था के आकार के अनुपात में होता तो भारत को वहां होना चाहिए जहां दक्षिण कोरिया है, जिसके छह बैंक शीर्ष 100 वैश्विक बैंकों की सूची में हैं. लेकिन, इसके विपरीत शीर्ष 100 वैश्विक बैंकों में भारत का केवल एक बैंक है."

उन्होंने बंधन बैंक की पांचवी वर्षगांठ के अवसर पर अपने भाषण में कहा कि यहां तक कि फिनलैंड, डेनमार्क, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया, नॉर्वे जैसे देश, जो आकार में भारत से बहुते छोटे हैं, उनके भी कम से कम एक बैंक शीर्ष 100 की सूची में हैं.

उन्होंने कहा कि स्वीडन की अर्थव्यवस्था का आकार भारत के मुकाबले छठवां है, जबकि सिंगापुर की अर्थव्यवस्था का आकार आठवां है, लेकिन शीर्ष 100 वैश्विक बैंकों में उनके तीन बैंक हैं.

सुब्रमण्यन ने कहा कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली को वैश्विक मानकों को पूरा करने की जरुरत है.

(पीटीआई-भाषा)

कोलकाता/ नई दिल्ली: मुख्य आर्थिक सलाहकार के वी सुब्रमण्यन ने रविवार को कहा कि भारत को 2024-25 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अधिक संख्या में वैश्विक आकार के बैंकों की जरूरत है.

उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि शीर्ष 100 वैश्विक बैंकों की सूची में भारत का केवल एक बैंक है, जबकि आकार में बहुत छोटे देशों में भी ऐसे कई बैंक हैं.

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भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) 55वें स्थान के साथ शीर्ष 100 वैश्विक बैंकों की सूची में एकमात्र भारतीय बैंक है. इस सूची में चीन के 18 बैंक और अमेरिका के 12 बैंक हैं.

उन्होंने कहा, "भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. इसलिए अगर भारतीय बैंकिंग क्षेत्र अपनी अर्थव्यवस्था के आकार के अनुपात में होता तो भारत को वहां होना चाहिए जहां दक्षिण कोरिया है, जिसके छह बैंक शीर्ष 100 वैश्विक बैंकों की सूची में हैं. लेकिन, इसके विपरीत शीर्ष 100 वैश्विक बैंकों में भारत का केवल एक बैंक है."

उन्होंने बंधन बैंक की पांचवी वर्षगांठ के अवसर पर अपने भाषण में कहा कि यहां तक कि फिनलैंड, डेनमार्क, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया, नॉर्वे जैसे देश, जो आकार में भारत से बहुते छोटे हैं, उनके भी कम से कम एक बैंक शीर्ष 100 की सूची में हैं.

उन्होंने कहा कि स्वीडन की अर्थव्यवस्था का आकार भारत के मुकाबले छठवां है, जबकि सिंगापुर की अर्थव्यवस्था का आकार आठवां है, लेकिन शीर्ष 100 वैश्विक बैंकों में उनके तीन बैंक हैं.

सुब्रमण्यन ने कहा कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली को वैश्विक मानकों को पूरा करने की जरुरत है.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Aug 24, 2020, 11:08 AM IST
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