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सीआईआई का 10 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि दर के लिए भूमि और श्रम सुधारों पर जोर

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष विक्रम किर्लोस्कर ने सोमवार को यहां संवाददाताओं से कहा, "2023-24 तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर को 10 प्रतिशत पर पहुंचाने के लिए कुल 5,740 अरब डॉलर या 397 लाख करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत होगी."

सीआईआई का 10 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि दर के लिए भूमि और श्रम सुधारों पर जोर
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Published : Jun 3, 2019, 7:55 PM IST

नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार की दूसरी पारी बड़े जनादेश के साथ शुरू हो चुकी है. उद्योग जगत का मानना है कि अगले पांच साल में देश की आर्थिक वृद्धि दर को 10 प्रतिशत पर ले जाने के लिए सरकार को भूमि और श्रम सहित अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सुधार करने होंगे.

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष विक्रम किर्लोस्कर ने सोमवार को यहां संवाददाताओं से कहा, "2023-24 तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर को 10 प्रतिशत पर पहुंचाने के लिए कुल 5,740 अरब डॉलर या 397 लाख करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत होगी."

ये भी पढ़ें- ब्रिटिश एयरवेज ने एक दशक के बाद पाकिस्तान उड़ानें बहाल की

उन्होंने कहा कि इसमें से 1,180 अरब डॉलर या करीब 81.72 लाख करोड़ रुपये का निवेश अकेले बुनियादी ढांचा क्षेत्र में करने की होगी. वहीं कृषि और उद्योग सहित गैर बुनियादी ढांचा क्षेत्र में 4,560 अरब डॉलर या 315 लाख करोड़ रुपये का निवेश करने की जरूरत होगी. उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र को विनिर्माण इकाइयों के लिए जमीन हासिल करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

राज्य इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. इसके लिए लैंड बैंक बनाने की भी जरूरत है. श्रम सुधारों का जिक्र करते हुए उन्होंने राष्ट्रीय रोजगार नीति बनाने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि राज्यों को निश्चित अवधि का रोजगार देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. साथ ही रोजगार देने वाली कंपनियों को भी प्रोत्साहन दिए जाने चाहिए.

नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार की दूसरी पारी बड़े जनादेश के साथ शुरू हो चुकी है. उद्योग जगत का मानना है कि अगले पांच साल में देश की आर्थिक वृद्धि दर को 10 प्रतिशत पर ले जाने के लिए सरकार को भूमि और श्रम सहित अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सुधार करने होंगे.

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष विक्रम किर्लोस्कर ने सोमवार को यहां संवाददाताओं से कहा, "2023-24 तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर को 10 प्रतिशत पर पहुंचाने के लिए कुल 5,740 अरब डॉलर या 397 लाख करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत होगी."

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उन्होंने कहा कि इसमें से 1,180 अरब डॉलर या करीब 81.72 लाख करोड़ रुपये का निवेश अकेले बुनियादी ढांचा क्षेत्र में करने की होगी. वहीं कृषि और उद्योग सहित गैर बुनियादी ढांचा क्षेत्र में 4,560 अरब डॉलर या 315 लाख करोड़ रुपये का निवेश करने की जरूरत होगी. उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र को विनिर्माण इकाइयों के लिए जमीन हासिल करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

राज्य इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. इसके लिए लैंड बैंक बनाने की भी जरूरत है. श्रम सुधारों का जिक्र करते हुए उन्होंने राष्ट्रीय रोजगार नीति बनाने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि राज्यों को निश्चित अवधि का रोजगार देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. साथ ही रोजगार देने वाली कंपनियों को भी प्रोत्साहन दिए जाने चाहिए.

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सीआईआई का 10 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि दर के लिए भूमि और श्रम सुधारों पर जोर

नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार की दूसरी पारी बड़े जनादेश के साथ शुरू हो चुकी है. उद्योग जगत का मानना है कि अगले पांच साल में देश की आर्थिक वृद्धि दर को 10 प्रतिशत पर ले जाने के लिए सरकार को भूमि और श्रम सहित अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सुधार करने होंगे. 

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष विक्रम किर्लोस्कर ने सोमवार को यहां संवाददाताओं से कहा, "2023-24 तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर को 10 प्रतिशत पर पहुंचाने के लिए कुल 5,740 अरब डॉलर या 397 लाख करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत होगी." 

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उन्होंने कहा कि इसमें से 1,180 अरब डॉलर या करीब 81.72 लाख करोड़ रुपये का निवेश अकेले बुनियादी ढांचा क्षेत्र में करने की होगी. वहीं कृषि और उद्योग सहित गैर बुनियादी ढांचा क्षेत्र में 4,560 अरब डॉलर या 315 लाख करोड़ रुपये का निवेश करने की जरूरत होगी. उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र को विनिर्माण इकाइयों के लिए जमीन हासिल करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. 

राज्य इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. इसके लिए लैंड बैंक बनाने की भी जरूरत है. श्रम सुधारों का जिक्र करते हुए उन्होंने राष्ट्रीय रोजगार नीति बनाने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि राज्यों को निश्चित अवधि का रोजगार देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. साथ ही रोजगार देने वाली कंपनियों को भी प्रोत्साहन दिए जाने चाहिए.


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