ETV Bharat / business

आईएलएंडएफएस मामले की सुनवाई 29 अप्रैल तक स्थगित - भविष्य निधि

सुनवाई के दौरान ट्रिब्यूनल ने पाया कि आईएलएंडएफएस को छोटे लेनदारों को भी फंड वितरित करने चाहिए, जिसमें भविष्य निधि (पीएफ) और पेंशन फंड द्वारा किए गए निवेश शामिल हों. और यह वितरण इस तरीके से हो कि उनकी हकदारी की 80 फीसदी राशि का भुगतान हो जाए.

कॉन्सेप्ट इमेज।
author img

By

Published : Apr 16, 2019, 9:51 PM IST

नई दिल्ली : नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने मंगलवार को कर्ज से लदी इंफ्रास्ट्रकचर लीजिंग एंड फाइनेंसियल सर्विसिस (आईएलएंडएफएस) मामले की सुनवाई 29 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी.

सुनवाई के दौरान ट्रिब्यूनल ने पाया कि आईएलएंडएफएस को छोटे लेनदारों को भी फंड वितरित करने चाहिए, जिसमें भविष्य निधि (पीएफ) और पेंशन फंड द्वारा किए गए निवेश शामिल हों. और यह वितरण इस तरीके से हो कि उनकी हकदारी की 80 फीसदी राशि का भुगतान हो जाए.

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अधिवक्ता गोपाल जैन ने सुनवाई के दौरान कहा कि बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए या फंसे कजरेँ) को बैंकों के खातों में प्रतिबिंबित होना चाहिए.

एनसीएलएटी ने फरवरी में आदेश दिया था कि कोई भी वित्तीय संस्थान आईएलएंडएफएस समूह या उससे जुड़े किसी भी निकाय के खातों को बिना ट्रिब्यूनल की अनुमति के एनपीए घोषित नहीं करेंगे. पिछले महीने आरबीआई ने ट्रिब्यूनल के फरवरी के आदेश के खिलाफ अपीली ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की है.
ये भी पढ़ें : सुरेश प्रभु ने जेट एयरवेज से जुड़े मुद्दों की समीक्षा का निर्देश दिया

नई दिल्ली : नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने मंगलवार को कर्ज से लदी इंफ्रास्ट्रकचर लीजिंग एंड फाइनेंसियल सर्विसिस (आईएलएंडएफएस) मामले की सुनवाई 29 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी.

सुनवाई के दौरान ट्रिब्यूनल ने पाया कि आईएलएंडएफएस को छोटे लेनदारों को भी फंड वितरित करने चाहिए, जिसमें भविष्य निधि (पीएफ) और पेंशन फंड द्वारा किए गए निवेश शामिल हों. और यह वितरण इस तरीके से हो कि उनकी हकदारी की 80 फीसदी राशि का भुगतान हो जाए.

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अधिवक्ता गोपाल जैन ने सुनवाई के दौरान कहा कि बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए या फंसे कजरेँ) को बैंकों के खातों में प्रतिबिंबित होना चाहिए.

एनसीएलएटी ने फरवरी में आदेश दिया था कि कोई भी वित्तीय संस्थान आईएलएंडएफएस समूह या उससे जुड़े किसी भी निकाय के खातों को बिना ट्रिब्यूनल की अनुमति के एनपीए घोषित नहीं करेंगे. पिछले महीने आरबीआई ने ट्रिब्यूनल के फरवरी के आदेश के खिलाफ अपीली ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की है.
ये भी पढ़ें : सुरेश प्रभु ने जेट एयरवेज से जुड़े मुद्दों की समीक्षा का निर्देश दिया

Intro:Body:

नई दिल्ली : नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने मंगलवार को कर्ज से लदी इंफ्रास्ट्रकचर लीजिंग एंड फाइनेंसियल सर्विसिस (आईएलएंडएफएस) मामले की सुनवाई 29 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी.



सुनवाई के दौरान ट्रिब्यूनल ने पाया कि आईएलएंडएफएस को छोटे लेनदारों को भी फंड वितरित करने चाहिए, जिसमें भविष्य निधि (पीएफ) और पेंशन फंड द्वारा किए गए निवेश शामिल हों. और यह वितरण इस तरीके से हो कि उनकी हकदारी की 80 फीसदी राशि का भुगतान हो जाए.



भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अधिवक्ता गोपाल जैन ने सुनवाई के दौरान कहा कि बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए या फंसे कजरेँ) को बैंकों के खातों में प्रतिबिंबित होना चाहिए.



एनसीएलएटी ने फरवरी में आदेश दिया था कि कोई भी वित्तीय संस्थान आईएलएंडएफएस समूह या उससे जुड़े किसी भी निकाय के खातों को बिना ट्रिब्यूनल की अनुमति के एनपीए घोषित नहीं करेंगे. पिछले महीने आरबीआई ने ट्रिब्यूनल के फरवरी के आदेश के खिलाफ अपीली ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की है.

ये भी पढ़ें :


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.