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रीयल्टी कंपनियों के लिए पुरानी जीएसटी दर के विकल्प को चुनने की समयसीमा 20 मई तक बढ़ी - अरुण जेटली

वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई वाली जीएसटी परिषद ने मार्च में रीयल एस्टेट कंपनियों को इनपुट कर क्रेडिट का लाभ लिए आवासीय इकाइयों के लिए पांच प्रतिशत तथा सस्ते आवास खंड के लिए एक प्रतिशत की जीएसटी दर विकल्प चुनने की अनुमति दी थी.

रीयल्टी कंपनियों के लिए पुरानी जीएसटी दर के विकल्प को चुनने की समयसीमा 20 मई तक बढ़ी
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Published : May 10, 2019, 8:22 AM IST

नई दिल्ली: माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने रीयल्टी कंपनियों के लिए इनपुट कर क्रेडिट के साथ पुरानी जीएसटी दर का विकल्प चुनने की समयसीमा को 10 दिन बढ़ाकर 20 मई कर दिया है. रीयल्टी कंपनियां मौजूदा जारी परियोजनाओं के लिए यह विकल्प चुन सकती हैं या नई निचली कर दर व्यवस्था की ओर स्थानांतरित हो सकती हैं.

वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई वाली जीएसटी परिषद ने मार्च में रीयल एस्टेट कंपनियों को इनपुट कर क्रेडिट का लाभ लिए आवासीय इकाइयों के लिए पांच प्रतिशत तथा सस्ते आवास खंड के लिए एक प्रतिशत की जीएसटी दर विकल्प चुनने की अनुमति दी थी. कंपनियों को यह विकल्प एक अप्रैल, 2019 से चुनना था.

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मौजूदा जारी परियोजनाओं के लिए बिल्डरों को इनपुट कर क्रेडिट के साथ 12 प्रतिशत जीएसटी स्लैब में बने रहने (सस्ते आवास खंड के लिए आठ प्रतिशत) का विकल्प या फिर बिना इनपुट कर क्रेडिट के लाभ के पांच प्रतिशत जीएसटी दर (सस्ते आवास खंड के लिए एक प्रतिशत) का विकल्प चुनने को कहा गया था.

कंपनियों को अपने-अपने क्षेत्रों के संबद्ध अधिकारियों को इसी जानकारी 10 मई को देनी थी. जीएसटी परिषद ने ट्वीट कर कहा कि अब इस समयसीमा को बढ़ाकर 20 मई कर दिया गया है.

नई दिल्ली: माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने रीयल्टी कंपनियों के लिए इनपुट कर क्रेडिट के साथ पुरानी जीएसटी दर का विकल्प चुनने की समयसीमा को 10 दिन बढ़ाकर 20 मई कर दिया है. रीयल्टी कंपनियां मौजूदा जारी परियोजनाओं के लिए यह विकल्प चुन सकती हैं या नई निचली कर दर व्यवस्था की ओर स्थानांतरित हो सकती हैं.

वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई वाली जीएसटी परिषद ने मार्च में रीयल एस्टेट कंपनियों को इनपुट कर क्रेडिट का लाभ लिए आवासीय इकाइयों के लिए पांच प्रतिशत तथा सस्ते आवास खंड के लिए एक प्रतिशत की जीएसटी दर विकल्प चुनने की अनुमति दी थी. कंपनियों को यह विकल्प एक अप्रैल, 2019 से चुनना था.

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मौजूदा जारी परियोजनाओं के लिए बिल्डरों को इनपुट कर क्रेडिट के साथ 12 प्रतिशत जीएसटी स्लैब में बने रहने (सस्ते आवास खंड के लिए आठ प्रतिशत) का विकल्प या फिर बिना इनपुट कर क्रेडिट के लाभ के पांच प्रतिशत जीएसटी दर (सस्ते आवास खंड के लिए एक प्रतिशत) का विकल्प चुनने को कहा गया था.

कंपनियों को अपने-अपने क्षेत्रों के संबद्ध अधिकारियों को इसी जानकारी 10 मई को देनी थी. जीएसटी परिषद ने ट्वीट कर कहा कि अब इस समयसीमा को बढ़ाकर 20 मई कर दिया गया है.

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नई दिल्ली: माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने रीयल्टी कंपनियों के लिए इनपुट कर क्रेडिट के साथ पुरानी जीएसटी दर का विकल्प चुनने की समयसीमा को 10 दिन बढ़ाकर 20 मई कर दिया है. रीयल्टी कंपनियां मौजूदा जारी परियोजनाओं के लिए यह विकल्प चुन सकती हैं या नई निचली कर दर व्यवस्था की ओर स्थानांतरित हो सकती हैं.

वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई वाली जीएसटी परिषद ने मार्च में रीयल एस्टेट कंपनियों को इनपुट कर क्रेडिट का लाभ लिए आवासीय इकाइयों के लिए पांच प्रतिशत तथा सस्ते आवास खंड के लिए एक प्रतिशत की जीएसटी दर विकल्प चुनने की अनुमति दी थी. कंपनियों को यह विकल्प एक अप्रैल, 2019 से चुनना था.

मौजूदा जारी परियोजनाओं के लिए बिल्डरों को इनपुट कर क्रेडिट के साथ 12 प्रतिशत जीएसटी स्लैब में बने रहने (सस्ते आवास खंड के लिए आठ प्रतिशत) का विकल्प या फिर बिना इनपुट कर क्रेडिट के लाभ के पांच प्रतिशत जीएसटी दर (सस्ते आवास खंड के लिए एक प्रतिशत) का विकल्प चुनने को कहा गया था.

कंपनियों को अपने-अपने क्षेत्रों के संबद्ध अधिकारियों को इसी जानकारी 10 मई को देनी थी. जीएसटी परिषद ने ट्वीट कर कहा कि अब इस समयसीमा को बढ़ाकर 20 मई कर दिया गया है.

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