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केंद्र सरकार ने प्याज के लिए निर्यात प्रोत्साहन बंद किया

प्याज के निर्यातक पर मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम (एमईआईएस) के तहत निर्यात माल के एफओबी (लदान मूल्य) के 10 फीसदी के बराबर शुल्क की पर्ची का लाभ दिया जा रहा था.

केंद्र सरकार ने प्याज के लिए निर्यात प्रोत्साहन बंद किया
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Published : Jun 11, 2019, 8:03 PM IST

नई दिल्ली: सरकार ने घरेलू बाजार में प्याद की कीमत बढ़ने के मद्दे नजर इसके ताजा और शीत भंडारित की प्याज के निर्यात पर प्रोत्साहन समाप्त कर दिया है.

प्याज के निर्यातक पर मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम (एमईआईएस) के तहत निर्यात माल के एफओबी (लदान मूल्य) के 10 फीसदी के बराबर शुल्क की पर्ची का लाभ दिया जा रहा था. इस पर्ची का इस्तेमाल मूल आयात शुल्क सहित कई प्रकार के शुल्कों के भुगतान में इस्तेमाल किया जा सकता है.

नौ जून को जारी एक सार्वजनिक सूचना में विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने कहा कि वह ताजा और शीत भंडारित प्याज के निर्यात के लिए दिये जाने वाले लाभों को समाप्त कर रहे है. इसमें कहा गया है प्याज पर एमईआईएस के लाभ को तत्काल 10 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया गया है.

ये भी पढ़ें- अनिल अंबानी का दावा, पिछले 14 महीनों में चुकाया 35,000 करोड़ रुपये का कर्ज

पिछले साल दिसंबर में ने इस योजना के तहत प्याज निर्यात पर प्रोत्साहन की दर को पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया था. इसे इस वर्ष 30 जून तक जारी रखना था.

प्रोत्साहन को वापस लेने का निर्णय इस मायने में महत्वपूर्ण है कि केंद्र सरकार ने उत्पादक राज्यों में सूखे की स्थिति को देखते हुए आने वाले महीनों में कीमतों को अंकुश में रखने के लिए 50,000 टन प्याज का बफर स्टॉक बनाना शुरू कर दिया है.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्याज के एशिया के सबसे बड़े थोक बाजार, महाराष्ट्र के लासलगांव में मंगलवार को प्याज की कीमत लगभग 48 प्रतिशत बढ़कर 13.30 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई, जबकि पिछले महीने इसी दिन यह कीमत नौ रुपये प्रति किलोग्राम थी.

राष्ट्रीय राजधानी में, खुदरा प्याज की कीमतें इसकी विभिन्न किस्मों के आधार पर 20 से 25 रुपये प्रति किलोग्राम चल रही हैं.

महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे प्रमुख प्याज उगाने वाले राज्य इस साल सूखे की स्थिति का सामना कर रहे हैं.

पहले अनुमान के अनुसार, जून में समाप्त होने वाले चालू 2018-19 फसल वर्ष में प्याज उत्पादन मामूली रूप में थोड़ा अधिक यानी दो करोड़ 36.2 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि वर्ष 2017-18 में यह उत्पादन दो करोड़ 32.6 लाख टन का हुआ था. सरकार से अनुमान है कि वह बाद में उत्पादन पर सूखे के प्रभाव का आकलन करने के बाद अपने अनुमान को संशोधित करेगी.

रबी फसल की कटाई, जो भारत के प्याज उत्पादन का 60 प्रतिशत है, का काम लगभग पूरा हो चुका है. भारत में प्याज के लिए तीन मौसम हैं - खरीफ (गर्मी), देर खरीफ और रबी (सर्दियों).

वर्ष 2018-19 में भारत का ताजा और शीत भंडारित प्याज का निर्यात घटकर 49 करोड़ 67.6 लाख डॉलर रह गया, जबकि वर्ष 2016-17 में यह निर्यात 51 करोड़ 15.2 लाख डॉलर का हुआ था.

नई दिल्ली: सरकार ने घरेलू बाजार में प्याद की कीमत बढ़ने के मद्दे नजर इसके ताजा और शीत भंडारित की प्याज के निर्यात पर प्रोत्साहन समाप्त कर दिया है.

प्याज के निर्यातक पर मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम (एमईआईएस) के तहत निर्यात माल के एफओबी (लदान मूल्य) के 10 फीसदी के बराबर शुल्क की पर्ची का लाभ दिया जा रहा था. इस पर्ची का इस्तेमाल मूल आयात शुल्क सहित कई प्रकार के शुल्कों के भुगतान में इस्तेमाल किया जा सकता है.

नौ जून को जारी एक सार्वजनिक सूचना में विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने कहा कि वह ताजा और शीत भंडारित प्याज के निर्यात के लिए दिये जाने वाले लाभों को समाप्त कर रहे है. इसमें कहा गया है प्याज पर एमईआईएस के लाभ को तत्काल 10 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया गया है.

ये भी पढ़ें- अनिल अंबानी का दावा, पिछले 14 महीनों में चुकाया 35,000 करोड़ रुपये का कर्ज

पिछले साल दिसंबर में ने इस योजना के तहत प्याज निर्यात पर प्रोत्साहन की दर को पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया था. इसे इस वर्ष 30 जून तक जारी रखना था.

प्रोत्साहन को वापस लेने का निर्णय इस मायने में महत्वपूर्ण है कि केंद्र सरकार ने उत्पादक राज्यों में सूखे की स्थिति को देखते हुए आने वाले महीनों में कीमतों को अंकुश में रखने के लिए 50,000 टन प्याज का बफर स्टॉक बनाना शुरू कर दिया है.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्याज के एशिया के सबसे बड़े थोक बाजार, महाराष्ट्र के लासलगांव में मंगलवार को प्याज की कीमत लगभग 48 प्रतिशत बढ़कर 13.30 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई, जबकि पिछले महीने इसी दिन यह कीमत नौ रुपये प्रति किलोग्राम थी.

राष्ट्रीय राजधानी में, खुदरा प्याज की कीमतें इसकी विभिन्न किस्मों के आधार पर 20 से 25 रुपये प्रति किलोग्राम चल रही हैं.

महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे प्रमुख प्याज उगाने वाले राज्य इस साल सूखे की स्थिति का सामना कर रहे हैं.

पहले अनुमान के अनुसार, जून में समाप्त होने वाले चालू 2018-19 फसल वर्ष में प्याज उत्पादन मामूली रूप में थोड़ा अधिक यानी दो करोड़ 36.2 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि वर्ष 2017-18 में यह उत्पादन दो करोड़ 32.6 लाख टन का हुआ था. सरकार से अनुमान है कि वह बाद में उत्पादन पर सूखे के प्रभाव का आकलन करने के बाद अपने अनुमान को संशोधित करेगी.

रबी फसल की कटाई, जो भारत के प्याज उत्पादन का 60 प्रतिशत है, का काम लगभग पूरा हो चुका है. भारत में प्याज के लिए तीन मौसम हैं - खरीफ (गर्मी), देर खरीफ और रबी (सर्दियों).

वर्ष 2018-19 में भारत का ताजा और शीत भंडारित प्याज का निर्यात घटकर 49 करोड़ 67.6 लाख डॉलर रह गया, जबकि वर्ष 2016-17 में यह निर्यात 51 करोड़ 15.2 लाख डॉलर का हुआ था.

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केंद्र सरकार ने प्याज के लिए निर्यात प्रोत्साहन बंद किया

नई दिल्ली: सरकार ने घरेलू बाजार में प्याद की कीमत बढ़ने के मद्दे नजर इसके ताजा और शीत भंडारित की प्याज के निर्यात पर प्रोत्साहन समाप्त कर दिया है.

प्याज के निर्यातक पर मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम (एमईआईएस) के तहत निर्यात माल के एफओबी (लदान मूल्य) के 10 फीसदी के बराबर शुल्क की पर्ची का लाभ दिया जा रहा था. इस पर्ची का इस्तेमाल मूल आयात शुल्क सहित कई प्रकार के शुल्कों के भुगतान में इस्तेमाल किया जा सकता है.

नौ जून को जारी एक सार्वजनिक सूचना में विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने कहा कि वह ताजा और शीत भंडारित प्याज के निर्यात के लिए दिये जाने वाले लाभों को समाप्त कर रहे है. इसमें कहा गया है प्याज पर एमईआईएस के लाभ को तत्काल 10 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया गया है.

पिछले साल दिसंबर में ने इस योजना के तहत प्याज निर्यात पर प्रोत्साहन की दर को पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया था. इसे इस वर्ष 30 जून तक जारी रखना था.

प्रोत्साहन को वापस लेने का निर्णय इस मायने में महत्वपूर्ण है कि केंद्र सरकार ने उत्पादक राज्यों में सूखे की स्थिति को देखते हुए आने वाले महीनों में कीमतों को अंकुश में रखने के लिए 50,000 टन प्याज का बफर स्टॉक बनाना शुरू कर दिया है.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्याज के एशिया के सबसे बड़े थोक बाजार, महाराष्ट्र के लासलगांव में मंगलवार को प्याज की कीमत लगभग 48 प्रतिशत बढ़कर 13.30 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई, जबकि पिछले महीने इसी दिन यह कीमत नौ रुपये प्रति किलोग्राम थी.

राष्ट्रीय राजधानी में, खुदरा प्याज की कीमतें इसकी विभिन्न किस्मों के आधार पर 20 से 25 रुपये प्रति किलोग्राम चल रही हैं.

महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे प्रमुख प्याज उगाने वाले राज्य इस साल सूखे की स्थिति का सामना कर रहे हैं.

पहले अनुमान के अनुसार, जून में समाप्त होने वाले चालू 2018-19 फसल वर्ष में प्याज उत्पादन मामूली रूप में थोड़ा अधिक यानी दो करोड़ 36.2 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि वर्ष 2017-18 में यह उत्पादन दो करोड़ 32.6 लाख टन का हुआ था. सरकार से अनुमान है कि वह बाद में उत्पादन पर सूखे के प्रभाव का आकलन करने के बाद अपने अनुमान को संशोधित करेगी.

रबी फसल की कटाई, जो भारत के प्याज उत्पादन का 60 प्रतिशत है, का काम लगभग पूरा हो चुका है. भारत में प्याज के लिए तीन मौसम हैं - खरीफ (गर्मी), देर खरीफ और रबी (सर्दियों).

वर्ष 2018-19 में भारत का ताजा और शीत भंडारित प्याज का निर्यात घटकर 49 करोड़ 67.6 लाख डॉलर रह गया, जबकि वर्ष 2016-17 में यह निर्यात 51 करोड़ 15.2 लाख डॉलर का हुआ था.

 


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