बीजिंग: दुनिया भर कोविड-19 महामारी से जूझ रही है. कई देशों में वायरस का संक्रमण बढ़ता ही जा रहा है. इस दौरान वैश्विक सहयोग की भावना कमजोर होती दिख रही है. क्योंकि अमेरिका जैसे राष्ट्र अपने देश के हितों को सर्वोपरि रखने पर जोर दे रहे हैं.
जैसा कि हम जानते हैं कि अमेरिका पहले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन से अलग होने का ऐलान कर चुका है. इस तरह कोरोना वायरस को नियंत्रण में करने के प्रयासों को झटका लगा है. खासकर ऐसे वक्त में जब छोटे और गरीब देशों में यह महामारी तेजी से अपने पैर पसार रही है.
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हालांकि कुछ अंतर्राष्ट्रीय संगठन इस खतरनाक महामारी से निपटने के लिए विश्व को मिल-जुल कर कोशिश करने की वकालत करते रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र हो या फिर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, इन संगठनों को ग्लोबल सहयोग की जरूरत महसूस हो रही है. क्योंकि इन संगठनों के प्रतिनिधि इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि कोरोना वायरस का संक्रमण दुनिया में किस कदर खौफ पैदा कर चुका है. क्योंकि वायरस किसी देश की सीमा को नहीं मानता है. इसके खात्मे के लिए सभी राष्ट्रों को एकजुट होकर सहयोग करने की आवश्यकता है.
इस संदर्भ में आईएमएफ की महानिदेशक क्रिस्टालिना जार्जिवा ने भी समूचे विश्व समुदाय से अपील की है कि वह विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग करे. उनका मानना है कि इससे न केवल कोविड-19 महामारी के संकट को कम से कम समय में काबू में किया जा सकेगा, बल्कि यह वैश्विक पुनरुत्थान के लिए भी जरूरी है.
आईएमएफ की इस अपील का महत्व समझा जा सकता है, क्योंकि आज पूरी दुनिया में वायरस ने हाहाकार मचा कर रखा है. इसका सीधा असर लोगों की दिनचर्या के साथ-साथ व्यापार और अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है. इसे देखते हुए इंटरनेशनल कम्युनिटी को हेल्थ, एजुकेशन आदि क्षेत्रों में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है. इसके लिए इन क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने की भी जरूरत है, ताकि वायरस के चलते जो संकट खड़ा हुआ है, उसे कुछ हद तक कम किया जा सके.
कोविड-19 की वजह से विश्व तमाम चुनौतियों का सामना कर रहा है. आईएमएफ की हालिया रिपोर्ट से भी इसका पता चलता है. जिसमें कहा है कि इस साल वैश्विक उत्पादन में 4.9 फीसदी की कमी दर्ज की जाएगी. इसके साथ ही आर्थिक दबाव के चलते गरीबी और असमानता की स्थिति और चिंताजनक होने वाली है.
इन सब चिंताओं और चुनौतियों के मद्देनजर सभी देशों और प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को एकजुट होकर काम करना चाहिए, ताकि सदी के सबसे बड़े संकट से मुकाबला किया जा सके.
(आईएएनएस)