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आर्थिक वृद्धि जरूर धीमी, पर अर्थव्यवस्था मंदी में नहीं: सीतारमण

सीतारमण ने कहा कि देश हित में हर कदम उठाये जा रहे हैं. अगर आप विवेकपूर्ण तरीके से अर्थव्यवस्था पर गौर करें तो फिलहाल आर्थिक वृद्धि दर जरूर नीचे आयी है लेकिन यह मंदी नहीं है, ऐसी स्थिति कभी नहीं आएगी.

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भारतीय अर्थव्यवस्था में कोई मंदी नहीं है: वित्त मंत्री
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Published : Nov 27, 2019, 5:56 PM IST

Updated : Nov 27, 2019, 11:07 PM IST

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को राज्यसभा में अर्थव्यवस्था के प्रबंधन और स्थिति को लेकर विपक्ष की आलोचनाओं को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने अर्थव्यवस्था की बेहतर तस्वीर दिखाने के लिये पूर्व कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के दौरान वृहत आर्थिक आंकड़ों की तुलना की और कहा कि आर्थिक वृद्धि धीमी जरूर हुई है लेकिन अर्थव्यस्था में मंदी कभी नहीं आएगी.

राज्यसभा में अर्थव्यवस्था की स्थिति पर अल्पकालीन चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि सरकार ने अपने पहले बजट के बाद जो कदम उठाये हैं, उसका सकारात्मक परिणाम आना शुरू हो गया है. वाहन जैसे कुछ क्षेत्रों में सुधार के संकेत दिख रहे हैं.

भारतीय अर्थव्यवस्था में कोई मंदी नहीं है: वित्त मंत्री

सरकार के राजस्व की स्थिति को लेकर विपक्ष की चिंता को दूर करते हुए उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में पिछले साल के इसी अवधि की तुलना में प्रत्यक्ष कर और जीएसटी संग्रह दोनों में वृद्धि हुई है.

वित्त मंत्री उच्च सदन में अपना बातें पूरी कर पाती इससे पहले ही उनके जवाब से असंतोष जताते हुए कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और वाम दलों के सदस्यों ने सदन से बर्हिगमन किया. उनका कहना था कि वित्त मंत्री अर्थव्यवस्था के मसलों के समाधान के बजाए अपना बजट भाषण पढ़ रही हैं.

सीतारमण ने कहा, "देश हित में हर कदम उठाये जा रहे हैं. अगर आप विवेकपूर्ण तरीके से अर्थव्यवस्था पर गौर करें तो फिलहाल आर्थिक वृद्धि दर जरूर नीचे आयी है लेकिन यह मंदी नहीं है, ऐसी स्थिति कभी नहीं आएगी."

उसके बाद उन्होंने 2014 के बाद से नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार के कार्यकाल और पूर्व संप्रग-दो के पांच साल के कार्यकाल के दौरान जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि के आंकड़े दिये. उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति लक्ष्य से कम है, आर्थिक विस्तार बेहतर है और अन्य वृहत आर्थिक संकेतकों की स्थिति भी ठीक-ठाक है.

ये भी पढ़ें: लोकसभा ने ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने वाले विधेयक को मंजूरी दी

उल्लेखनीय है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में संकट और उसका प्रभाव खुदरा कारोबार करने वाली कंपनियों, वाहन कंपनियों, मकान बिक्री और भारी उद्योग पर पड़ा जिससे देश की आर्थिक वृद्धि दर कमजोर हुई है.

देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में 5 प्रतिशत रही और 2013 के बाद से सबसे कम है. विभिन्न एजेंसियों का अनुमान है कि दूसरी तिमाही में इसमें और गिरावट आ सकती है. यह स्थिति तब है जब कंपनी करों में कटौती समेत कई प्रोत्साहन उपाय किये गये हैं.

सीतारमण ने कहा कि पिछले दो वित्त वर्ष से आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट फंसे कर्ज के कारण बैंकों के बही-खातों पर दबाव तथा दूसरी तरफ कर्ज में डूबी कंपनियों का परिणाम है और इसके लिये पूर्व संप्रग सरकार की कर्ज बांटने की नीति जिम्मेदार थी.

उन्होंने विपक्ष की इस आलोचना को खारिज कर दिया कि पांच जुलाई को पेश उनका बजट धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था की चिंताओं का समाधान करने में विफल रहा और इसलिए उन्होंने बजट पारित होने के एक महीने के भीतर कई उपायों की घोषणा की.

वित्त मंत्री ने कहा कि आर्थिक समीक्षा में बैंकों में पूंजी डाले जाने की जरूरत और सुधारों का जिक्र था और इसकी जरूरत को समझते हुए इसका उल्लेख बजट भाषण में भी किया गया.

सीतारमण ने कहा कि उसी बजट भाषण के बाद बैंकों में 70,000 करोड़ रुपये की पूंजी डाली गयी. इसी के चलते हाल में बैंकों द्वारा आयोजित ऋण वितरण कार्यक्रमों में ग्राहकों को 2.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक के ऋण बांटे गए.

उन्होंने कहा कि दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता का परिणाम दिख रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि अर्थव्यवस्था में नरमी नकदी की समस्या का परिणाम नहीं है बल्कि कोष प्रवाह की समस्या है. सीतारमण ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के बारे में कहा कि 31 मार्च 2020 तक शुद्ध रूप से 6.63 लाख करोड़ रुपये के शुद्ध कर संग्रह का लक्ष्य है, इसमें से अप्रैल-अक्टूबर के दौरान 3.26 लाख करोड़ संग्रह किये गये.

मासिक आधार पर जीएसटी संग्रह बढ़ रहा है. प्रत्यक्ष कर संग्रह भी अप्रैल-अक्टूबर के दौरान 4.8 प्रतिशत बढ़कर 6.86 लाख करोड़ रुपये रहा. उन्होंने कहा कि जीडीपी अनुपात के रूप में प्रत्यक्ष कर संग्रह 2014-15 में 5.5 प्रतिशत से बढ़कर 2018-19 में 5.98 प्रतिशत पर पहुंच गया.

सीतारमण ने कहा, "2009-14 के दौरान एफडीआई प्रवाह 189.5 अरब डॉलर रहा. उसके बाद भाजपा नीत सरकार के पांच साल के कार्यकाल में यह 283.9 अरब डॉलर रहा. विदेशी मुद्रा भंडार संप्रग-दो के समय 304.2 अरब डॉलर था जो भाजपा शासन में 412.6 अरब डॉलर पहुंच गया.

उन्होंने कहा, "क्या हर चीज नीचे आ रही हैं? बिल्कुल नहीं. हम क्षेत्रों के समक्ष चुनौतियों से अवगत हैं...हम सुनिश्चित करेंगे कि इन समस्याओं का सकारात्मक समाधान हो."

वित्त मंत्री के जवाब के बाद सभापति ने विपक्षी सदस्यों द्वारा सीतारमण के जवाब के बीच में ही सदन से बहिर्गमन करने का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसा करना उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि सदस्य बहिर्गमन करते रहे हैं किंतु उन्हें वित्त मंत्री का पूरा जवाब सुनना चाहिए था क्योंकि यह एक अति महत्वपूर्ण मुद्दा है.

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को राज्यसभा में अर्थव्यवस्था के प्रबंधन और स्थिति को लेकर विपक्ष की आलोचनाओं को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने अर्थव्यवस्था की बेहतर तस्वीर दिखाने के लिये पूर्व कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के दौरान वृहत आर्थिक आंकड़ों की तुलना की और कहा कि आर्थिक वृद्धि धीमी जरूर हुई है लेकिन अर्थव्यस्था में मंदी कभी नहीं आएगी.

राज्यसभा में अर्थव्यवस्था की स्थिति पर अल्पकालीन चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि सरकार ने अपने पहले बजट के बाद जो कदम उठाये हैं, उसका सकारात्मक परिणाम आना शुरू हो गया है. वाहन जैसे कुछ क्षेत्रों में सुधार के संकेत दिख रहे हैं.

भारतीय अर्थव्यवस्था में कोई मंदी नहीं है: वित्त मंत्री

सरकार के राजस्व की स्थिति को लेकर विपक्ष की चिंता को दूर करते हुए उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में पिछले साल के इसी अवधि की तुलना में प्रत्यक्ष कर और जीएसटी संग्रह दोनों में वृद्धि हुई है.

वित्त मंत्री उच्च सदन में अपना बातें पूरी कर पाती इससे पहले ही उनके जवाब से असंतोष जताते हुए कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और वाम दलों के सदस्यों ने सदन से बर्हिगमन किया. उनका कहना था कि वित्त मंत्री अर्थव्यवस्था के मसलों के समाधान के बजाए अपना बजट भाषण पढ़ रही हैं.

सीतारमण ने कहा, "देश हित में हर कदम उठाये जा रहे हैं. अगर आप विवेकपूर्ण तरीके से अर्थव्यवस्था पर गौर करें तो फिलहाल आर्थिक वृद्धि दर जरूर नीचे आयी है लेकिन यह मंदी नहीं है, ऐसी स्थिति कभी नहीं आएगी."

उसके बाद उन्होंने 2014 के बाद से नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार के कार्यकाल और पूर्व संप्रग-दो के पांच साल के कार्यकाल के दौरान जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि के आंकड़े दिये. उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति लक्ष्य से कम है, आर्थिक विस्तार बेहतर है और अन्य वृहत आर्थिक संकेतकों की स्थिति भी ठीक-ठाक है.

ये भी पढ़ें: लोकसभा ने ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने वाले विधेयक को मंजूरी दी

उल्लेखनीय है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में संकट और उसका प्रभाव खुदरा कारोबार करने वाली कंपनियों, वाहन कंपनियों, मकान बिक्री और भारी उद्योग पर पड़ा जिससे देश की आर्थिक वृद्धि दर कमजोर हुई है.

देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में 5 प्रतिशत रही और 2013 के बाद से सबसे कम है. विभिन्न एजेंसियों का अनुमान है कि दूसरी तिमाही में इसमें और गिरावट आ सकती है. यह स्थिति तब है जब कंपनी करों में कटौती समेत कई प्रोत्साहन उपाय किये गये हैं.

सीतारमण ने कहा कि पिछले दो वित्त वर्ष से आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट फंसे कर्ज के कारण बैंकों के बही-खातों पर दबाव तथा दूसरी तरफ कर्ज में डूबी कंपनियों का परिणाम है और इसके लिये पूर्व संप्रग सरकार की कर्ज बांटने की नीति जिम्मेदार थी.

उन्होंने विपक्ष की इस आलोचना को खारिज कर दिया कि पांच जुलाई को पेश उनका बजट धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था की चिंताओं का समाधान करने में विफल रहा और इसलिए उन्होंने बजट पारित होने के एक महीने के भीतर कई उपायों की घोषणा की.

वित्त मंत्री ने कहा कि आर्थिक समीक्षा में बैंकों में पूंजी डाले जाने की जरूरत और सुधारों का जिक्र था और इसकी जरूरत को समझते हुए इसका उल्लेख बजट भाषण में भी किया गया.

सीतारमण ने कहा कि उसी बजट भाषण के बाद बैंकों में 70,000 करोड़ रुपये की पूंजी डाली गयी. इसी के चलते हाल में बैंकों द्वारा आयोजित ऋण वितरण कार्यक्रमों में ग्राहकों को 2.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक के ऋण बांटे गए.

उन्होंने कहा कि दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता का परिणाम दिख रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि अर्थव्यवस्था में नरमी नकदी की समस्या का परिणाम नहीं है बल्कि कोष प्रवाह की समस्या है. सीतारमण ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के बारे में कहा कि 31 मार्च 2020 तक शुद्ध रूप से 6.63 लाख करोड़ रुपये के शुद्ध कर संग्रह का लक्ष्य है, इसमें से अप्रैल-अक्टूबर के दौरान 3.26 लाख करोड़ संग्रह किये गये.

मासिक आधार पर जीएसटी संग्रह बढ़ रहा है. प्रत्यक्ष कर संग्रह भी अप्रैल-अक्टूबर के दौरान 4.8 प्रतिशत बढ़कर 6.86 लाख करोड़ रुपये रहा. उन्होंने कहा कि जीडीपी अनुपात के रूप में प्रत्यक्ष कर संग्रह 2014-15 में 5.5 प्रतिशत से बढ़कर 2018-19 में 5.98 प्रतिशत पर पहुंच गया.

सीतारमण ने कहा, "2009-14 के दौरान एफडीआई प्रवाह 189.5 अरब डॉलर रहा. उसके बाद भाजपा नीत सरकार के पांच साल के कार्यकाल में यह 283.9 अरब डॉलर रहा. विदेशी मुद्रा भंडार संप्रग-दो के समय 304.2 अरब डॉलर था जो भाजपा शासन में 412.6 अरब डॉलर पहुंच गया.

उन्होंने कहा, "क्या हर चीज नीचे आ रही हैं? बिल्कुल नहीं. हम क्षेत्रों के समक्ष चुनौतियों से अवगत हैं...हम सुनिश्चित करेंगे कि इन समस्याओं का सकारात्मक समाधान हो."

वित्त मंत्री के जवाब के बाद सभापति ने विपक्षी सदस्यों द्वारा सीतारमण के जवाब के बीच में ही सदन से बहिर्गमन करने का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसा करना उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि सदस्य बहिर्गमन करते रहे हैं किंतु उन्हें वित्त मंत्री का पूरा जवाब सुनना चाहिए था क्योंकि यह एक अति महत्वपूर्ण मुद्दा है.

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Finance Minister Nirmala Sitharaman in Rajya Sabha: If you are looking at the economy with a discerning view, you see that growth may have come down but it is not a recession yet, it will not be a recession ever.




Conclusion:
Last Updated : Nov 27, 2019, 11:07 PM IST
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