नई दिल्ली: भारतीय उद्योग जगत ने शुक्रवार को सरकार के प्रोत्साहन कदमों का असर अगली तिमाही तक दिखने की उम्मीद जतायी. उन्होंने कहा कि इससे देश की आर्थिक वृद्धि दर में होने वाला सुधार अगली तिमाही तक दिखने लगेगा.
देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 4.5 प्रतिशत पर पहुंच गयी है. इस संबंध में सरकार ने शुक्रवार को आधिकारिक आंकड़े जारी किए. भारतीय उद्योग जगत ने कहा कि यह देश की अर्थव्यवस्था की क्षमता से नीचे है.
ये भी पढ़ें- वाहनों के लिए फास्टैग अनिवार्य करने की तिथि 15 दिसंबर तक बढ़ायी गयी
एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि अर्थव्यवस्था में नरमी अपने निचले स्तर पर पहुंच चुकी है और अब यह इससे ऊपर आएगी.
बायोकॉन की चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक किरन मजूमदार शॉ ने कहा कि व्यावहारिक नीतियों से भारत को फिर से शीर्ष पर पहुंचाने में मदद मिल सकती है.
उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष संदीप सोमानी ने कहा कि जुलाई-सितंबर में जीडीपी वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत पर आना चिंताजनक है लेकिन इसके ऐसे रहने का पहले से अनुमान था. सरकार ने हाल में कुछ कदम उठाए हैं और आशा है कि इससे चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में हालात बेहतर होंगे.
जुलाई-सितंबर में जीडीपी वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत पर आना चिंताजनक है लेकिन इसके ऐसे रहने का पहले से अनुमान था.
पीएचडी चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष डी. के. अग्रवाल ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में सुधार के कदम उठाए गए हैं और यह निश्चित तौर पर देश की अर्थव्यवस्था के इंजन को शक्ति देंगे.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देश की आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट को लेकर सवाल उठाते हुए शनिवार को पूछा कि अगर यह आर्थिक मंदी नहीं है तो क्या है? गहलोत ने ट्वीट किया है, "मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर घटकर 4.5 प्रतिशत रह गयी जो कि बीते छह साल में निचले स्तर पर है. लगातार पांचवीं तिमाही में इस तरह की गिरावट दर्ज की गयी है."
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदंबरम की तरफ से उनके परिवार ने ट्वीट किया. उन्होंने कहा, "जैसा कि पहले से अनुमान लगाया गया था उसी तरह दूसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर गिरकर 4.5 फीसदी हो गयी. फिर भी सरकार कहती है कि सब अच्छा है."
चिदंबरम ने दावा किया, "तीसरी तिमाही की जीडीपी विकास दर भी 4.5 फीसदी से ज्यादा नहीं होगी बल्कि इसके और भी खराब होने की आशंका है."
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने दावा किया कि आज जीडीपी विकास दर 4.5 फीसदी हो गयी है. जो दिखाता है सारे वादे झूठे हैं. तरक्की की चाह रखने वाले भारत और उसकी अर्थव्यवस्था को भाजपा सरकार ने अपनी नाकामी के चलते बर्बाद कर दिया है.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की 4.5 प्रतिशत की वृद्धि दर को नाकाफी और चिंताजनक बताया. उन्होंने कहा, "हमारे देश के लोगों की आकांक्षा 8-9 प्रतिशत वृद्धि की है. जीडीपी वृद्धि दर पहली तिमाही में 5 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 4.5 प्रतिशत रही जो चिंताजनक है. केवल आर्थिक नीतियों में बदलाव से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद नहीं मिलेगी."
गौरतलब है कि देश में विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट और कृषि क्षेत्र में पिछले साल के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत रह गयी है.
जीडीपी@4.5: जानिए क्या कहतें हैं राजनेता, उद्योग जगत और एक्सपर्ट - undefined
देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 4.5 प्रतिशत पर पहुंच गयी है. इस संबंध में सरकार ने शुक्रवार को आधिकारिक आंकड़े जारी किए. इसके बाद विभिन्न लोगों ने इस पर अपनी राय दी.
नई दिल्ली: भारतीय उद्योग जगत ने शुक्रवार को सरकार के प्रोत्साहन कदमों का असर अगली तिमाही तक दिखने की उम्मीद जतायी. उन्होंने कहा कि इससे देश की आर्थिक वृद्धि दर में होने वाला सुधार अगली तिमाही तक दिखने लगेगा.
देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 4.5 प्रतिशत पर पहुंच गयी है. इस संबंध में सरकार ने शुक्रवार को आधिकारिक आंकड़े जारी किए. भारतीय उद्योग जगत ने कहा कि यह देश की अर्थव्यवस्था की क्षमता से नीचे है.
ये भी पढ़ें- वाहनों के लिए फास्टैग अनिवार्य करने की तिथि 15 दिसंबर तक बढ़ायी गयी
एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि अर्थव्यवस्था में नरमी अपने निचले स्तर पर पहुंच चुकी है और अब यह इससे ऊपर आएगी.
बायोकॉन की चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक किरन मजूमदार शॉ ने कहा कि व्यावहारिक नीतियों से भारत को फिर से शीर्ष पर पहुंचाने में मदद मिल सकती है.
उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष संदीप सोमानी ने कहा कि जुलाई-सितंबर में जीडीपी वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत पर आना चिंताजनक है लेकिन इसके ऐसे रहने का पहले से अनुमान था. सरकार ने हाल में कुछ कदम उठाए हैं और आशा है कि इससे चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में हालात बेहतर होंगे.
जुलाई-सितंबर में जीडीपी वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत पर आना चिंताजनक है लेकिन इसके ऐसे रहने का पहले से अनुमान था.
पीएचडी चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष डी. के. अग्रवाल ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में सुधार के कदम उठाए गए हैं और यह निश्चित तौर पर देश की अर्थव्यवस्था के इंजन को शक्ति देंगे.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देश की आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट को लेकर सवाल उठाते हुए शनिवार को पूछा कि अगर यह आर्थिक मंदी नहीं है तो क्या है? गहलोत ने ट्वीट किया है, "मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर घटकर 4.5 प्रतिशत रह गयी जो कि बीते छह साल में निचले स्तर पर है. लगातार पांचवीं तिमाही में इस तरह की गिरावट दर्ज की गयी है."
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदंबरम की तरफ से उनके परिवार ने ट्वीट किया. उन्होंने कहा, "जैसा कि पहले से अनुमान लगाया गया था उसी तरह दूसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर गिरकर 4.5 फीसदी हो गयी. फिर भी सरकार कहती है कि सब अच्छा है."
चिदंबरम ने दावा किया, "तीसरी तिमाही की जीडीपी विकास दर भी 4.5 फीसदी से ज्यादा नहीं होगी बल्कि इसके और भी खराब होने की आशंका है."
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने दावा किया कि आज जीडीपी विकास दर 4.5 फीसदी हो गयी है. जो दिखाता है सारे वादे झूठे हैं. तरक्की की चाह रखने वाले भारत और उसकी अर्थव्यवस्था को भाजपा सरकार ने अपनी नाकामी के चलते बर्बाद कर दिया है.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की 4.5 प्रतिशत की वृद्धि दर को नाकाफी और चिंताजनक बताया. उन्होंने कहा, "हमारे देश के लोगों की आकांक्षा 8-9 प्रतिशत वृद्धि की है. जीडीपी वृद्धि दर पहली तिमाही में 5 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 4.5 प्रतिशत रही जो चिंताजनक है. केवल आर्थिक नीतियों में बदलाव से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद नहीं मिलेगी."
गौरतलब है कि देश में विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट और कृषि क्षेत्र में पिछले साल के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत रह गयी है.
सरकार के प्रोत्साहन कदमों से अगली तिमाही में जीडीपी बेहतर होने की उम्मीद: उद्योग जगत
नई दिल्ली: भारतीय उद्योग जगत ने शुक्रवार को सरकार के प्रोत्साहन कदमों का असर अगली तिमाही तक दिखने की उम्मीद जतायी. उन्होंने कहा कि इससे देश की आर्थिक वृद्धि दर में होने वाला सुधार अगली तिमाही तक दिखने लगेगा.
देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 4.5 प्रतिशत पर पहुंच गयी है. इस संबंध में सरकार ने शुक्रवार को आधिकारिक आंकड़े जारी किए. भारतीय उद्योग जगत ने कहा कि यह देश की अर्थव्यवस्था की क्षमता से नीचे है.
ये भी पढ़ें-
एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि अर्थव्यवस्था में नरमी अपने निचले स्तर पर पहुंच चुकी है और अब यह इससे ऊपर आएगी.
बायोकॉन की चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक किरन मजूमदार शॉ ने कहा कि व्यावहारिक नीतियों से भारत को फिर से शीर्ष पर पहुंचाने में मदद मिल सकती है.
उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष संदीप सोमानी ने कहा कि जुलाई-सितंबर में जीडीपी वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत पर आना चिंताजनक है लेकिन इसके ऐसे रहने का पहले से अनुमान था. सरकार ने हाल में कुछ कदम उठाए हैं और आशा है कि इससे चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में हालात बेहतर होंगे.
जुलाई-सितंबर में जीडीपी वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत पर आना चिंताजनक है लेकिन इसके ऐसे रहने का पहले से अनुमान था.
पीएचडी चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष डी. के. अग्रवाल ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में सुधार के कदम उठाए गए हैं और यह निश्चित तौर पर देश की अर्थव्यवस्था के इंजन को शक्ति देंगे.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देश की आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट को लेकर सवाल उठाते हुए शनिवार को पूछा कि अगर यह आर्थिक मंदी नहीं है तो क्या है? गहलोत ने ट्वीट किया है, "मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर घटकर 4.5 प्रतिशत रह गयी जो कि बीते छह साल में निचले स्तर पर है. लगातार पांचवीं तिमाही में इस तरह की गिरावट दर्ज की गयी है."
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदंबरम की तरफ से उनके परिवार ने ट्वीट किया. उन्होंने कहा, "जैसा कि पहले से अनुमान लगाया गया था उसी तरह दूसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर गिरकर 4.5 फीसदी हो गयी. फिर भी सरकार कहती है कि सब अच्छा है."
चिदंबरम ने दावा किया, "तीसरी तिमाही की जीडीपी विकास दर भी 4.5 फीसदी से ज्यादा नहीं होगी बल्कि इसके और भी खराब होने की आशंका है."
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने दावा किया कि आज जीडीपी विकास दर 4.5 फीसदी हो गयी है. जो दिखाता है सारे वादे झूठे हैं. तरक्की की चाह रखने वाले भारत और उसकी अर्थव्यवस्था को भाजपा सरकार ने अपनी नाकामी के चलते बर्बाद कर दिया है.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की 4.5 प्रतिशत की वृद्धि दर को नाकाफी और चिंताजनक बताया. उन्होंने कहा, "हमारे देश के लोगों की आकांक्षा 8-9 प्रतिशत वृद्धि की है. जीडीपी वृद्धि दर पहली तिमाही में 5 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 4.5 प्रतिशत रही जो चिंताजनक है. केवल आर्थिक नीतियों में बदलाव से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद नहीं मिलेगी."
गौरतलब है कि देश में विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट और कृषि क्षेत्र में पिछले साल के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत रह गयी है.
Conclusion: