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ईपीएफओ में जून में शुद्ध रूप से हुए 6.55 लाख नये पंजीकरण, मई में हुए थे 1.72 लाख - मई में हुये थे 1.72 लाख

ईपीएफओ के नियमित वेतन रजिस्टर यानी पेरोल आधारित इन ताजा आंकड़े से कोविड- 19 संकट के मौजूदा दौर में संगठित क्षेत्र में रोजगार की स्थिति का संकेत मिलता है.

ईपीएफओ में जून में शुद्ध रूप से हुए 6.55 लाख नये पंजीकरण, मई में हुए थे 1.72 लाख
ईपीएफओ में जून में शुद्ध रूप से हुए 6.55 लाख नये पंजीकरण, मई में हुएईपीएफओ में जून में शुद्ध रूप से हुए 6.55 लाख नये पंजीकरण, मई में हुए थे 1.72 लाख थे 1.72 लाख
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Published : Aug 21, 2020, 1:07 PM IST

नई दिल्ली: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने संगठित क्षेत्र में रोजगार की तस्वीर बताने वाले आंकड़े जारी किये हैं. इसके तहत उसके पास जून में नये पंजीकरण शुद्ध रूप से बढ़कर 6.55 लाख तक पहुंच गये जबकि इस साल मई में यह संख्या 1.72 लाख ही रही थी.

ईपीएफओ के नियमित वेतन रजिस्टर यानी पेरोल आधारित इन ताजा आंकड़े से कोविड- 19 संकट के मौजूदा दौर में संगठित क्षेत्र में रोजगार की स्थिति का संकेत मिलता है.

ये भी पढ़ें- पेट्रोल के दाम में लगातार दूसरे दिन हुई बढ़ोतरी, डीजल में स्थिरता जारी

पिछले महीने जारी अस्थायी पेरोल आंकड़े में मई में शुद्ध रूप से 3.18 लाख लोगों के पंजीकरण की बात कही गयी थी. इसे अब संशोधित कर 1,72,174 कर दिया गया है.

ईपीएफओ के मई में जारी आंकड़े के अनुसार नये पंजीकरण की संख्या मार्च, 2020 में घटकर 5.72 लाख पर आ गयी जो फरवरी में 10.21 लाख थी.

इस बीच, श्रम मंत्रालय ने बयान में कहा कि ईपीएफओ के अंशधारकों की संख्या 2020-21 की पहली तिमाही में करीब 8.47 लाख बढ़ी है.

बृहस्पतिवार को जारी ताजा आंकड़े के अनुसार अप्रैल में नये पंजीकरण केवल 20,164 रहे जबकि जुलाई में जारी अस्थायी आंकड़े में यह संख्या एक लाख थी.

शुद्ध रूप से ईपीएफओ के पास हर महीने औसतन करीब सात लाख नये पंजीकरण आते है.

आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान नये अंशधारकों की कुल संख्या बढ़कर 78.58 लाख रही जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 61.12 लाख थी.

ईपीएफओ अप्रैल, 2018 से नये अंशधारकों के आंकड़े जारी कर रहा है. इसमें सितंबर 2017 से आंकड़ों को लिया गया है. ‘पेरोल’ आधारित इन आंकड़ों के अनुसार सितंबर, 2017 से जून 2020 के दौरान शुद्ध रूप से 1.63 करोड़ नये अंशधारक ईपीएफओ से जुड़े.

ईपीएफओ के अनुसार पेरोल आंकड़े अस्थायी है और कर्मचारियों के रिकार्ड का अद्यतन निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है. इसे बाद के महीनों में अद्यतन किया जाता है.

ये अनुमान शुद्ध रूप से नये सदस्यों के जुड़ने पर आधारित हैं. यानी जो लोग नौकरी छोड़कर गये, उन्हें इसमें से हटा दिया गया. पुन: जो लोग दोबारा से जुड़े, उन्हें इसमें शामिल किया गया.

कोविड-19 महामारी के कारण अप्रैल और मई में पंजीकरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा.

लॉकडाउन के बावजूद ईपीएफओ की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से अप्रैल और मई, 2020 में क्रमश: 0.20 लाख और 1.72 लाख नये अंशधारक जुड़े.

बयान के अनुसार जून में शुद्ध रूप से 6.55 लाख नये अंशाधक जुड़े. यह मासिक आधार पर 280 प्रतिशत वृद्धि को बताता है. इसमें नये अंशधारकों की संख्या जून में मोटे तौर पर 64 प्रतिशत बढ़कर 4.98 लाख रही. मई में यह संख्या 3.03 लाख थी.

कई सदस्य एक नौकरी छोड़कर दूसरे रोजगार में जाते हैं. इससे पता चलता है कि कितने लोग नौकरी बदल रहे हैं. स्त्री-पुरूष के आधार पर विश्लेशण करने पर पता चलता है कि महिला कर्मचारियों का पंजीकरण जून, 2020 में निरपेक्ष रूप से बढ़कर 1,06,059 हो गया जो अप्रैल में 37,085 था. हालांकि, कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी कम बनी हुई है.

ईपीएफओ ने यह भी कहा कि अनुमान में अस्थायी कर्मचारी शामिल हो सकते हैं जिनका योगदान हो सकता है पूरे साल जारी नहीं रहे.

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के साथ वर्ष के दौरान कम से कम एक माह का योगदान करने वाले कुल अंशधारकों की संख्या छह करोड़ से अधिक है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने संगठित क्षेत्र में रोजगार की तस्वीर बताने वाले आंकड़े जारी किये हैं. इसके तहत उसके पास जून में नये पंजीकरण शुद्ध रूप से बढ़कर 6.55 लाख तक पहुंच गये जबकि इस साल मई में यह संख्या 1.72 लाख ही रही थी.

ईपीएफओ के नियमित वेतन रजिस्टर यानी पेरोल आधारित इन ताजा आंकड़े से कोविड- 19 संकट के मौजूदा दौर में संगठित क्षेत्र में रोजगार की स्थिति का संकेत मिलता है.

ये भी पढ़ें- पेट्रोल के दाम में लगातार दूसरे दिन हुई बढ़ोतरी, डीजल में स्थिरता जारी

पिछले महीने जारी अस्थायी पेरोल आंकड़े में मई में शुद्ध रूप से 3.18 लाख लोगों के पंजीकरण की बात कही गयी थी. इसे अब संशोधित कर 1,72,174 कर दिया गया है.

ईपीएफओ के मई में जारी आंकड़े के अनुसार नये पंजीकरण की संख्या मार्च, 2020 में घटकर 5.72 लाख पर आ गयी जो फरवरी में 10.21 लाख थी.

इस बीच, श्रम मंत्रालय ने बयान में कहा कि ईपीएफओ के अंशधारकों की संख्या 2020-21 की पहली तिमाही में करीब 8.47 लाख बढ़ी है.

बृहस्पतिवार को जारी ताजा आंकड़े के अनुसार अप्रैल में नये पंजीकरण केवल 20,164 रहे जबकि जुलाई में जारी अस्थायी आंकड़े में यह संख्या एक लाख थी.

शुद्ध रूप से ईपीएफओ के पास हर महीने औसतन करीब सात लाख नये पंजीकरण आते है.

आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान नये अंशधारकों की कुल संख्या बढ़कर 78.58 लाख रही जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 61.12 लाख थी.

ईपीएफओ अप्रैल, 2018 से नये अंशधारकों के आंकड़े जारी कर रहा है. इसमें सितंबर 2017 से आंकड़ों को लिया गया है. ‘पेरोल’ आधारित इन आंकड़ों के अनुसार सितंबर, 2017 से जून 2020 के दौरान शुद्ध रूप से 1.63 करोड़ नये अंशधारक ईपीएफओ से जुड़े.

ईपीएफओ के अनुसार पेरोल आंकड़े अस्थायी है और कर्मचारियों के रिकार्ड का अद्यतन निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है. इसे बाद के महीनों में अद्यतन किया जाता है.

ये अनुमान शुद्ध रूप से नये सदस्यों के जुड़ने पर आधारित हैं. यानी जो लोग नौकरी छोड़कर गये, उन्हें इसमें से हटा दिया गया. पुन: जो लोग दोबारा से जुड़े, उन्हें इसमें शामिल किया गया.

कोविड-19 महामारी के कारण अप्रैल और मई में पंजीकरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा.

लॉकडाउन के बावजूद ईपीएफओ की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से अप्रैल और मई, 2020 में क्रमश: 0.20 लाख और 1.72 लाख नये अंशधारक जुड़े.

बयान के अनुसार जून में शुद्ध रूप से 6.55 लाख नये अंशाधक जुड़े. यह मासिक आधार पर 280 प्रतिशत वृद्धि को बताता है. इसमें नये अंशधारकों की संख्या जून में मोटे तौर पर 64 प्रतिशत बढ़कर 4.98 लाख रही. मई में यह संख्या 3.03 लाख थी.

कई सदस्य एक नौकरी छोड़कर दूसरे रोजगार में जाते हैं. इससे पता चलता है कि कितने लोग नौकरी बदल रहे हैं. स्त्री-पुरूष के आधार पर विश्लेशण करने पर पता चलता है कि महिला कर्मचारियों का पंजीकरण जून, 2020 में निरपेक्ष रूप से बढ़कर 1,06,059 हो गया जो अप्रैल में 37,085 था. हालांकि, कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी कम बनी हुई है.

ईपीएफओ ने यह भी कहा कि अनुमान में अस्थायी कर्मचारी शामिल हो सकते हैं जिनका योगदान हो सकता है पूरे साल जारी नहीं रहे.

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के साथ वर्ष के दौरान कम से कम एक माह का योगदान करने वाले कुल अंशधारकों की संख्या छह करोड़ से अधिक है.

(पीटीआई-भाषा)

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