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हजार अरब डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लक्ष्य के लिए प्रभावी है बौद्धिक संपदा व्यवस्था - अमेरिका भारत कारोबार परिषद

भारत और अमेरिका ने बौद्धिक संपदा (आईपी) के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने और सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान व प्रसार, प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सहयोग संबंधी गतिविधियों को लेकर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये.

हजार अरब डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लक्ष्य के लिए प्रभावी है बौद्धिक संपदा व्यवस्था
हजार अरब डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लक्ष्य के लिए प्रभावी है बौद्धिक संपदा व्यवस्था
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Published : Dec 5, 2020, 4:39 PM IST

वॉशिंगटन: एक हजार अरब डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने के भारत के लक्ष्य को पाने में एक प्रभावी बौद्धिक संपदा (आईपी) व्यवस्था अहम है. अमेरिका भारत कारोबार परिषद (यूएसआईबीसी) की प्रमुख निशा देसाई बिस्वाल ने एक कार्यक्रम में यह टिप्पणी की.

बिस्वाल ने यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स के ग्लोबल इनोवेशन पॉलिसी सेंटर (जीआईपीसी) और यूएसआईबीसी के द्वारा फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के साथ साझेदारी में आयोजित तीसरे वार्षिक भारत-यूएस आईपी संवाद में यह कहा.

उन्होंने कहा, "बौद्धिक पूंजी रचनात्मक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देती है. जैसे जैसे भारत का आईटी उद्योग बढ़ रहा है और उसकी सामग्री की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, एक हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के सरकार के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये एक प्रभावी आईपी व्यवस्था अहम हो जाती है. आईपीआर सुरक्षा डिजिटल इंडिया, मेक-इन-इंडिया और अन्य प्रमुख पहलों की सफलता के लिये भी अहम है."

बिस्वाल अमेरिका के विदेश मंत्रालय में दक्षिणी एवं मध्य एशियाई मामलों की सहायक मंत्री भी रह चुकी हैं.

भारत और अमेरिका ने बौद्धिक संपदा (आईपी) के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने और सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान व प्रसार, प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सहयोग संबंधी गतिविधियों को लेकर बृहस्पतिवार को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये.

दोनों पक्ष समझौता ज्ञापन (एमओयू) को लागू करने के लिये एक द्विवार्षिक कार्य योजना तैयार करेंगे, जिसमें सहयोग गतिविधियों को शामिल करने की विस्तृत योजना शामिल होगी.

ये भी पढ़ें: एलायंस एयर ने मुम्बई से गोवा के बीच सीधी दैनिक उड़ान शुरू की

बिस्वाल ने कहा, "आईपी संवाद अमेरिका और भारत की सरकारों के लिये हमारे द्विपक्षीय संबंधों को लेकर महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा करने का अवसर है."

जीआईपीसी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पैट्रिक किलब्राइड ने इस मौके पर कहा, "कोरोना वायरस को लेकर टीका व इलाज की उत्साहजनक खबरें इस महीने आयी हैं. यह इस बात का संकेत है कि बौद्धिक संपदा को लेकर संयुक्त राष्ट्र की रूपरेखा काम कर रही है."

उन्होंने कहा, "भारत अपने मजबूत घरेलू उद्यम तथा नवोन्मेष की क्षमता के दम पर महामारी से लड़ने में बड़ी भूमिका निभा सकता है और इसका समय अब आ गया है."

(पीटीआई-भाषा)

वॉशिंगटन: एक हजार अरब डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने के भारत के लक्ष्य को पाने में एक प्रभावी बौद्धिक संपदा (आईपी) व्यवस्था अहम है. अमेरिका भारत कारोबार परिषद (यूएसआईबीसी) की प्रमुख निशा देसाई बिस्वाल ने एक कार्यक्रम में यह टिप्पणी की.

बिस्वाल ने यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स के ग्लोबल इनोवेशन पॉलिसी सेंटर (जीआईपीसी) और यूएसआईबीसी के द्वारा फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के साथ साझेदारी में आयोजित तीसरे वार्षिक भारत-यूएस आईपी संवाद में यह कहा.

उन्होंने कहा, "बौद्धिक पूंजी रचनात्मक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देती है. जैसे जैसे भारत का आईटी उद्योग बढ़ रहा है और उसकी सामग्री की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, एक हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के सरकार के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये एक प्रभावी आईपी व्यवस्था अहम हो जाती है. आईपीआर सुरक्षा डिजिटल इंडिया, मेक-इन-इंडिया और अन्य प्रमुख पहलों की सफलता के लिये भी अहम है."

बिस्वाल अमेरिका के विदेश मंत्रालय में दक्षिणी एवं मध्य एशियाई मामलों की सहायक मंत्री भी रह चुकी हैं.

भारत और अमेरिका ने बौद्धिक संपदा (आईपी) के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने और सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान व प्रसार, प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सहयोग संबंधी गतिविधियों को लेकर बृहस्पतिवार को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये.

दोनों पक्ष समझौता ज्ञापन (एमओयू) को लागू करने के लिये एक द्विवार्षिक कार्य योजना तैयार करेंगे, जिसमें सहयोग गतिविधियों को शामिल करने की विस्तृत योजना शामिल होगी.

ये भी पढ़ें: एलायंस एयर ने मुम्बई से गोवा के बीच सीधी दैनिक उड़ान शुरू की

बिस्वाल ने कहा, "आईपी संवाद अमेरिका और भारत की सरकारों के लिये हमारे द्विपक्षीय संबंधों को लेकर महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा करने का अवसर है."

जीआईपीसी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पैट्रिक किलब्राइड ने इस मौके पर कहा, "कोरोना वायरस को लेकर टीका व इलाज की उत्साहजनक खबरें इस महीने आयी हैं. यह इस बात का संकेत है कि बौद्धिक संपदा को लेकर संयुक्त राष्ट्र की रूपरेखा काम कर रही है."

उन्होंने कहा, "भारत अपने मजबूत घरेलू उद्यम तथा नवोन्मेष की क्षमता के दम पर महामारी से लड़ने में बड़ी भूमिका निभा सकता है और इसका समय अब आ गया है."

(पीटीआई-भाषा)

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