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नियमों को सरल बना कर अधिक विदेशी निवेश आकर्षित कर सकता है भारत : आईएमएफ

देशों के वाह्य आर्थिक संबंधों पर आईएमएफ की एक ताजा रपट में भारत के संदर्भ में कहा गया है कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों को उदार बनाने की प्रक्रिया में प्रगति हुई है. 'एक्सटर्नल सेक्टर रिपोर्ट' में कहा गया है कि भारत में व्यापार बाधाएं अभी भी बनी हुई हैं.

नियमों को सरल बना कर अधिक विदेशी निवेश आकर्षित कर सकता है भारत : आईएमएफ
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Published : Jul 17, 2019, 10:09 PM IST

वॉशिंगटन: भारत को कारोबार करने के माहौल को आसान बनाने और व्यापार से जुड़े नियमों में छूट देने से विदेशी निवेश आकर्षित करने और चालू खाते के घाटे में सुधार करने में मदद मिलेगी. अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने यह बात कही है.

देशों के वाह्य आर्थिक संबंधों पर आईएमएफ की एक ताजा रपट में भारत के संदर्भ में कहा गया है कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों को उदार बनाने की प्रक्रिया में प्रगति हुई है. 'एक्सटर्नल सेक्टर रिपोर्ट' में कहा गया है कि भारत में व्यापार बाधाएं अभी भी बनी हुई हैं.

राजकोषीय घाटे को काबू में रखने के साथ बैंकों एवं कंपनियों की बैलेंसशीट में सफाई के जरिए कर्ज की उपलब्धता बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए चाहिए.

ये भी पढ़ें: विदेश में सरकारी बांड बिक्री इस साल 5 अरब डॉलर पर सीमित रख सकती है सरकार: रिपोर्ट

मुद्राकोष ने कहा, "कारोबारी माहौल में सुधार, घरेलू आपूर्ति की दिक्कतों को दूर करना और व्यापार एवं निवेश को उदार बनाना एफडीआई आकर्षित करने, चालू खाते के घाटे में सुधार और बाहरी अनियमितताओं को काबू करने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा."

चालू खाता घाटा (कैड) 2018-19 में बढ़कर 57.2 अरब डॉलर यानी जीडीपी के दो प्रतिशत के बराबर हो गया है. 2017-18 में यह 1.8 प्रतिशत पर था.

वॉशिंगटन: भारत को कारोबार करने के माहौल को आसान बनाने और व्यापार से जुड़े नियमों में छूट देने से विदेशी निवेश आकर्षित करने और चालू खाते के घाटे में सुधार करने में मदद मिलेगी. अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने यह बात कही है.

देशों के वाह्य आर्थिक संबंधों पर आईएमएफ की एक ताजा रपट में भारत के संदर्भ में कहा गया है कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों को उदार बनाने की प्रक्रिया में प्रगति हुई है. 'एक्सटर्नल सेक्टर रिपोर्ट' में कहा गया है कि भारत में व्यापार बाधाएं अभी भी बनी हुई हैं.

राजकोषीय घाटे को काबू में रखने के साथ बैंकों एवं कंपनियों की बैलेंसशीट में सफाई के जरिए कर्ज की उपलब्धता बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए चाहिए.

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मुद्राकोष ने कहा, "कारोबारी माहौल में सुधार, घरेलू आपूर्ति की दिक्कतों को दूर करना और व्यापार एवं निवेश को उदार बनाना एफडीआई आकर्षित करने, चालू खाते के घाटे में सुधार और बाहरी अनियमितताओं को काबू करने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा."

चालू खाता घाटा (कैड) 2018-19 में बढ़कर 57.2 अरब डॉलर यानी जीडीपी के दो प्रतिशत के बराबर हो गया है. 2017-18 में यह 1.8 प्रतिशत पर था.

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वॉशिंगटन: भारत को कारोबार करने के माहौल को आसान बनाने और व्यापार से जुड़े नियमों में छूट देने से विदेशी निवेश आकर्षित करने और चालू खाते के घाटे में सुधार करने में मदद मिलेगी. अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने यह बात कही है.

देशों के वाह्य आर्थिक संबंधों पर आईएमएफ की एक ताजा रपट में भारत के संदर्भ में कहा गया है कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों को उदार बनाने की प्रक्रिया में प्रगति हुई है. 'एक्सटर्नल सेक्टर रिपोर्ट' में कहा गया है कि भारत में व्यापार बाधाएं अभी भी बनी हुई हैं.

राजकोषीय घाटे को काबू में रखने के साथ बैंकों एवं कंपनियों की बैलेंसशीट में सफाई के जरिए कर्ज की उपलब्धता बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए चाहिए.

मुद्राकोष ने कहा, "कारोबारी माहौल में सुधार, घरेलू आपूर्ति की दिक्कतों को दूर करना और व्यापार एवं निवेश को उदार बनाना एफडीआई आकर्षित करने, चालू खाते के घाटे में सुधार और बाहरी अनियमितताओं को काबू करने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा."

चालू खाता घाटा (कैड) 2018-19 में बढ़कर 57.2 अरब डॉलर यानी जीडीपी के दो प्रतिशत के बराबर हो गया है. 2017-18 में यह 1.8 प्रतिशत पर था.

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