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छोटे शहरों पर बड़ा दांव खेल रहीं ई-वाणिज्य कंपनियां

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Published : Aug 4, 2019, 7:21 PM IST

विशेषज्ञों का मानना है कि छोटे शहर देश में खुदरा कारोबार वृद्धि के भविष्य के केन्द्र हैं. इन शहरों में जमीन सस्ती दर पर उपलब्ध है, किराया कम है और ग्राहक भी नये स्टोरों को लेकर नये अनुभव के लिये तैयार हैं.

छोटे शहरों पर बड़ा दांव खेल रहीं ई-वाणिज्य कंपनियां

नई दिल्ली: ई-वाणिज्य कंपनियां अपनी वृद्धि को तेज करने के लिये छोटे शहरों पर बड़ा दांव लगा रही हैं. वे इन शहरों के व्यापक उपभोक्ता आधार का लाभ उठाने के लिये इन शहरों में अपने कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान दे रही हैं. विशेषज्ञों ने यह राय व्यक्त की है.

उनका कहना है कि इन कंपनियों की छोटे शहरों में नियुक्तियों में 15 प्रतिशत तक तेजी आने का अनुमान है. उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिये ई-कॉमर्स कंपनियां छोटे शहरों में अपने गोदाम बना रही हैं तथा इन शहरों में कर्मचारियों की संख्या बढ़ा रही हैं.

ये भी पढ़ें- इकनॉमी वॉच: भारत को पांच ट्रिलियन इकोनॉमी के लक्ष्य को पाने के लिए 9 प्रतिशत वृद्धि की जरुरत

टीमलीज सर्विसेज के प्रमुख (डिजिटल एवं सूचना प्रौद्योगिकी) मयूर सारस्वत ने कहा, "पिछले साल दिवाली बिक्री में टिअर दो और तीन शहरों की 40 प्रतिशत हिस्सेदारी रही. यह एक शानदार बदलाव है तथा इससे वेयरहाउस, लॉजिस्टिक्स तथा दूरस्थ संपर्क पर ई-वाणिज्य कंपनियों के ध्यान केंद्रित करने का संकेतक है. इन शहरों में रोजगार बाजार बढ़ रहा है तथा इसमें 15 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिलेगी."

सारस्वत ने कहा कि मेट्रो शहरों में प्रतिस्पर्धा ऐसे स्तर पर पहुंच रही है जहां वृद्धि स्थिर होने लगी है. ऐसे में कंपनियां नये बाजारों की तलाश कर रही है और छोटे शहर उनके लिये इस दिशा में स्वाभाविक विकल्प हैं.

इंडीड इंडिया के प्रबंध निदेशक शशि कुमार ने कहा कि उनके आंकड़ों के मुताबिक देश की कुछ अग्रणी कंपनियां दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों में प्रतिभाओं की तलाश कर रही हैं. उन्हें काम पर रख रहीं हैं.

विशेषज्ञों का मानना है कि छोटे शहर देश में खुदरा कारोबार वृद्धि के भविष्य के केन्द्र हैं. इन शहरों में जमीन सस्ती दर पर उपलब्ध है, किराया कम है और ग्राहक भी नये स्टोरों को लेकर नये अनुभव के लिये तैयार हैं.

नई दिल्ली: ई-वाणिज्य कंपनियां अपनी वृद्धि को तेज करने के लिये छोटे शहरों पर बड़ा दांव लगा रही हैं. वे इन शहरों के व्यापक उपभोक्ता आधार का लाभ उठाने के लिये इन शहरों में अपने कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान दे रही हैं. विशेषज्ञों ने यह राय व्यक्त की है.

उनका कहना है कि इन कंपनियों की छोटे शहरों में नियुक्तियों में 15 प्रतिशत तक तेजी आने का अनुमान है. उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिये ई-कॉमर्स कंपनियां छोटे शहरों में अपने गोदाम बना रही हैं तथा इन शहरों में कर्मचारियों की संख्या बढ़ा रही हैं.

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टीमलीज सर्विसेज के प्रमुख (डिजिटल एवं सूचना प्रौद्योगिकी) मयूर सारस्वत ने कहा, "पिछले साल दिवाली बिक्री में टिअर दो और तीन शहरों की 40 प्रतिशत हिस्सेदारी रही. यह एक शानदार बदलाव है तथा इससे वेयरहाउस, लॉजिस्टिक्स तथा दूरस्थ संपर्क पर ई-वाणिज्य कंपनियों के ध्यान केंद्रित करने का संकेतक है. इन शहरों में रोजगार बाजार बढ़ रहा है तथा इसमें 15 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिलेगी."

सारस्वत ने कहा कि मेट्रो शहरों में प्रतिस्पर्धा ऐसे स्तर पर पहुंच रही है जहां वृद्धि स्थिर होने लगी है. ऐसे में कंपनियां नये बाजारों की तलाश कर रही है और छोटे शहर उनके लिये इस दिशा में स्वाभाविक विकल्प हैं.

इंडीड इंडिया के प्रबंध निदेशक शशि कुमार ने कहा कि उनके आंकड़ों के मुताबिक देश की कुछ अग्रणी कंपनियां दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों में प्रतिभाओं की तलाश कर रही हैं. उन्हें काम पर रख रहीं हैं.

विशेषज्ञों का मानना है कि छोटे शहर देश में खुदरा कारोबार वृद्धि के भविष्य के केन्द्र हैं. इन शहरों में जमीन सस्ती दर पर उपलब्ध है, किराया कम है और ग्राहक भी नये स्टोरों को लेकर नये अनुभव के लिये तैयार हैं.

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