नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में अनलॉक-5 में सिनेमा हॉल खोल दिए गए हैं. ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ-साथ लोग मास्क पहनकर हॉल में प्रवेश कर रहे हैं. वहीं खासतौर पर सिनेमा हॉल में एंट्री से पहले लोगों का टेंपरेचर मापा जा रहा है.
7 महीने से बंद सिनेमा हॉल को भी खोल दिया गया, लेकिन केंद्र सरकार की गाइडलाइंस का पूरा पालन हो रहा है. इसको देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग के साथ-साथ लोग मास्क और फेस शिल्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं. इतना ही नहीं, हॉल के अंदर जो खाने-पीने के स्टॉल लगे है वहां काम करने वाले सभी स्टाफ फेस शिल्ड और मास्क लगाकर अपनी ड्यूटी कर रहे है. मेट्रो की तरह हॉल में दर्शक एक सीट छोड़कर एक बैठेंगे.
980 लोगों की कैपेसिटी वाले डिलाइट सिनेमा में पहले दिन फिल्म देखने पहुंचे 23 लोग
करीब 7 महीने के लंबे इंतजार के बाद दिल्ली के सिनेमाघर खुल चुके हैं. हालांकि शुरुआत में लोगों में कोरोना का खौफ साफ नजर आया. पुरानी दिल्ली के मशहूर डेलाइट सिनेमा में पहले दिन हाउसफुल 4 दिखाई जा रही है लेकिन फिल्म के नाम से इतर यहां सिनेमा हॉल खाली ही दिखा. कुल 980 लोगों की कैपेसिटी वाले इस हॉल में सिर्फ 23 लोग ही फिल्म देखते नजर आए.
निर्देश के बावजूद सिनेमाघर बंद, मालिक पुरानी फिल्मों पर नहीं लेना चाहते रिस्क
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन कराते हुए सिनेमाघरों को खोलने की छूट दी गई थी. लेकिन ग्वालियर में गुरूवार को सिनेमाघरों पर ताले लटक रहे हैं. मल्टीप्लेक्स में भी युवाओं को सिनेमा बंद होने से निराश होकर जाना पड़ा.
दरअसल, महाराष्ट्र में नई फिल्में रिलीज आने पर फिल्म निर्माता और निर्देशकों ने रोक लगा रखी है. एक नवंबर के बाद ही फिल्म निर्माता अपनी फिल्म रिलीज करने की बात कह रहे हैं. इसलिए सरकार की घोषणा के बावजूद सिनेमाघर और मल्टीप्लेक्स मालिक सिनेमाघरों को शुरू नहीं कर रहे हैं. उनका कहना है कि नई फिल्में नहीं रही हैं और पुरानी फिल्म हर रिस्क नहीं ली जा सकती, इसके इतर केंद्र और राज्य सरकार ने कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन कराने के भी निर्देश दिए गए हैं, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना सबसे बड़ा जोखिम है.
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इसे लेकर सिनेमा मालिकों में असमंजस की स्थिति है, जब तक सिनेमाघर पूरी क्षमता से नहीं भरे जाएंगे तब तक उनका खर्चा निकल पाना भी मुश्किल होगा. इसलिए सिनेमाघर मालिक फिलहाल अपने मनोरंजन घर खोलने के मूड में नहीं है. उनका कहना है, बाजार की हालत वैसे भी खराब है. गौरतलब है कि पिछले एक दशक में ग्वालियर में सिनेमा धड़ाधड़ बंद हुए हैं, कुछ सिनेमा घर मल्टीप्लेक्स में तब्दील हो गए तो कुछ में मॉल और शॉपिंग कॉम्पलेक्स खोले जा चुके हैं, सिनेमाघर अब पहले जैसा फायदे का धंधा मालिकों के लिए नहीं रहा है.