मुंबई: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को राज्यों को भरोसा दिलाया कि केंद्र सरकार उन्हें जीएसटी के तहत राजस्व क्षतिपूर्ति करने करने के अपने वायदे से पीछे नहीं हटेगी. हालांकि उन्होंने मुआवजे के भुगतान में विलंब की बात मानी लेकिन कहा कि ऐसा कर संग्रह में कमी की वजह से हुआ है.
वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों को इससे परेशान नहीं होना चाहिए. सीतारमण की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय आई है जब महाराष्ट्र और केरल जैसे जीएसटी के तहत राजस्व हानि से जुड़े मुआवजे का जल्द से जल्द भुगतान किए जाने की मांग कर रहे हैं.
केंद्रीय मंत्री ने कहा, "यह निश्चित रूप से उनका अधिकार है, मैं इससे इनकार नहीं कर रही हूं. साथ ही, मैं यह भी स्पष्ट करना चाहती हूं कि मैं क्षतिपूर्ति देने के वादे से पीछे नहीं हट रही हूं. राज्यों को उनका हिस्सा दिया जाएगा. यह पक्का है कि हम इस मामले में जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट रहे हैं."
वित्त मंत्री ने टाइम्स नेटवर्क के इंडिया इकोनॉमिक कॉनक्लेव को वीडिया कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए कहा, "मैं मानती हूं कि राज्यों को क्षतिपूर्ति का भुगतान दो महीने से नहीं किया गया है. मैं नहीं चाहती हूं कि उन्हें परेशान होना पड़े क्योंकि इसमें न तो उनकी गलती है और न ही इसमें व्यक्तिगत रूप से मेरी गलती है."
उन्होंने इसकी वजह है कि जीएसटी संग्रह उम्मीदों से काफी कम रहा है. सीतारमण ने जीएसटी संग्रह में कमी के लिए प्राकृतिक आपदा के कारण जीएसटी फाइल करने में आई गिरावट को जिम्मेदार ठहराया है. साथ ही खपत में सुस्ती को भी कारण बताया है, जो कि सीधे कर संग्रह पर असर डालती है.
ये भी पढ़ें: सरकार का काम कारोबार करना नहीं: अग्रवाल
वित्त मंत्री ने कहा, "मैं विभिन्न राज्यों के साथ मिलकर काम कर रही हूं. सभी ने जीएसटी संग्रह को बढ़ाने के लिए अपने स्तर पर काफी प्रयास किए हैं. मुझे उम्मीद है कि उनके और केंद्र के प्रयासों से जीएसटी संग्रह में सुधार की संभावनाएं बढ़ रही हैं."
जीएसटी परिषद की बैठक 18 दिसंबर को होनी है. जीएसटी की दरों में कटौती की खबरों पर उन्होने कहा कि इस तरह का कोई फैसला नहीं लिया गया है.
सीतारमण ने कहा, "मुझे नहीं लगता है इस स्तर पर जीएसटी स्लैब को बढ़ाने या तर्कसंगत बनाने के बारे में बात हो रही है लेकिन कभी न कभी जीएसटी परिषद इस पर बात करेगी. हालांकि, मैं इस बैठक में इस मुद्दे पर बात के लिए खुद को तैयार नहीं कर रही हूं."