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भुगतान हुआ नहीं, फिर भी कट गए खाते से पैसे; कैसे आएंगे पैसे वापस - आरबीआई

हजारो संख्या में ऐसी शिकायतें आती हैं जिसमें उपभोक्ताओं को असफल या विफल लेनदेन के कारण खाते से राशि कट जाने की समस्या का सामना करना पड़ता है. यहां भुगतान विफलता के कई कारण हो सकते हैं, जिनके लिए ग्राहक सीधे तौर पर उत्तरदायी नहीं होता है. आइए जानते हैं कि ऐसी स्थिति में पैसे वापस पाने के लिए आप क्या कर सकते हैं.

विफल हुए लेनेदेन में रिफंड में देरी के मामलों में हस्तक्षेप करे आरबीआई : सीसीपीए
विफल हुए लेनेदेन में रिफंड में देरी के मामलों में हस्तक्षेप करे आरबीआई : सीसीपीए
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Published : Jan 1, 2021, 2:27 PM IST

Updated : Jan 1, 2021, 6:43 PM IST

नई दिल्ली : विभिन्न बैंकिंग सेवाओं के जरिए भुगतान करने के दौरान कई बार भुगतान न होने की स्थिति में भी खाते से राशि कट जाती है. आपके सेवा प्रदाता का आश्वासन होते है कि जल्द ही आपके खाते में उक्त राशि वापस कर दी जाएगी, बावजूद इसके इसमें कई बार एक लंबा समय लग जाता है. ऑनलाइन बैंकिग या कार्ड के जरिए भुगतान करने वाले उपभोक्ताओं के लिए यह एक आम समस्या है.

उपभोक्ताओं को रिफंड में देरी के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए नवगठित उपभोक्ता संरक्षण नियामक सीसीपीए ने आरबीआई से हस्तक्षेप करने के लिए कहा है, ताकि समय पर धन वापसी सुनिश्चित की जा सके.

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की मुख्य आयुक्त निधि खरे ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर एम के जैन को लिखे पत्र में कहा कि 'लेनदेन असफल/रद्द होने, लेकिन धन वापसी नहीं होने की' 2,850 शिकायतें लंबित हैं.बैंकिंग क्षेत्र में पंजीकृत होने वाली शिकायतों में 20 प्रतिशत सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) से की जाती हैं.

उन्होंने कहा कि हालांकि बैंक उपभोक्ता या लाभार्थी के खाते में धनराशि जमा कर देते हैं, लेकिन इसे आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुसार समयबद्ध तरीके से नहीं किया जा रहा.

खरे ने कहा कि ऐसे में आरबीआई द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार बैंकों को समयसीमा के भीतर दावों का निपटान करने की जरूरत है.

क्या हैं आरबीआई के दिशा निर्देश:

हजारो संख्या में ऐसी शिकायतें आती हैं जिसमें उपभोक्ताओं को असफल या विफल लेनदेन के कारण खाते से राशि कट जाने की समस्या का सामना करना पड़ता है. यहां भुगतान विफलता के कई कारण हो सकते हैं, जिनके लिए ग्राहक सीधे तौर पर उत्तरदायी नहीं होता है.

जैसे कि संचार से संबन्धित लिंक में व्यवधान, एटीएम में नकदी की अनुपलब्धता, सत्र का टाइम आउट होना, विभिन्न कारणों से लाभार्थी के खाते में पर्याप्त राशि का न होना इत्यादि. इन 'विफल' लेनदेनों के लिए ग्राहक को अदा की गई परिशोधन/क्षतिपूर्ति राशि एक समान नहीं होती है.

20 सितंबर, 2019 को आई आरबीआई की अधिसूचना के अनुसार, आरबीआई सभी प्राधिकृत भुगतान प्रणालियों में ग्राहकों की शिकायत के निपटान के लिए टर्न अनराउंड टाइम (टीएटी) पर एक ढांचा तैयार किया.

विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श के बाद, विफल लेनदेन और उसकी क्षतिपूर्ति के लिए टीएटी के ढांचे को अंतिम रूप दिया गया है, जिसके परिणामस्वरूप ग्राहकों का विश्वास बढ़ेगा और इसके कारण विफल लेनदेन के प्रसंस्करण में एकरूपता आएगी.

आरबीआई ने कहा कि जहां कहीं भी वित्तीय क्षतिपूर्ति सम्मिलित हो, वहां ग्राहक की ओर से शिकायत किए जाने या उसकी ओर से दावा किए जाने की प्रतीक्षा किए बिना ग्राहक के खाते में स्वतः ही क्षतिपूर्ति की जानी अपेक्षित है.

टीएटी के पीछे का सिद्धांत निम्नलिखित पर आधारित है :

1. यदि लेन-देन एक 'क्रेडिट-पुश' फंड ट्रांसफर है और लाभार्थी खाते को क्रेडिट नहीं किया जाता है, जबकि प्रवर्तक के खाते से डेबिट किया गया है, तब क्रेडिट राशि को निर्धारित समय अवधि के भीतर सम्पन्न किया जाना चाहिए और ऐसा न कर पाने की स्थिति में लाभार्थी को क्षतिपूर्ति राशि दी जाएगी.

2. यदि टीएटी के पश्चात, प्रवर्तक बैंक की ओर से लेनदेन आरंभ करने में देरी होती है, तब प्रवर्तक को क्षतिपूर्ति देनी होगा.

विभिन्न माध्यमों से किए गए भुगतान के दौरान विफल हुए लेन देनों के लिए ऑटो-रिवर्सल और क्षतिपूर्ति के निम्न नियम लागू होते हैं.

1. एटीएम : एटीएम से कैश निकालते समय यदि आपके खाते से राशि डेबिट हो जाए, किंतु मशीन से नकदी न निकले तो ऐसे हालात में पांच और अतिरिक्त दिनों की अधिकतम अवधि के भीतर आपके खाते में राशि वापस आ जानी चाहिए. ऐसा न होने की सूरत में खाताधारक को प्रतिदिन 100 रुपये का मुआवजा देय होता है.

2. कार्ड से कार्ड लेनदेन : यदि राशि कार्ड खाते से डेबिट हो जाए लेकिन लाभार्थी कार्ड खाते को क्रेडिट नहीं किया जाए तो एक और अतिरिक्त दिन के भीतर लेन-देन को रिवर्स किया जाए. ऐसा न होने की सूरत में खाताधारक को प्रतिदिन 100 रुपये का मुआवजा देय होता है.

3. पीओएस मशीन : यदि राशि कार्ड से डेबिट हो जाए और मर्चेंट लोकेशन पर इसकी पुष्टि न हो तो पांच और अतिरिक्त दिनों की अधिकतम अवधि के भीतर आपके खाते में राशि वापस आ जानी चाहिए. ऐसा न होने की सूरत में खाताधारक को प्रतिदिन 100 रुपये का मुआवजा देय होता है.

4. तत्काल भुगतान प्रणाली (आईएमपीएस) : यदि आपके खाते से राशि डेबिट हो जाए और लाभार्थी के खाते में डेबिट न हो पाए तो एक और अतिरिक्त दिन के भीतर लेन-देन को रिवर्स किया जाए. ऐसा न होने की सूरत में खाताधारक को प्रतिदिन 100 रुपये का मुआवजा देय होता है.

5. यूपीआई भुगतान : यूपीआई के जरिए किसी व्यक्ति विशेष और व्यापारियों के मामले में अलग-अलग नियम हैं. किसी व्यक्ति विशेष के मामले में राशि 1 और अतिरिक्त दिन के भीतर लेन-देन को रिवर्स किया जाए. ऐसा न होने की सूरत में खाताधारक को प्रतिदिन 100 रुपये का मुआवजा देय होता है. यदि किसी व्यापारी के खाते में राशि क्रेडिट नहीं होती है तो पांच और अतिरिक्त दिनों की अधिकतम अवधि के भीतर आपके खाते में राशि वापस आ जानी चाहिए. ऐसा न होने की सूरत में खाताधारक को प्रतिदिन 100 रुपये का मुआवजा देय होता है.

किसी प्रकार के विवाद में क्या करें:

जिन ग्राहकों को टीएटी में वर्णित किए गए अनुसार विफल हुए लेनदेन संबंधी समाधान प्राप्त नहीं होता है वे भारतीय रिजर्व बैंक के बैंकिंग लोकपाल के समक्ष शिकायत पंजीकृत करा सकते हैं.

यह निर्देश भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (2007 का अधिनियम 51) की धारा 18 के साथ पठित धारा 10 (2) के अंतर्गत जारी किया गया है और 15 अक्टूबर 2019 से लागू हैं.

ये भी पढ़ें : साल के पहले दिन फोर्ड ने महिंद्रा के साथ संयुक्त उद्यम को किया रद्द

नई दिल्ली : विभिन्न बैंकिंग सेवाओं के जरिए भुगतान करने के दौरान कई बार भुगतान न होने की स्थिति में भी खाते से राशि कट जाती है. आपके सेवा प्रदाता का आश्वासन होते है कि जल्द ही आपके खाते में उक्त राशि वापस कर दी जाएगी, बावजूद इसके इसमें कई बार एक लंबा समय लग जाता है. ऑनलाइन बैंकिग या कार्ड के जरिए भुगतान करने वाले उपभोक्ताओं के लिए यह एक आम समस्या है.

उपभोक्ताओं को रिफंड में देरी के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए नवगठित उपभोक्ता संरक्षण नियामक सीसीपीए ने आरबीआई से हस्तक्षेप करने के लिए कहा है, ताकि समय पर धन वापसी सुनिश्चित की जा सके.

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की मुख्य आयुक्त निधि खरे ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर एम के जैन को लिखे पत्र में कहा कि 'लेनदेन असफल/रद्द होने, लेकिन धन वापसी नहीं होने की' 2,850 शिकायतें लंबित हैं.बैंकिंग क्षेत्र में पंजीकृत होने वाली शिकायतों में 20 प्रतिशत सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) से की जाती हैं.

उन्होंने कहा कि हालांकि बैंक उपभोक्ता या लाभार्थी के खाते में धनराशि जमा कर देते हैं, लेकिन इसे आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुसार समयबद्ध तरीके से नहीं किया जा रहा.

खरे ने कहा कि ऐसे में आरबीआई द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार बैंकों को समयसीमा के भीतर दावों का निपटान करने की जरूरत है.

क्या हैं आरबीआई के दिशा निर्देश:

हजारो संख्या में ऐसी शिकायतें आती हैं जिसमें उपभोक्ताओं को असफल या विफल लेनदेन के कारण खाते से राशि कट जाने की समस्या का सामना करना पड़ता है. यहां भुगतान विफलता के कई कारण हो सकते हैं, जिनके लिए ग्राहक सीधे तौर पर उत्तरदायी नहीं होता है.

जैसे कि संचार से संबन्धित लिंक में व्यवधान, एटीएम में नकदी की अनुपलब्धता, सत्र का टाइम आउट होना, विभिन्न कारणों से लाभार्थी के खाते में पर्याप्त राशि का न होना इत्यादि. इन 'विफल' लेनदेनों के लिए ग्राहक को अदा की गई परिशोधन/क्षतिपूर्ति राशि एक समान नहीं होती है.

20 सितंबर, 2019 को आई आरबीआई की अधिसूचना के अनुसार, आरबीआई सभी प्राधिकृत भुगतान प्रणालियों में ग्राहकों की शिकायत के निपटान के लिए टर्न अनराउंड टाइम (टीएटी) पर एक ढांचा तैयार किया.

विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श के बाद, विफल लेनदेन और उसकी क्षतिपूर्ति के लिए टीएटी के ढांचे को अंतिम रूप दिया गया है, जिसके परिणामस्वरूप ग्राहकों का विश्वास बढ़ेगा और इसके कारण विफल लेनदेन के प्रसंस्करण में एकरूपता आएगी.

आरबीआई ने कहा कि जहां कहीं भी वित्तीय क्षतिपूर्ति सम्मिलित हो, वहां ग्राहक की ओर से शिकायत किए जाने या उसकी ओर से दावा किए जाने की प्रतीक्षा किए बिना ग्राहक के खाते में स्वतः ही क्षतिपूर्ति की जानी अपेक्षित है.

टीएटी के पीछे का सिद्धांत निम्नलिखित पर आधारित है :

1. यदि लेन-देन एक 'क्रेडिट-पुश' फंड ट्रांसफर है और लाभार्थी खाते को क्रेडिट नहीं किया जाता है, जबकि प्रवर्तक के खाते से डेबिट किया गया है, तब क्रेडिट राशि को निर्धारित समय अवधि के भीतर सम्पन्न किया जाना चाहिए और ऐसा न कर पाने की स्थिति में लाभार्थी को क्षतिपूर्ति राशि दी जाएगी.

2. यदि टीएटी के पश्चात, प्रवर्तक बैंक की ओर से लेनदेन आरंभ करने में देरी होती है, तब प्रवर्तक को क्षतिपूर्ति देनी होगा.

विभिन्न माध्यमों से किए गए भुगतान के दौरान विफल हुए लेन देनों के लिए ऑटो-रिवर्सल और क्षतिपूर्ति के निम्न नियम लागू होते हैं.

1. एटीएम : एटीएम से कैश निकालते समय यदि आपके खाते से राशि डेबिट हो जाए, किंतु मशीन से नकदी न निकले तो ऐसे हालात में पांच और अतिरिक्त दिनों की अधिकतम अवधि के भीतर आपके खाते में राशि वापस आ जानी चाहिए. ऐसा न होने की सूरत में खाताधारक को प्रतिदिन 100 रुपये का मुआवजा देय होता है.

2. कार्ड से कार्ड लेनदेन : यदि राशि कार्ड खाते से डेबिट हो जाए लेकिन लाभार्थी कार्ड खाते को क्रेडिट नहीं किया जाए तो एक और अतिरिक्त दिन के भीतर लेन-देन को रिवर्स किया जाए. ऐसा न होने की सूरत में खाताधारक को प्रतिदिन 100 रुपये का मुआवजा देय होता है.

3. पीओएस मशीन : यदि राशि कार्ड से डेबिट हो जाए और मर्चेंट लोकेशन पर इसकी पुष्टि न हो तो पांच और अतिरिक्त दिनों की अधिकतम अवधि के भीतर आपके खाते में राशि वापस आ जानी चाहिए. ऐसा न होने की सूरत में खाताधारक को प्रतिदिन 100 रुपये का मुआवजा देय होता है.

4. तत्काल भुगतान प्रणाली (आईएमपीएस) : यदि आपके खाते से राशि डेबिट हो जाए और लाभार्थी के खाते में डेबिट न हो पाए तो एक और अतिरिक्त दिन के भीतर लेन-देन को रिवर्स किया जाए. ऐसा न होने की सूरत में खाताधारक को प्रतिदिन 100 रुपये का मुआवजा देय होता है.

5. यूपीआई भुगतान : यूपीआई के जरिए किसी व्यक्ति विशेष और व्यापारियों के मामले में अलग-अलग नियम हैं. किसी व्यक्ति विशेष के मामले में राशि 1 और अतिरिक्त दिन के भीतर लेन-देन को रिवर्स किया जाए. ऐसा न होने की सूरत में खाताधारक को प्रतिदिन 100 रुपये का मुआवजा देय होता है. यदि किसी व्यापारी के खाते में राशि क्रेडिट नहीं होती है तो पांच और अतिरिक्त दिनों की अधिकतम अवधि के भीतर आपके खाते में राशि वापस आ जानी चाहिए. ऐसा न होने की सूरत में खाताधारक को प्रतिदिन 100 रुपये का मुआवजा देय होता है.

किसी प्रकार के विवाद में क्या करें:

जिन ग्राहकों को टीएटी में वर्णित किए गए अनुसार विफल हुए लेनदेन संबंधी समाधान प्राप्त नहीं होता है वे भारतीय रिजर्व बैंक के बैंकिंग लोकपाल के समक्ष शिकायत पंजीकृत करा सकते हैं.

यह निर्देश भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (2007 का अधिनियम 51) की धारा 18 के साथ पठित धारा 10 (2) के अंतर्गत जारी किया गया है और 15 अक्टूबर 2019 से लागू हैं.

ये भी पढ़ें : साल के पहले दिन फोर्ड ने महिंद्रा के साथ संयुक्त उद्यम को किया रद्द

Last Updated : Jan 1, 2021, 6:43 PM IST
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