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फेम के चलते वाहन एलपीजी विकल्प को नजरअंदाज नहीं करने का आग्रह

देश में ई-वाहनों के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए लाई गई फेम 2 योजना के बाद एलपीजी कारोबारियों ने प्रदूषणरहित परिवहन के लिए एलपीजी के महत्व को नजरअंदाज नहीं करने की सलाह दी है.

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Published : Mar 13, 2019, 5:56 PM IST

कॉन्सेप्ट इमेज।

नयी दिल्ली : वाहन एलपीजी क्षेत्र ने कहा है कि सरकार को प्रदूषणरहित परिवहन को बढ़ावा देते समय ईंधन के रूप में एलपीजी के महत्व को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए तथा स्वच्छ ईंधन के विकल्प के तौर पर इसे पर्याप्त मौका दिया जाना चाहिए. इस उद्योग ने यह मांग ऐसे समय उठाई है जबकि देश में ई-वाहनों के विनिर्माण और चलन को बढ़ावा देने के लिए फेम-2 योजना के तहत 10,000 करोड रुपये के अनुदान की घोषणा की है.

वाहन एलपीजी कारोबार से जुड़ी कंपनियों के मंच 'इंडयिन ऑटो एलपीजी कोएलिएशन' ने कहा है कि आने वाले दशकोँ में इलेक्ट्रिक वाहन शहरी क्षेत्रोँ में निश्चित रूप से अहम भूमिका निभा सकते हैं, लेकिन सिर्फ एक माध्यम पर पूरा ध्यान देना संपूर्ण समाधान नहीं बन सकता है.

संगठन के महानिदेशक सुयश गुप्ता ने कहा, "हम एक बडे मुद्दे को नजरअंदाज कर रहे हैं. दूर की सोच रखने का यह मतलब सिर्फ अगले 25 साल के बारे में सोचना नहीं है. वर्तमान स्थिति में सुधार के लिए हर स्वच्छ ईंधन को उसकी भूमिका निभाने का अवसर मिलना चाहिए."

उन्होंने कहा कि भारत की करीब 65% ऊर्जा की जरूरत आज भी खनिज ईंधन पर निर्भर करती है, ऐसे में ई-वाहनों को वास्तविक विकल्प का रूप देने में दो दशक से अधिक का समय लग जाएगा. उल्लेखनीय है कि सरकार ने हाल ही में फेम (फास्टर एडॉप्शन एंड मैनुफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक वेहिकल्स) के दूसरे चरण की घोषणा की है.

इस योजना पर 10,000 करोड रुपये खर्च करेगी. इसमें बिजली से चलने वाले दुपहिया, तिपहिया वाहनों, कारों और बसों की खरीद के लिए प्रति इकाई 20000 से 50 लाख रुपये तक की सब्सिडी देने का निर्णय किया है. ऑटो एलपीजी कोएलिएश में सर्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां, निजी आटो एलपीजी कारोबारी, किट आपूर्तिकर्ता और उपकरण विनिर्माता शामिल हैं.
(भाषा)
पढ़ें : एमजी मोटर इंडिया पेश करेगी बिजली से चलने वाले एसयूवी

नयी दिल्ली : वाहन एलपीजी क्षेत्र ने कहा है कि सरकार को प्रदूषणरहित परिवहन को बढ़ावा देते समय ईंधन के रूप में एलपीजी के महत्व को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए तथा स्वच्छ ईंधन के विकल्प के तौर पर इसे पर्याप्त मौका दिया जाना चाहिए. इस उद्योग ने यह मांग ऐसे समय उठाई है जबकि देश में ई-वाहनों के विनिर्माण और चलन को बढ़ावा देने के लिए फेम-2 योजना के तहत 10,000 करोड रुपये के अनुदान की घोषणा की है.

वाहन एलपीजी कारोबार से जुड़ी कंपनियों के मंच 'इंडयिन ऑटो एलपीजी कोएलिएशन' ने कहा है कि आने वाले दशकोँ में इलेक्ट्रिक वाहन शहरी क्षेत्रोँ में निश्चित रूप से अहम भूमिका निभा सकते हैं, लेकिन सिर्फ एक माध्यम पर पूरा ध्यान देना संपूर्ण समाधान नहीं बन सकता है.

संगठन के महानिदेशक सुयश गुप्ता ने कहा, "हम एक बडे मुद्दे को नजरअंदाज कर रहे हैं. दूर की सोच रखने का यह मतलब सिर्फ अगले 25 साल के बारे में सोचना नहीं है. वर्तमान स्थिति में सुधार के लिए हर स्वच्छ ईंधन को उसकी भूमिका निभाने का अवसर मिलना चाहिए."

उन्होंने कहा कि भारत की करीब 65% ऊर्जा की जरूरत आज भी खनिज ईंधन पर निर्भर करती है, ऐसे में ई-वाहनों को वास्तविक विकल्प का रूप देने में दो दशक से अधिक का समय लग जाएगा. उल्लेखनीय है कि सरकार ने हाल ही में फेम (फास्टर एडॉप्शन एंड मैनुफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक वेहिकल्स) के दूसरे चरण की घोषणा की है.

इस योजना पर 10,000 करोड रुपये खर्च करेगी. इसमें बिजली से चलने वाले दुपहिया, तिपहिया वाहनों, कारों और बसों की खरीद के लिए प्रति इकाई 20000 से 50 लाख रुपये तक की सब्सिडी देने का निर्णय किया है. ऑटो एलपीजी कोएलिएश में सर्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां, निजी आटो एलपीजी कारोबारी, किट आपूर्तिकर्ता और उपकरण विनिर्माता शामिल हैं.
(भाषा)
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देश में ई-वाहनों के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए लाई गई फेम 2 योजना के बाद एलपीजी कारोबारियों ने प्रदूषणरहित परिवहन के लिए एलपीजी के महत्व को नजरअंदाज नहीं करने की सलाह दी है.



नयी दिल्ली : वाहन एलपीजी क्षेत्र ने कहा है कि सरकार को प्रदूषणरहित परिवहन को बढ़ावा देते समय ईंधन के रूप में एलपीजी के महत्व को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए तथा स्वच्छ ईंधन के विकल्प के तौर पर इसे पर्याप्त मौका दिया जाना चाहिए. इस उद्योग ने यह मांग ऐसे समय उठाई है जबकि देश में ई-वाहनों के विनिर्माण और चलन को बढ़ावा देने के लिए फेम-2 योजना के तहत 10,000 करोड रुपये के अनुदान की घोषणा की है.

वाहन एलपीजी कारोबार से जुड़ी कंपनियों के मंच 'इंडयिन ऑटो एलपीजी कोएलिएशन' ने कहा है कि आने वाले दशकोँ में इलेक्ट्रिक वाहन शहरी क्षेत्रोँ में निश्चित रूप से अहम भूमिका निभा सकते हैं, लेकिन सिर्फ एक माध्यम पर पूरा ध्यान देना संपूर्ण समाधान नहीं बन सकता है.

संगठन के महानिदेशक सुयश गुप्ता ने कहा, "हम एक बडे मुद्दे को नजरअंदाज कर रहे हैं. दूर की सोच रखने का यह मतलब सिर्फ अगले 25 साल के बारे में सोचना नहीं है. वर्तमान स्थिति में सुधार के लिए हर स्वच्छ ईंधन को उसकी भूमिका निभाने का अवसर मिलना चाहिए."

उन्होंने कहा कि भारत की करीब 65% ऊर्जा की जरूरत आज भी खनिज ईंधन पर निर्भर करती है, ऐसे में ई-वाहनों को वास्तविक विकल्प का रूप देने में दो दशक से अधिक का समय लग जाएगा. उल्लेखनीय है कि सरकार ने हाल ही में फेम (फास्टर एडॉप्शन एंड मैनुफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक वेहिकल्स) के दूसरे चरण की घोषणा की है.

इस योजना पर 10,000 करोड रुपये खर्च करेगी. इसमें बिजली से चलने वाले दुपहिया, तिपहिया वाहनों, कारों और बसों की खरीद के लिए प्रति इकाई 20000 से 50 लाख रुपये तक की सब्सिडी देने का निर्णय किया है. ऑटो एलपीजी कोएलिएश में सर्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां, निजी आटो एलपीजी कारोबारी, किट आपूर्तिकर्ता और उपकरण विनिर्माता शामिल हैं.

(भाषा)


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