ETV Bharat / business

बजट 2020: आम-आदमी के हाथों में दें ज्यादा पैसा

सीतारमण ने कुछ महीने पहले कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती की. इससे आम आदमी की उम्मीद बढ़ गई. अब आम जन आयकर दरों में भी कटौती की मांग कर रहा है.

Income Tax Slab on Budget 2020, IT Slab Rates for Individual 2020, New Slab rates of Income Tax, Income Tax Slabs in India 2020, Union Budget 2020 Expectations, Nirmala Sitharaman on Budget 2020, Shekhar Iyer Opinion on Budget 2020, Budget 2020, IT Slab Rates Effects on GST, Union Budget 2020, Budget 2020 India, बजट 2020 पर आयकर स्लैब, व्यक्तिगत 2020 के लिए आईटी स्लैब दरें, आयकर की नई स्लैब दरें, बजट 2020 पर शेखर अय्यर की राय, बजट 2020, जीएसटी पर आईटी दरें का प्रभाव, यूनियन बजट 2020, केंद्रीय बजट 2020
बजट 2020: आम-आदमी के हाथों में दें ज्यादा पैसा
author img

By

Published : Jan 29, 2020, 6:01 AM IST

Updated : Feb 28, 2020, 8:44 AM IST

हैदराबाद: एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को बजट पेश करेगीं. पूरे देश की नजर इस बजट पर रहेगी. देश को उम्मीद है कि इस बजट से सरकार अर्थव्यवस्था में जान फूंकने का प्रयास करेगी.

हालांकि बजट में पहले से ही बहुत गरीब वर्गों, किसानों, असंगठित श्रम और निचले तबके पर ध्यान केंद्रित किया गया है लेकिन आम आदमी के हाथों में अधिक पैसा देने के लिए सरकार कुछ बड़े कदम उठा सकती है. सरकार या तो आयकर दरों में कमी करेगी या नौकरियां बढ़ाएगी या तरलता की स्थिति में और सुधार करेगी.
सीतारमण ने कुछ महीने पहले कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती की. इससे आम आदमी की उम्मीद बढ़ गई. अब आम जन आयकर दरों में भी कटौती की मांग कर रहा है.

बता दें कि भारत 130 करोड़ की आबादी वाला देश हैं लेकिन आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या केवल 5.65 करोड़ है. इसलिए, सभी को उम्मीद है कि वित्त मंत्री व्यक्तिगत आयकर स्लैब की दरों में ढील देंगी.

वर्तमान में 5 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है. हालांकि, मूल छूट सीमा 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये नहीं की गई है.

कर विभाग के अनुसार 97 लाख से अधिक व्यक्तिगत करदाताओं ने 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच आय दिखाई है और इन करदाताओं से एकत्र राजस्व 45 हजार करोड़ रुपये से अधिक था.

इसलिए, यह वर्ग अधिक टैक्स राहत की उम्मीद कर रहा है. अगर सरकार आयकर में कटौती करती है, तो इससे उपभोक्ताओं को अधिक पैसा खर्च करने मदद मिलेगी और मांग को बढ़ावा मिलेगा.

कमाई करने वालों में सबसे ज्यादा 30 प्रतिशत बेसिक टैक्स 10 लाख या इससे ऊपर कमाने वाले व्यक्तियों पर लगता है.

यदि सीतारमण दस लाख आय स्तर को बढ़ा देती हैं तो जिस पर सबसे ज्यादा टैक्स लगता है तो यह उपभोक्ता बाजार में मनोदशा को बढ़ावा देगा.

ये भी पढ़ें: आसान भाषा में समझिए बजट में इस्तेमाल किए जाने वाले ये मुश्किल शब्द

प्रत्यक्ष कर संहिता पर टास्क फोर्स ने सुझाव दिया है कि वर्तमान में लगने वाले 30 प्रतिशत टैक्स को 10 लाख वाले स्लैब से बढ़ाकर 20 लाख रुपये वाले स्लैब में लगा दिया जाए.

इससे एक नया टैक्स स्लैब आ जाएगा जो कि 10 लाख से लेकर 20 लाख रुपये तक कमाने वाले लोगों पर लगेगा. इसके लिए टास्क फोर्स ने कहा कि 10 लाख से लेकर 20 लाख रुपये तक कमाने वालों पर 20 प्रतिशत और 2.5 लाख से लेकर 10 लाख तक कमाने वालों के लिए 10 प्रतिशत टैक्स लाया जाए.

वर्तमान में एक स्व-कब्जे वाली संपत्ति के लिए आवास ऋण ब्याज (पांच समान किश्तों में दावा किए गए पूर्व निर्माण ब्याज सहित) 2 लाख रुपये तक सीमित है.

इसके अलावा वित्त वर्ष 2019-20 में पेश की गई धारा 80 ईईए स्टांप ड्यूटी मूल्य के साथ घर खरीदने पर ब्याज भुगतान के लिए 1.5 लाख रुपये की अतिरिक्त कटौती प्रदान करती है. लेकिन 45 लाख रुपये से अधिक पर यह फायदा नहीं मिलेगा.

कई शहरों में अचल संपत्ति की कीमतें अधिक हैं. इसलिए, घर के मूल्य पर किसी भी सीमा को खत्म किया जाना चाहिए. सभी करदाताओं के लिए घर की लागत और आकार की परवाह किए बिना अपने पहले घर की खरीद पर अधिक कटौती की जा सकती है. यह अचल संपत्ति क्षेत्र को बढ़ावा देगा और खरीदारों को घर खरीदने के लिए व्यापक विकल्प दिलाएगा.

इसी तरह घरेलू बचत के लिए धारा 80 सी के तहत कटौती ढेड़ लाख रुपये प्रति वर्ष तक सीमित है. सरकार को बढ़ती लागत के साथ-साथ इस सीमा में भी वृद्धि करनी चाहिए.

बच्चों की ट्यूशन फीस, जीवन बीमा प्रीमियम और आवास ऋण भुगतान जैसे खर्चों पर अलग-अलग कटौती की अनुमति दी जानी चाहिए.

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स यानी एलटीसीजी पर एक साल की समय सीमा बढ़ाकर 3 साल कर देना चाहिए. कई लोगों का मानना है कि शेयरों पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स को खत्म कर देना चाहिए. बता दें कि यह टैक्स इन्वेस्टमेंट में होने वाले मुनाफे पर लगाया जाता है.

कुल मिलाकर बात यह है कि दैनिक उपयोग के सामानों की कीमतें सर्वकालिक ऊंचाई पर हैं. इस सामानों को सस्ती करके नीचे लाया जाना चाहिए ताकि यह आसानी से खरीदा जा सके.
(वरिष्ठ पत्रकार शेखर अय्यर का लेख. लेखक के विचार व्यक्तिगत हैं)

हैदराबाद: एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को बजट पेश करेगीं. पूरे देश की नजर इस बजट पर रहेगी. देश को उम्मीद है कि इस बजट से सरकार अर्थव्यवस्था में जान फूंकने का प्रयास करेगी.

हालांकि बजट में पहले से ही बहुत गरीब वर्गों, किसानों, असंगठित श्रम और निचले तबके पर ध्यान केंद्रित किया गया है लेकिन आम आदमी के हाथों में अधिक पैसा देने के लिए सरकार कुछ बड़े कदम उठा सकती है. सरकार या तो आयकर दरों में कमी करेगी या नौकरियां बढ़ाएगी या तरलता की स्थिति में और सुधार करेगी.
सीतारमण ने कुछ महीने पहले कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती की. इससे आम आदमी की उम्मीद बढ़ गई. अब आम जन आयकर दरों में भी कटौती की मांग कर रहा है.

बता दें कि भारत 130 करोड़ की आबादी वाला देश हैं लेकिन आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या केवल 5.65 करोड़ है. इसलिए, सभी को उम्मीद है कि वित्त मंत्री व्यक्तिगत आयकर स्लैब की दरों में ढील देंगी.

वर्तमान में 5 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है. हालांकि, मूल छूट सीमा 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये नहीं की गई है.

कर विभाग के अनुसार 97 लाख से अधिक व्यक्तिगत करदाताओं ने 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच आय दिखाई है और इन करदाताओं से एकत्र राजस्व 45 हजार करोड़ रुपये से अधिक था.

इसलिए, यह वर्ग अधिक टैक्स राहत की उम्मीद कर रहा है. अगर सरकार आयकर में कटौती करती है, तो इससे उपभोक्ताओं को अधिक पैसा खर्च करने मदद मिलेगी और मांग को बढ़ावा मिलेगा.

कमाई करने वालों में सबसे ज्यादा 30 प्रतिशत बेसिक टैक्स 10 लाख या इससे ऊपर कमाने वाले व्यक्तियों पर लगता है.

यदि सीतारमण दस लाख आय स्तर को बढ़ा देती हैं तो जिस पर सबसे ज्यादा टैक्स लगता है तो यह उपभोक्ता बाजार में मनोदशा को बढ़ावा देगा.

ये भी पढ़ें: आसान भाषा में समझिए बजट में इस्तेमाल किए जाने वाले ये मुश्किल शब्द

प्रत्यक्ष कर संहिता पर टास्क फोर्स ने सुझाव दिया है कि वर्तमान में लगने वाले 30 प्रतिशत टैक्स को 10 लाख वाले स्लैब से बढ़ाकर 20 लाख रुपये वाले स्लैब में लगा दिया जाए.

इससे एक नया टैक्स स्लैब आ जाएगा जो कि 10 लाख से लेकर 20 लाख रुपये तक कमाने वाले लोगों पर लगेगा. इसके लिए टास्क फोर्स ने कहा कि 10 लाख से लेकर 20 लाख रुपये तक कमाने वालों पर 20 प्रतिशत और 2.5 लाख से लेकर 10 लाख तक कमाने वालों के लिए 10 प्रतिशत टैक्स लाया जाए.

वर्तमान में एक स्व-कब्जे वाली संपत्ति के लिए आवास ऋण ब्याज (पांच समान किश्तों में दावा किए गए पूर्व निर्माण ब्याज सहित) 2 लाख रुपये तक सीमित है.

इसके अलावा वित्त वर्ष 2019-20 में पेश की गई धारा 80 ईईए स्टांप ड्यूटी मूल्य के साथ घर खरीदने पर ब्याज भुगतान के लिए 1.5 लाख रुपये की अतिरिक्त कटौती प्रदान करती है. लेकिन 45 लाख रुपये से अधिक पर यह फायदा नहीं मिलेगा.

कई शहरों में अचल संपत्ति की कीमतें अधिक हैं. इसलिए, घर के मूल्य पर किसी भी सीमा को खत्म किया जाना चाहिए. सभी करदाताओं के लिए घर की लागत और आकार की परवाह किए बिना अपने पहले घर की खरीद पर अधिक कटौती की जा सकती है. यह अचल संपत्ति क्षेत्र को बढ़ावा देगा और खरीदारों को घर खरीदने के लिए व्यापक विकल्प दिलाएगा.

इसी तरह घरेलू बचत के लिए धारा 80 सी के तहत कटौती ढेड़ लाख रुपये प्रति वर्ष तक सीमित है. सरकार को बढ़ती लागत के साथ-साथ इस सीमा में भी वृद्धि करनी चाहिए.

बच्चों की ट्यूशन फीस, जीवन बीमा प्रीमियम और आवास ऋण भुगतान जैसे खर्चों पर अलग-अलग कटौती की अनुमति दी जानी चाहिए.

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स यानी एलटीसीजी पर एक साल की समय सीमा बढ़ाकर 3 साल कर देना चाहिए. कई लोगों का मानना है कि शेयरों पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स को खत्म कर देना चाहिए. बता दें कि यह टैक्स इन्वेस्टमेंट में होने वाले मुनाफे पर लगाया जाता है.

कुल मिलाकर बात यह है कि दैनिक उपयोग के सामानों की कीमतें सर्वकालिक ऊंचाई पर हैं. इस सामानों को सस्ती करके नीचे लाया जाना चाहिए ताकि यह आसानी से खरीदा जा सके.
(वरिष्ठ पत्रकार शेखर अय्यर का लेख. लेखक के विचार व्यक्तिगत हैं)

Intro:Body:

हैदराबाद: एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को बजट पेश करेगीं. पूरे देश की नजर इस बजट पर रहेगी. देश को उम्मीद है कि इस बजट से सरकार  अर्थव्यवस्था में जान फूंकने का प्रयास करेगी.

हालांकि बजट में पहले से ही बहुत गरीब वर्गों, किसानों, असंगठित श्रम और निचले तबके पर ध्यान केंद्रित किया गया है लेकिन आम आदमी के हाथों में अधिक पैसा देने के लिए सरकार कुछ बड़े कदम उठा सकती है. सरकार या तो आयकर दरों में कमी करेगी या नौकरियां बढ़ाएगी या तरलता की स्थिति में और सुधार करेगी.

सीतारमण ने कुछ महीने पहले कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती की. इससे आम आदमी की उम्मीद बढ़ गई. अब आम जन आयकर दरों में भी कटौती की मांग कर रहा है.

बता दें कि भारत 130 करोड़ की आबादी वाला देश हैं लेकिन आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या केवल 5.65 करोड़ है. इसलिए, सभी को उम्मीद है कि वित्त मंत्री व्यक्तिगत आयकर स्लैब की दरों में ढील देंगी.

वर्तमान में 5 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है. हालांकि, मूल छूट सीमा 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये नहीं की गई है.

कर विभाग के अनुसार 97 लाख से अधिक व्यक्तिगत करदाताओं ने 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच आय दिखाई है और इन करदाताओं से एकत्र राजस्व 45 हजार करोड़ रुपये से अधिक था.

इसलिए, यह वर्ग अधिक टैक्स राहत की उम्मीद कर रहा है. अगर सरकार आयकर में कटौती करती है, तो इससे उपभोक्ताओं को अधिक पैसा खर्च करने मदद मिलेगी और मांग को बढ़ावा मिलेगा.

कमाई करने वालों में सबसे ज्यादा 30 प्रतिशत बेसिक टैक्स 10 लाख या इससे ऊपर कमाने वाले व्यक्तियों पर लगता है.

यदि सीतारमण दस लाख आय स्तर को बढ़ा देती हैं तो जिस पर सबसे ज्यादा टैक्स लगता है तो यह उपभोक्ता बाजार में मनोदशा को बढ़ावा देगा.

प्रत्यक्ष कर संहिता पर टास्क फोर्स ने सुझाव दिया है कि वर्तमान में लगने वाले 30 प्रतिशत टैक्स को 10 लाख वाले स्लैब से बढ़ाकर 20 लाख रुपये वाले स्लैब में लगा दिया जाए.

इससे एक नया टैक्स स्लैब आ जाएगा जो कि 10 लाख से लेकर 20 लाख रुपये तक कमाने वाले लोगों पर लगेगा. इसके लिए टास्क फोर्स ने कहा कि 10 लाख से लेकर 20 लाख रुपये तक कमाने वालों पर 20 प्रतिशत और 2.5 लाख से लेकर 10 लाख तक कमाने वालों के लिए 10 प्रतिशत टैक्स लाया जाए.

वर्तमान में एक स्व-कब्जे वाली संपत्ति के लिए आवास ऋण ब्याज (पांच समान किश्तों में दावा किए गए पूर्व निर्माण ब्याज सहित) 2 लाख रुपये तक सीमित है.

इसके अलावा वित्त वर्ष 2019-20 में पेश की गई धारा 80 ईईए स्टांप ड्यूटी मूल्य के साथ घर खरीदने पर ब्याज भुगतान के लिए 1.5 लाख रुपये की अतिरिक्त कटौती प्रदान करती है. लेकिन 45 लाख रुपये से अधिक पर यह फायदा नहीं मिलेगा.

कई शहरों में अचल संपत्ति की कीमतें अधिक हैं. इसलिए, घर के मूल्य पर किसी भी सीमा को खत्म किया जाना चाहिए. सभी करदाताओं के लिए घर की लागत और आकार की परवाह किए बिना अपने पहले घर की खरीद पर अधिक कटौती की जा सकती है. यह अचल संपत्ति क्षेत्र को बढ़ावा देगा और खरीदारों को घर खरीदने के लिए व्यापक विकल्प दिलाएगा.

इसी तरह घरेलू बचत के लिए धारा 80 सी के तहत कटौती ढेड़ लाख  रुपये प्रति वर्ष तक सीमित है. सरकार को बढ़ती लागत के साथ-साथ इस सीमा में भी वृद्धि करनी चाहिए.

बच्चों की ट्यूशन फीस, जीवन बीमा प्रीमियम और आवास ऋण भुगतान जैसे खर्चों पर अलग-अलग कटौती की अनुमति दी जानी चाहिए.

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स यानी एलटीसीजी पर एक साल की समय सीमा बढ़ाकर 3 साल कर देना चाहिए. कई लोगों का मानना है कि शेयरों पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स को खत्म कर देना चाहिए. बता दें कि यह टैक्स इन्वेस्टमेंट में होने वाले मुनाफे पर लगाया जाता है.

कुल मिलाकर बात यह है कि दैनिक उपयोग के सामानों की कीमतें सर्वकालिक ऊंचाई पर हैं. इस सामानों को सस्ती करके नीचे लाया जाना चाहिए ताकि यह आसानी से खरीदा जा सके.




Conclusion:
Last Updated : Feb 28, 2020, 8:44 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.