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बजट 2019: स्टार्ट-अप और फिनटेक को टैक्स में छूट की उम्मीद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली दूसरी सरकार का यह बजट ऐसे समय आ रहा है जब देश में उपभोग मांग तेजी से नहीं बढ़ रही है, निवेश सिकुड़ रहा है जबकि निर्यात की गति सुस्त पड़ी है.

बजट 2019: स्टार्ट-अप और फिनटेक को टैक्स में छूट की उम्मीद
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Published : Jul 1, 2019, 11:47 AM IST

Updated : Jul 1, 2019, 11:58 AM IST

नई दिल्ली: वित्त प्रौद्योगिकी और स्टार्टअप कंपनियों को चालू वित्त वर्ष के आगामी पूर्ण बजट में कर राहत के साथ-साथ नए सुधारों की उम्मीद है. इसमें कोष तक पहुंच और डिजिटल अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने जैसे सुधार शामिल हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली दूसरी सरकार का यह बजट ऐसे समय आ रहा है जब देश में उपभोग मांग तेजी से नहीं बढ़ रही है, निवेश सिकुड़ रहा है जबकि निर्यात की गति सुस्त पड़ी है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पांच जुलाई को 2019-20 का पूर्ण बजट पेश करेंगी. जबकि चुनाव से पहले एक फरवरी को तत्कालीन सरकार ने अंतरिम बजट पेश किया था.

ये भी पढ़ें- जीएसटी के दो साल पूरे, नए सुधार पेश करेगी सरकार

लॉयल्टी कार्यक्रम कंपनी पेबैक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गौतम कौशिक ने कहा कि पूर्ण बहुमत के साथ जीतकर आए प्रधानमंत्री मोदी के पास दूसरे कार्यकाल में नीति के मामले अधिक कड़े निर्णय लेने का अवसर है.

उन्होंने कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि सरकार अर्थव्यवस्था के लिए कड़े सुधार की दिशा में आगे बढ़ेगी, क्योंकि उसके सामने घरेलू उपभोग और निवेश वृद्धि की गति धीमी पड़ना, कमजोर वैश्विक आर्थिक हालत और निर्यात घटना जैसी बड़ी चुनौतियां खड़ी हैं.

वित्त वर्ष 2018-19 में देश की आर्थिक वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रही जो पांच साल का निचला स्तर और 2017-18 के 7.2 प्रतिशत की दर से काफी कम है.

ठीक इसी तरह की बात माईलोनकेयर डॉट इन के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी गौरव गुप्ता ने कही. उन्होंने कहा उम्मीद है बजट में अंतरिम बजट की अवधारणा को बनाए रखा जाएगा. इसमें करदाताओं को कर में छूट, राजकोषीय घाटे को लक्ष्य के भीतर रखने, किसानों को सहायता देने और डिजिटलीकरण को बढ़ाने की बात की गयी थी.

नई दिल्ली: वित्त प्रौद्योगिकी और स्टार्टअप कंपनियों को चालू वित्त वर्ष के आगामी पूर्ण बजट में कर राहत के साथ-साथ नए सुधारों की उम्मीद है. इसमें कोष तक पहुंच और डिजिटल अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने जैसे सुधार शामिल हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली दूसरी सरकार का यह बजट ऐसे समय आ रहा है जब देश में उपभोग मांग तेजी से नहीं बढ़ रही है, निवेश सिकुड़ रहा है जबकि निर्यात की गति सुस्त पड़ी है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पांच जुलाई को 2019-20 का पूर्ण बजट पेश करेंगी. जबकि चुनाव से पहले एक फरवरी को तत्कालीन सरकार ने अंतरिम बजट पेश किया था.

ये भी पढ़ें- जीएसटी के दो साल पूरे, नए सुधार पेश करेगी सरकार

लॉयल्टी कार्यक्रम कंपनी पेबैक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गौतम कौशिक ने कहा कि पूर्ण बहुमत के साथ जीतकर आए प्रधानमंत्री मोदी के पास दूसरे कार्यकाल में नीति के मामले अधिक कड़े निर्णय लेने का अवसर है.

उन्होंने कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि सरकार अर्थव्यवस्था के लिए कड़े सुधार की दिशा में आगे बढ़ेगी, क्योंकि उसके सामने घरेलू उपभोग और निवेश वृद्धि की गति धीमी पड़ना, कमजोर वैश्विक आर्थिक हालत और निर्यात घटना जैसी बड़ी चुनौतियां खड़ी हैं.

वित्त वर्ष 2018-19 में देश की आर्थिक वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रही जो पांच साल का निचला स्तर और 2017-18 के 7.2 प्रतिशत की दर से काफी कम है.

ठीक इसी तरह की बात माईलोनकेयर डॉट इन के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी गौरव गुप्ता ने कही. उन्होंने कहा उम्मीद है बजट में अंतरिम बजट की अवधारणा को बनाए रखा जाएगा. इसमें करदाताओं को कर में छूट, राजकोषीय घाटे को लक्ष्य के भीतर रखने, किसानों को सहायता देने और डिजिटलीकरण को बढ़ाने की बात की गयी थी.

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बजट 2019: स्टार्ट-अप और फिनटेक को टैक्स में छूट की उम्मीद

नई दिल्ली: वित्त प्रौद्योगिकी और स्टार्टअप कंपनियों को चालू वित्त वर्ष के आगामी पूर्ण बजट में कर राहत के साथ-साथ नए सुधारों की उम्मीद है. इसमें कोष तक पहुंच और डिजिटल अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने जैसे सुधार शामिल हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली दूसरी सरकार का यह बजट ऐसे समय आ रहा है जब देश में उपभोग मांग तेजी से नहीं बढ़ रही है, निवेश सिकुड़ रहा है जबकि निर्यात की गति सुस्त पड़ी है. 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पांच जुलाई को 2019-20 का पूर्ण बजट पेश करेंगी. जबकि चुनाव से पहले एक फरवरी को तत्कालीन सरकार ने अंतरिम बजट पेश किया था.

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लॉयल्टी कार्यक्रम कंपनी पेबैक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गौतम कौशिक ने कहा कि पूर्ण बहुमत के साथ जीतकर आए प्रधानमंत्री मोदी के पास दूसरे कार्यकाल में नीति के मामले अधिक कड़े निर्णय लेने का अवसर है.

उन्होंने कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि सरकार अर्थव्यवस्था के लिए कड़े सुधार की दिशा में आगे बढ़ेगी, क्योंकि उसके सामने घरेलू उपभोग और निवेश वृद्धि की गति धीमी पड़ना, कमजोर वैश्विक आर्थिक हालत और निर्यात घटना जैसी बड़ी चुनौतियां खड़ी हैं.

वित्त वर्ष 2018-19 में देश की आर्थिक वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रही जो पांच साल का निचला स्तर और 2017-18 के 7.2 प्रतिशत की दर से काफी कम है.

ठीक इसी तरह की बात माईलोनकेयर डॉट इन के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी गौरव गुप्ता ने कही. उन्होंने कहा उम्मीद है बजट में अंतरिम बजट की अवधारणा को बनाए रखा जाएगा. इसमें करदाताओं को कर में छूट, राजकोषीय घाटे को लक्ष्य के भीतर रखने, किसानों को सहायता देने और डिजिटलीकरण को बढ़ाने की बात की गयी थी.

 


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Last Updated : Jul 1, 2019, 11:58 AM IST
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