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लघु उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए बीएसई ने मिलाया फिक्की से हाथ

सत्र का मकसद मौजूदा नीतियों में कमियों की पहचान करना और अच्छी नीतियों लिए सुझाव देना है. इसके अलावा एक सत्र का आयोजन एमएसएमई क्षेत्र को प्रोत्साहन देने वाली उद्यम साथी और उद्यम सखी जैसी पहलों के प्रसार के लिए भी किया गया.

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Published : Oct 7, 2019, 11:37 PM IST

लघु उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए बीएसई ने मिलाया फिक्की से हाथ

नई दिल्ली: सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) और स्टार्टअप के माहौल को बढ़ावा देने के लिए बीएसई ने उद्याग मंडल फिक्की के साथ मिलकर सोमवार को एक परिचर्चा सत्र का आयोजन किया.

इस सत्र का मकसद मौजूदा नीतियों में कमियों की पहचान करना और अच्छी नीतियों लिए सुझाव देना है. इसके अलावा एक सत्र का आयोजन एमएसएमई क्षेत्र को प्रोत्साहन देने वाली उद्यम साथी और उद्यम सखी जैसी पहलों के प्रसार के लिए भी किया गया.

एमएसएमई को इस सत्र में उनके विचार और सुझाव रखने के लिए आमंत्रित किया गया. साथ ही मंत्रालय के स्तर पर उनकी चिंताओं वाले मुद्दों पर भी बातचीत की गयी.

ये भी पढ़ें: खत्म हुआ स्विस बैंक के 'गोपनीयता का युग', भारत को विवरण का पहला सेट मिला

बीएसई ने एक बयान में कहा, "कुछ चिंता वाले मुद्दों की पहचान की गयी है. इसमें एमएसएमई की परिभाषा को सरल बनाना, कोष की उपलब्धता बढ़ाने के लिए ऋणदाताओं के रुख में बदलावा लाना, भुगतान में देरी छीक करन और एमएसएमई के लिए बाजार पहुंच बढ़ाना प्रमुख है."

इस सत्र में 20 एमएसएमई समेत करीब 40 हितधारकों ने प्रतिभाग किया.

नई दिल्ली: सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) और स्टार्टअप के माहौल को बढ़ावा देने के लिए बीएसई ने उद्याग मंडल फिक्की के साथ मिलकर सोमवार को एक परिचर्चा सत्र का आयोजन किया.

इस सत्र का मकसद मौजूदा नीतियों में कमियों की पहचान करना और अच्छी नीतियों लिए सुझाव देना है. इसके अलावा एक सत्र का आयोजन एमएसएमई क्षेत्र को प्रोत्साहन देने वाली उद्यम साथी और उद्यम सखी जैसी पहलों के प्रसार के लिए भी किया गया.

एमएसएमई को इस सत्र में उनके विचार और सुझाव रखने के लिए आमंत्रित किया गया. साथ ही मंत्रालय के स्तर पर उनकी चिंताओं वाले मुद्दों पर भी बातचीत की गयी.

ये भी पढ़ें: खत्म हुआ स्विस बैंक के 'गोपनीयता का युग', भारत को विवरण का पहला सेट मिला

बीएसई ने एक बयान में कहा, "कुछ चिंता वाले मुद्दों की पहचान की गयी है. इसमें एमएसएमई की परिभाषा को सरल बनाना, कोष की उपलब्धता बढ़ाने के लिए ऋणदाताओं के रुख में बदलावा लाना, भुगतान में देरी छीक करन और एमएसएमई के लिए बाजार पहुंच बढ़ाना प्रमुख है."

इस सत्र में 20 एमएसएमई समेत करीब 40 हितधारकों ने प्रतिभाग किया.

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