नई दिल्ली: अटके कर्ज और धोखाधड़ी जैसी गंभीर समस्याओं से पूरे साल जूझ रहे भारतीय बैंकिंग क्षेत्र को सरकारी मदद और सुधारवादी उपायों से नए वर्ष में अच्छे दिन फिर से लौटने की उम्मीद है. सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ बैंकों का अलग अलग समूह में विलय कर कुछ बड़े बैंकों की स्थापना के साथ-साथ उनमें भारी पूंजी निवेश करने का कदम उठाया है.
सरकार ने बैंक अधिकारियों को ईमानदारी से किए गए व्यावसायिक फैसलों के लिए संरक्षण देने का भी भरोसा दे कर बैंक अधिकारियों का उत्साह बढ़ाया है.वर्ष 2020 को लेकर मजबूत उम्मीद दिखाते हुए वित्त सचिव राजीव कुमार ने कहा, "हर बुनियादी पक्ष यही संकेत दे रहा है कि अगले साल वृद्धि अच्छी होगी तथा भविष्य और अच्छा होगा."
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अर्थव्यवस्था को नरमी में फंसते देख सरकार और रिजर्व बैंक ने पिछले कुछ महीनों में कई कदम उठाए हैं ताकि बैंकों की स्थिति मजबूत हो और उनके पास कर्ज देने को धन की उपलब्धता बढ़े और कर्ज सस्ते हों. इसके साथ ही गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को संकट से उबारने के लिए भी कई कदम उठाए गए हैं.
फंसे कर्ज के समाधान के चालू वित्त वर्ष में 13 सरकारी बैंक पुन: लाभ दिखाने में सफल रहे हैं. इससे पिछले साल ऐसे केवल 6 सरकारी बैंक थे. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने सितंबर 2019 तक करीब 52 हजार करोड़ रुपये के पुराने फंसे कर्ज की वसूली की.
आलोक इंडस्ट्रीज और भूषण पावर एंड स्टील जैसे अवरुद्ध कर्ज के बड़े मामलों के समाधान होने पर चालू वित्त वर्ष में ऐसे कर्जों की वसूली एक लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी. सरकारी बैंकों की हालत सुधारने के लिए वर्ष के दौरान पूंजी सहायता और एकमुश्त निपटान (ओटीएस) जैसे कई उपाय किए गए.
वर्ष के दौरान सरकारी क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए सितंबर 2019 के अंत में घट कर 7.27 लाख करोड़ रुपये पर आ गया जो कि मार्च 2018 में 8.96 लाख करोड़ रुपये था. इसी तरह इन बैंकों का प्रावधन कवरेज (पीसीआर) गत सितंबर में 76.6 प्रतिशत रहा जो इसका अब तक का उच्चतम स्तर है.
सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत बनाने की अब तक एक सबसे बड़ी पहल के तहत उनके विलय की एक वृहद योजना शुरू की. इससे इनकी संख्या 18 से घट 12 हो जाएगी. यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया और ओरियंटल बैंक को पंजाब नेशनल बैंक में मिलाने की योजना है. इसके बाद ये बैंक मिलकर दूसरे नंबर का सबसे बड़ा बैंक हो जाएंगे.
सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को शुरू में ही 55,000 करोड़ रुपये की पूंजीगत सहायता देने का निर्णय किया. इससे ये बैंक कुल मिला कर 5 लाख करोड़ रुपये और इससे अधिक कर्ज देने की स्थिति में आ सकेंगे.
बैंकों को नयी पूंजी मिलने के बाद रिजर्व बैंक ने इस साल दो बार में पांच सरकारी बैंकों -बैंक आफ इंडिया, बैंक आफ महाराष्ट्र, आरियंटल बैंक आफ कामर्स , इलाहाबाद बैंक और कार्पोरेशन बैंक पर त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) की पाबंदी हटा ली है. इंडियन ओवरसीज बैंक, सेंट्रल बैंक आफ इंडिया, यूको बैंक और यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया पर अब भी पीसीए के तहत कर्ज देने, प्रबंधकों का वेतन बढ़ाने और निदेशकों की फीस के निर्धारण जैसे मामलों में फैसला करने की आजादी नहीं है.
उम्मीद है कि अगले साल इन पर से पीसीए हट जाएगा. वित्त मंत्री ने अगस्त 2019 में अर्थव्यवस्था को गति देने के कुछ उपायों की घोषणा की. उसके बाद सरकारी बैंकों ने आवास, वाहन, शिक्षा और व्यक्तिगत कार्य के लिए तथा सूक्ष्म, छोटे-मझोले उद्यमों को कारोबार के लिए रेपो आधारित 11.68 लाख कर्ज मंजूर किए हैं. इनके तहत कुल 1.32 लाख करोड़ रुपये की ऋण सहायता दी गयी है.
सरकार ने धन की तंगी में उलझे गैर बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र और आवास ऋण कंपनियों के लिए आंशिक ऋण गारंटी योजना लागू करने का निर्णय किया है. इसके तहत सरकार ने बैंकों को इन कंपनियों के एक लाख करोड़ रुपये तक के अच्छे एकत्रित कर्जों को खरीदने में एक निश्चित अविध के अंदर एकबारगी नुकसान की भरपाई की आंशिक गारंटी दी है.
राष्ट्रीय आवास बैंक से आवास ऋण कंपनियों को 30,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त ऋण की सुविधा की गयी है. सरकार ने बैंकों की आंतरिक सलाकार समितियों को निर्देश दिया है कि बैंकों को जांच के मामलों को सतर्कता और गैर सतर्कता विषय वर्गों में वर्गीकृत करना होगा. इससे सच्चे व्यावसायिक निर्णयों के लिए अधिकारियों को बाद में परेशानी बचाया जा सकेगा और अधिकारी फैसले लेने से भयभीत नहीं होंगे.
दिसंबर के आखिरी सप्ताहांत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों को आश्वासन दिया कि अधिकारियों को ईमानदारी से किए गए व्यवसायिक निर्णयों का बचाव किया जाएगा. उन्होंने यह आश्वान भी दिया की सरकारी जांच एजेंसियों द्वारा अधिकारियों को परेशान किए जाने को लेकर व्यक्त किए जाने वाली आशंकों को दूर करने के उपाय किए जाएंगे.
बैंकिग एवं वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने कहा कि एनपीए में कमी हो रही है और प्रावधान कवरेज का अनुपात अब तक के उच्चतम स्तर पर है.
एनपीए की पहचान की प्रक्रिया पूरी होने को है. इस वर्ष सितंबर अंत में बैंकों की सकल एनपीए का स्तर 9.3 प्रतिशत था . यह वित्त वर्ष 2018 के 11.2 प्रतिशत की तुलना में घटा है. लेकिन ताजा वित्तीय स्थिरता रपट (एफएसआर) में कहा गया है कि सितंबर 2020 तक सकल एनपीए फिर बढ़ कर 9.9 प्रतिशत पर पहुंच सकती है. पंजाब नेशनल बैंक में 14,000 करोड़ रुपये की नीरव मोदी धोखाधड़ी से जुड़े मामलों से निपटने में बैंक और सरकारी एजेंसियां पूरे वर्ष जूझती रही.
इस बीच इस साल पंजाब एंड महाराष्ट्र को-आपरेटिव बैंक (पीएमसी) बैंक में अधिकारियों और बड़े व्यवसायी कर्जदार की मिली भगत से घोटाले का भांडाफोड़ हुआ. रिजर्व बैंक ने पीएमसी बैंक पर पाबंदी लगा दी हैं. बैंक में कथित रूप से 4,355 करोड़ रुपये का कर्ज घोटाला सामने आया है.