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प्रभु ने की विमान ईंधन को जीएसटी के दायरे में लाने की वकालत

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Published : Apr 7, 2019, 12:56 PM IST

प्रभु ने कहा कि किसी भी क्षेत्र के लिये इनपुट लागत प्रतिस्पर्धी होनी चाहिये. उन्होंने एटीएफ को जीएसटी के दायरे में लाने की वकालत करते हुए कहा कि राज्यों में कर की अलग दरों के कारण एटीएफ का दाम अधिक हो जाता है.

नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रभु।

नई दिल्ली : नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा है कि विमान ईंधन (एटीएफ) को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाया जाना चाहिये. उन्होंने कहा कि इससे घरेलू विमानन उद्योग को कारोबार के समान अवसर उपलब्ध होंगे.

प्रभु ने कहा कि किसी भी क्षेत्र के लिये इनपुट लागत प्रतिस्पर्धी होनी चाहिये. उन्होंने एटीएफ को जीएसटी के दायरे में लाने की वकालत करते हुए कहा कि राज्यों में कर की अलग दरों के कारण एटीएफ का दाम अधिक हो जाता है.

प्रभु ने पीटीआई भाषा से साक्षात्कार में कहा, "हर राज्य में अलग कर है. इसके कारण विमानन कंपनियों के लिये ईंधन का खर्च पूरी तरह से बदल जाता है. मुझे लगता है कि इसे खत्म किया जाना चाहिये. मुझे उम्मीद है कि जीएसटी परिषद इस पर गौर करेगी और हम इसे लगातार परिषद के सामने रख रहे हैं."

उन्होंने कहा, "हम एटीएफ को जीएसटी के दायरे में लाने के लिये लगातार काम करते रहेंगे ताकि घरेलू कंपनियों को कारोबार के समान अवसर उपलब्ध हो सकें तथा विमानन ईंधन की कीमत का पहले से अंदाज लगाना संभव हो सके."

उल्लेखनीय है कि विमानन कंपनियां लंबे समय से एटीएफ को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग कर रही हैं.
ये भी पढ़ें : भारत 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहनों का लक्ष्य हासिल कर सकता है: नीति रिपोर्ट

नई दिल्ली : नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा है कि विमान ईंधन (एटीएफ) को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाया जाना चाहिये. उन्होंने कहा कि इससे घरेलू विमानन उद्योग को कारोबार के समान अवसर उपलब्ध होंगे.

प्रभु ने कहा कि किसी भी क्षेत्र के लिये इनपुट लागत प्रतिस्पर्धी होनी चाहिये. उन्होंने एटीएफ को जीएसटी के दायरे में लाने की वकालत करते हुए कहा कि राज्यों में कर की अलग दरों के कारण एटीएफ का दाम अधिक हो जाता है.

प्रभु ने पीटीआई भाषा से साक्षात्कार में कहा, "हर राज्य में अलग कर है. इसके कारण विमानन कंपनियों के लिये ईंधन का खर्च पूरी तरह से बदल जाता है. मुझे लगता है कि इसे खत्म किया जाना चाहिये. मुझे उम्मीद है कि जीएसटी परिषद इस पर गौर करेगी और हम इसे लगातार परिषद के सामने रख रहे हैं."

उन्होंने कहा, "हम एटीएफ को जीएसटी के दायरे में लाने के लिये लगातार काम करते रहेंगे ताकि घरेलू कंपनियों को कारोबार के समान अवसर उपलब्ध हो सकें तथा विमानन ईंधन की कीमत का पहले से अंदाज लगाना संभव हो सके."

उल्लेखनीय है कि विमानन कंपनियां लंबे समय से एटीएफ को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग कर रही हैं.
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नई दिल्ली : नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा है कि विमान ईंधन (एटीएफ) को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाया जाना चाहिये. उन्होंने कहा कि इससे घरेलू विमानन उद्योग को कारोबार के समान अवसर उपलब्ध होंगे.

प्रभु ने कहा कि किसी भी क्षेत्र के लिये इनपुट लागत प्रतिस्पर्धी होनी चाहिये. उन्होंने एटीएफ को जीएसटी के दायरे में लाने की वकालत करते हुए कहा कि राज्यों में कर की अलग दरों के कारण एटीएफ का दाम अधिक हो जाता है.

प्रभु ने पीटीआई भाषा से साक्षात्कार में कहा, "हर राज्य में अलग कर है. इसके कारण विमानन कंपनियों के लिये ईंधन का खर्च पूरी तरह से बदल जाता है. मुझे लगता है कि इसे खत्म किया जाना चाहिये. मुझे उम्मीद है कि जीएसटी परिषद इस पर गौर करेगी और हम इसे लगातार परिषद के सामने रख रहे हैं."

उन्होंने कहा, "हम एटीएफ को जीएसटी के दायरे में लाने के लिये लगातार काम करते रहेंगे ताकि घरेलू कंपनियों को कारोबार के समान अवसर उपलब्ध हो सकें तथा विमानन ईंधन की कीमत का पहले से अंदाज लगाना संभव हो सके."

उल्लेखनीय है कि विमानन कंपनियां लंबे समय से एटीएफ को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग कर रही हैं.

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