लंदन: ब्रिटेन के उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को जांबिया के उन हजारों ग्रामीणों के पक्ष में निर्णय सुनाया जो खनन कंपनी वेदांता की एक अनुषंगी के खिलाफ यहां मुकदमा दायर करना चाहते हैं. वेदांता का मुख्यालय ब्रिटेन में ही है.
कंपनी की अनुषंगी कोंकोला कॉपर माइंस जांबिया में नचांगा कॉपर खदान का परिचालन करती है. इस खदान के आस-पास के ग्रामीणों ने संयंत्र की वजह से क्षेत्र में प्रदूषण फैलने का आरोप लगाया है.
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हालांकि, कंपनी का मानना है कि मामले की सुनवाई जांबिया की अदालत में ही होनी चाहिये, लेकिन जांबिया के 1,826 ग्रामीण कई सालों से मामले के तहत ब्रिटेन की अदालत में मुआवजा पाने की लड़ाई लड़ रहे थे.
कंपनी ने एक बयान जारी कर कहा कि उच्चतम न्यायालय का यह निर्णय प्रक्रिया से संबंधित है. इसका संबंध ब्रिटेन की अदालत के इन दावों की सुनवाई के अधिकार क्षेत्र से ही है. यह निर्णय दावों के गुण-दोष को लेकर नहीं है.
जांबियाई ग्रामीणों को वेदांता की सहायक कंपनी के खिलाफ ब्रिटेन में मुकद्दमा करने का मिला अधिकार - कॉपर माइंस जांबिया
कंपनी की अनुषंगी कोंकोला कॉपर माइंस जांबिया में नचांगा कॉपर खदान का परिचालन करती है. इस खदान के आस-पास के ग्रामीणों ने संयंत्र की वजह से क्षेत्र में प्रदूषण फैलने का आरोप लगाया है.
लंदन: ब्रिटेन के उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को जांबिया के उन हजारों ग्रामीणों के पक्ष में निर्णय सुनाया जो खनन कंपनी वेदांता की एक अनुषंगी के खिलाफ यहां मुकदमा दायर करना चाहते हैं. वेदांता का मुख्यालय ब्रिटेन में ही है.
कंपनी की अनुषंगी कोंकोला कॉपर माइंस जांबिया में नचांगा कॉपर खदान का परिचालन करती है. इस खदान के आस-पास के ग्रामीणों ने संयंत्र की वजह से क्षेत्र में प्रदूषण फैलने का आरोप लगाया है.
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हालांकि, कंपनी का मानना है कि मामले की सुनवाई जांबिया की अदालत में ही होनी चाहिये, लेकिन जांबिया के 1,826 ग्रामीण कई सालों से मामले के तहत ब्रिटेन की अदालत में मुआवजा पाने की लड़ाई लड़ रहे थे.
कंपनी ने एक बयान जारी कर कहा कि उच्चतम न्यायालय का यह निर्णय प्रक्रिया से संबंधित है. इसका संबंध ब्रिटेन की अदालत के इन दावों की सुनवाई के अधिकार क्षेत्र से ही है. यह निर्णय दावों के गुण-दोष को लेकर नहीं है.
जांबियाई ग्रामीणों को वेदांता की सहायक कंपनी के खिलाफ ब्रिटेन में मुकद्दमा करने का मिला अधिकार
लंदन: ब्रिटेन के उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को जांबिया के उन हजारों ग्रामीणों के पक्ष में निर्णय सुनाया जो खनन कंपनी वेदांता की एक अनुषंगी के खिलाफ यहां मुकदमा दायर करना चाहते हैं. वेदांता का मुख्यालय ब्रिटेन में ही है.
कंपनी की अनुषंगी कोंकोला कॉपर माइंस जांबिया में नचांगा कॉपर खदान का परिचालन करती है. इस खदान के आस-पास के ग्रामीणों ने संयंत्र की वजह से क्षेत्र में प्रदूषण फैलने का आरोप लगाया है.
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हालांकि, कंपनी का मानना है कि मामले की सुनवाई जांबिया की अदालत में ही होनी चाहिये, लेकिन जांबिया के 1,826 ग्रामीण कई सालों से मामले के तहत ब्रिटेन की अदालत में मुआवजा पाने की लड़ाई लड़ रहे थे.
कंपनी ने एक बयान जारी कर कहा कि उच्चतम न्यायालय का यह निर्णय प्रक्रिया से संबंधित है. इसका संबंध ब्रिटेन की अदालत के इन दावों की सुनवाई के अधिकार क्षेत्र से ही है. यह निर्णय दावों के गुण-दोष को लेकर नहीं है.
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