ETV Bharat / business

निजाम का यह 80 साल पुराना चीनी मिल एशिया का था सिरमौर, आज बिकने को है तैयार

एनसीएलटी ने हाल ही में एनडीएसएल के परिसमापन का आदेश दिया है क्योंकि इसे बिना किसी विकल्प के छोड़ दिया गया था. निवेशक ने खुद को अलग कर लिया है और राज्य सरकार कंपनी को निर्धारित समय के भीतर बचाने के लिए एक वैकल्पिक योजना के साथ आने में विफल रही है.

author img

By

Published : Jun 15, 2019, 7:39 PM IST

निजाम का यह 80 साल पुराना चीनी मिल एशिया का था सिरमौर, आज बिकने को है तैयार

हैदराबाद: निजाम डेक्कन शुगर्स लिमिटेड(एनडीएसएल) के कर्मचारियों ने शुक्रवार को बोधन शहर में कारखाना बंद करने का विरोध किया. उन्होंने राज्य सरकार ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के आदेश को रद्द करने या उन्हें एक विकल्प प्रदान करने और उनके वेतन को मंजूरी देने की मांग कर रहे हैं. उन्होंने सरकार से कारखाने को खुद संभालने की भी मांग किया है.

एनसीएलटी ने हाल ही में एनडीएसएल के परिसमापन का आदेश दिया है क्योंकि इसे बिना किसी विकल्प के छोड़ दिया गया था. निवेशक ने खुद को अलग कर लिया है और राज्य सरकार कंपनी को निर्धारित समय के भीतर बचाने के लिए एक वैकल्पिक योजना के साथ आने में विफल रही है.

ये भी पढ़ें: श्याओमी के आपूर्तिकर्ता ने पहला भारतीय विनिर्माण संयंत्र खोला

इस विवादित मुद्दे ने अब राज्य सरकार के साथ एक राजनीतिक मोड़ ले लिया है, तेलंगाना राष्ट्र समिति और भारतीय जनता पार्टी ने एक-दूसरे पर आरोप लगाना शुरू कर दिया है.

एनडीएसएल की स्थापना 1937 में हुई थी और इसे एशिया की सबसे बड़ी चीनी फैक्ट्री के रूप में जाना जाता था. इसने निजामाबाद और आसपास के अन्य जिलों के लिए उद्योग की रीढ़ के रूप में कार्य किया. कंपनी ने हजारों लोगों को बहुत सारे रोजगार और आजीविका प्रदान की.

हालांकि 2002 में, टीडीपी सरकार ने घाटे के कारण कारखाने का निजीकरण कर दिया और सरकार ने कारखाने की जमीन गरीबों में वितरित कर दी.

निज़ाम शुगर फैक्ट्री में पांच से सात मिलियन टन के बीच गन्ना दरार करने की क्षमता थी और 1982-83 में 11 लाख टन तक पहुंच गई.

तीन मिलों में कंपनी के वर्तमान में 264 कर्मचारी हैं. छंटनी के बाद उनके परिवारों का जीवन दयनीय हो गया है. मजदूरों को साढ़े तीन साल से वेतन नहीं दिया गया है. उनके मामले अभी भी लेबर कोर्ट में लंबित हैं.

हैदराबाद: निजाम डेक्कन शुगर्स लिमिटेड(एनडीएसएल) के कर्मचारियों ने शुक्रवार को बोधन शहर में कारखाना बंद करने का विरोध किया. उन्होंने राज्य सरकार ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के आदेश को रद्द करने या उन्हें एक विकल्प प्रदान करने और उनके वेतन को मंजूरी देने की मांग कर रहे हैं. उन्होंने सरकार से कारखाने को खुद संभालने की भी मांग किया है.

एनसीएलटी ने हाल ही में एनडीएसएल के परिसमापन का आदेश दिया है क्योंकि इसे बिना किसी विकल्प के छोड़ दिया गया था. निवेशक ने खुद को अलग कर लिया है और राज्य सरकार कंपनी को निर्धारित समय के भीतर बचाने के लिए एक वैकल्पिक योजना के साथ आने में विफल रही है.

ये भी पढ़ें: श्याओमी के आपूर्तिकर्ता ने पहला भारतीय विनिर्माण संयंत्र खोला

इस विवादित मुद्दे ने अब राज्य सरकार के साथ एक राजनीतिक मोड़ ले लिया है, तेलंगाना राष्ट्र समिति और भारतीय जनता पार्टी ने एक-दूसरे पर आरोप लगाना शुरू कर दिया है.

एनडीएसएल की स्थापना 1937 में हुई थी और इसे एशिया की सबसे बड़ी चीनी फैक्ट्री के रूप में जाना जाता था. इसने निजामाबाद और आसपास के अन्य जिलों के लिए उद्योग की रीढ़ के रूप में कार्य किया. कंपनी ने हजारों लोगों को बहुत सारे रोजगार और आजीविका प्रदान की.

हालांकि 2002 में, टीडीपी सरकार ने घाटे के कारण कारखाने का निजीकरण कर दिया और सरकार ने कारखाने की जमीन गरीबों में वितरित कर दी.

निज़ाम शुगर फैक्ट्री में पांच से सात मिलियन टन के बीच गन्ना दरार करने की क्षमता थी और 1982-83 में 11 लाख टन तक पहुंच गई.

तीन मिलों में कंपनी के वर्तमान में 264 कर्मचारी हैं. छंटनी के बाद उनके परिवारों का जीवन दयनीय हो गया है. मजदूरों को साढ़े तीन साल से वेतन नहीं दिया गया है. उनके मामले अभी भी लेबर कोर्ट में लंबित हैं.

Intro:Body:

हैदराबाद: निजाम डेक्कन शुगर्स लिमिटेड(एनडीएसएल) के कर्मचारियों ने शुक्रवार को बोधन शहर में कारखाना बंद करने का विरोध किया. उन्होंने राज्य सरकार ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के आदेश को रद्द करने या उन्हें एक विकल्प प्रदान करने और उनके वेतन को मंजूरी देने की मांग कर रहे हैं. उन्होंने सरकार से कारखाने को खुद संभालने की भी मांग किया है.

एनसीएलटी ने हाल ही में एनडीएसएल के परिसमापन का आदेश दिया है क्योंकि इसे बिना किसी विकल्प के छोड़ दिया गया था. निवेशक ने खुद को अलग कर लिया है और राज्य सरकार कंपनी को निर्धारित समय के भीतर बचाने के लिए एक वैकल्पिक योजना के साथ आने में विफल रही है.

इस विवादित मुद्दे ने अब राज्य सरकार के साथ एक राजनीतिक मोड़ ले लिया है, तेलंगाना राष्ट्र समिति और भारतीय जनता पार्टी ने एक-दूसरे पर आरोप लगाना शुरू कर दिया है.

एनडीएसएल की स्थापना 1937 में हुई थी और इसे एशिया की सबसे बड़ी चीनी फैक्ट्री के रूप में जाना जाता था. इसने निजामाबाद और आसपास के अन्य जिलों के लिए उद्योग की रीढ़ के रूप में कार्य किया. कंपनी ने हजारों लोगों को बहुत सारे रोजगार और आजीविका प्रदान की.

हालांकि 2002 में, टीडीपी सरकार ने घाटे के कारण कारखाने का निजीकरण कर दिया और सरकार ने कारखाने की जमीन गरीबों में वितरित कर दी.

निज़ाम शुगर फैक्ट्री में पांच से सात मिलियन टन के बीच गन्ना दरार करने की क्षमता थी और 1982-83 में 11 लाख टन तक पहुंच गई.

तीन मिलों में कंपनी के वर्तमान में 264 कर्मचारी हैं. छंटनी के बाद उनके परिवारों का जीवन दयनीय हो गया है. मजदूरों को साढ़े तीन साल से वेतन नहीं दिया गया है. उनके मामले अभी भी लेबर कोर्ट में लंबित हैं.

ये भी पढ़ें:


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.